Flood Diseases: बाढ़ के बाद बढ़ता है संक्रमण का जोखिम
Flood diseases, यानी बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियां, हर साल भारत के लाखों लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य संकट बन जाती हैं। मानसून के मौसम में बिहार, असम, उत्तर प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्य हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं। इस बार तो दिल्ली जैसे महानगरों में भी बाढ जैसी स्थिति पैदा हो चुकी है।
जब नदी और नालों का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है, तो गांव और कस्बे पानी के सैलाब में घिर जाते हैं। ऐसे हालात में सबसे बड़ी चुनौती भोजन और आश्रय के साथ पानी से होने वाली बीमारियों (water borne diseases) और मच्छरों से पैदा होने वाले संक्रमणों (vector borne diseases) से निपटने की भी होती है।
सीवर का गंदा पानी, खुले में पड़ा कचरा और मृत जानवरों के अवशेष जब बाढ़ में मिल जाते हैं तो हर बूंद संक्रमण का कारण बन जाती है। नतीजा यह कि डायरिया (Diarrhea), हैजा (Cholera), टाइफॉइड (Typhoid), पीलिया (Jaundice), मलेरिया (Malaria) और डेंगू (Dengue) जैसी flood diseases तेजी से फैलने लगती हैं।
इन बीमारियों (Flood Diseases) का सबसे ज्यादा शिकार बच्चे और बुजुर्ग होते हैं क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। यही वजह है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ हर बार बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पहले ही चेतावनी जारी कर देते हैं कि “पानी और मच्छर सबसे बड़ा दुश्मन” साबित हो सकते हैं।
Flood Diseases: बाढ़ के दौरान और बाद में प्रमुख बीमारियां कौन-सी होती हैं?
बाढ़ के बाद बीमारियों की दो बड़ी श्रेणियां तेजी से फैलती हैं। waterborne diseases (पानी से फैलने वाली बीमारियां) और vector borne diseases (मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां)। पानी से होने वाली बीमारियों में डायरिया और हैजा सबसे आम हैं।
दूषित पानी पीने या ऐसा भोजन खाने से पेट में संक्रमण हो जाता है, जिससे दस्त और उल्टियां शुरू हो जाती हैं। टाइफॉइड और हेपेटाइटिस A भी इस श्रेणी में आते हैं, जो लंबे समय तक बुखार, पीलिया और शरीर की कमजोरी का कारण बनते हैं।
दूसरी श्रेणी यानी वेक्टर बॉर्न बीमारियों में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया (Chikungunya) प्रमुख हैं। बाढ़ के कारण जब पानी लंबे समय तक जगह-जगह जमा रहता है तो मच्छरों का प्रजनन तेजी से बढ़ता है। डेंगू में प्लेटलेट्स का स्तर अचानक गिरता है और कभी-कभी यह जानलेवा स्थिति तक पहुंच जाता है।
वहीं मलेरिया का बुखार रुक-रुक कर आता है और रोगी को पूरी तरह से निढाल कर देता है। इसके अलावा गंदे और नम माहौल में त्वचा संबंधी संक्रमण (skin infections) और फेफड़ों की बीमारियां (Lung diseases) भी बढ़ जाती हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग समय रहते राहत शिविरों में दवाओं और जांच (Medicines and tests in flood relief camps) टीमों की तैनाती करता है।
Flood Diseases: बाढ़ क्षेत्र में आम बीमारियां और उनके प्रभाव
| बीमारी | कैसे फैलती है | प्रमुख लक्षण | गंभीरता का स्तर |
|---|
| डायरिया/हैजा | दूषित पानी या संक्रमित भोजन | दस्त, उल्टी, डिहाइड्रेशन | उच्च |
| टाइफॉइड | बैक्टीरिया युक्त खाना-पानी | लंबे समय तक बुखार, थकान | मध्यम |
| हेपेटाइटिस A | वायरस से संक्रमित पानी/भोजन | पीलिया, भूख न लगना | उच्च |
| मलेरिया | मच्छरों की बढ़ी संख्या | ठंड के साथ बुखार, सिरदर्द | उच्च |
| डेंगू | एडीज मच्छर, जमा पानी | प्लेटलेट्स घटाना, शरीर दर्द | उच्च |
| चिकनगुनिया | मच्छरों के माध्यम से | जोड़ों और मांसपेशियों में सूजन | मध्यम |
| त्वचा संक्रमण | गंदे पानी में लगातार संपर्क | खुजली, फोड़े-फुंसी | मध्यम |
फ्लड डिजीज से बचाव के लिए व्यावहारिक सावधानियां
Flood Diseases: कैसे करें बचाव और हेल्थ मैनेजमेंट
Flood diseases से बचाव के लिए दवाइयों पर निर्भरता के साथ सावधानी और जागरूकता भी बेहद जरूरी है। ऐसी परिस्थिति में सबसे बडी चुनौती स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता होती है। अगर शुद्ध बोतलबंद पानी उपलब्ध नहीं है, तो पानी को अच्छी तरह उबालकर ठंडा करें या फिर क्लोरीन टैबलेट (chlorine tablets) से शुद्ध करें।
बाढ़ क्षेत्रों में डायरिया, टाइफॉइड, हेपेटाइटिस A, मलेरिया, डेंगू और त्वचा संक्रमण मुख्य रूप से लोगों को प्रभावित करते हैं। हालांकि, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के लिए सुरक्षित स्थान पर रहना प्रमुख चुनौती रहती है लेकिन जितना हो सके संक्रामक बीमारियों और मच्छरों को रोकने के लिए उचित प्रयास करें। विशेषतौर से भोजन और पेयजल की स्वच्छता का ख्याल रखना चाहिए। क्षेत्र में स्थापित हेल्थकैंप के स्वास्थ्य कर्मियों के संपर्क में रहें और कोई भी स्वास्थ्य समस्या हो तो तत्काल उनसे संपर्क करें।
– डॉ. जुगल किशोर, कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ, सफदरजंग अस्पताल
व्यक्तिगत स्वच्छता (personal hygiene) का पालन करें। बाढ़ के पानी में नंगे पैर न उतरें, बार-बार हाथ धोएं, गीले कपड़े तुरंत बदलें और खाने को ढककर रखें। मच्छरों से बचाव करें। इसके लिए मच्छरदानी, रिपेलेंट और घर के आसपास जमा पानी हटाना जरूरी है। भोजन और जीवनशैली पर ध्यान दें। बासी या खुले में रखा भोजन ना खाएं, केवल ताजा और साफ-सुथरा खाना ही इस्तेमाल करें।
स्वास्थ्य विभाग और राहत टीम (Flood Relief Team) द्वारा दिए गए ओआरएस पैकेट (ORS) और दवाएं हमेशा पास रखें। अगर किसी में तेज बुखार, लगातार दस्त, उल्टी या प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल या राहत शिविर से संपर्क करना चाहिए। यह छोटे-छोटे कदम ही वास्तव में हजारों लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं।
बचाव के तरीके : Flood Diseases Prevention Steps
💧
Safe drinking water – उबला, फिल्टर किया हुआ या क्लोरीन युक्त पानी ही पिएं।
🧼
Personal hygiene – हाथ धोने की आदत डालें और शरीर सूखा रखें।
🦟
Mosquito control – पानी जमा न होने दें, मच्छरदानी और रिपेलेंट का उपयोग करें।
🥗
Food safety – कच्ची सब्जियां अच्छी तरह धोकर खाएं, बासी खाना न खाएं।
🏥
Medical help – राहत कैंप और स्वास्थ्य केंद्र से तुरंत संपर्क करें।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की भूमिका
सरकार और स्वास्थ्य विभाग बाढ़ के समय निवारक इंतजामों पर पूरी तरह सक्रिय रहते हैं। मोबाइल मेडिकल टीमें (Mobile Medical Teams) प्रभावित गांवों में जाती हैं, राहत शिविरों में ओआरएस, टीके और प्राथमिक दवाएं मुफ्त में बांटी जाती हैं। मच्छर नियंत्रण (Mosquito Control) के लिए दवा छिड़की जाती है और क्लोरीन टैबलेट बांटी जाती हैं ताकि दूषित पानी का असर (polluted water effects) कम हो।
निष्कर्ष (Conclusion)
Flood diseases बाढ़ के बाद सबसे बड़ी मानवीय चुनौतियों में से एक हैं। डायरिया से लेकर मलेरिया और डेंगू जैसे संक्रमण हजारों लोगों की जान ले सकते हैं। हालांकि समय रहते सावधानी बरतकर, साफ पानी का प्रयोग करके और स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देशों (health department guidelines) का पालन करके इन खतरों को कम किया जा सकता है।
आने वाले बरसों में यदि आधुनिक हेल्थ मैनेजमेंट और सामुदायिक जागरूकता को जोड़ा जाए तो बाढ़ प्रभावित इलाकों में मौतों की संख्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जिज्ञासा
Q1. Flood diseases क्या होती हैं?
बाढ़ के दौरान और बाद में दूषित पानी और मच्छरों से होने वाली बीमारियों को flood diseases कहते हैं।
Q2. बाढ़ क्षेत्रों में सबसे आम बीमारियां कौन सी हैं?
डायरिया, टाइफॉइड, हेपेटाइटिस A, मलेरिया, डेंगू और त्वचा संक्रमण मुख्य हैं।
Q3. बाढ़ में पीने का पानी कैसे सुरक्षित किया जाए?
पानी को उबालकर, फिल्टर करके या क्लोरीन टैबलेट डालकर सुरक्षित बनाया जा सकता है।
Q4. मच्छरों से बचाव का सबसे असरदार तरीका क्या है?
मच्छरदानी, रिपेलेंट, और जमा हुए पानी को हटाना सबसे असरदार उपाय हैं।
Q5. सरकार बाढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए क्या कदम उठाती है?
सरकार राहत शिविर, मोबाइल हेल्थ यूनिट, ओआरएस वितरण और मच्छर नियंत्रण अभियान चलाती है।