रविवार, जुलाई 27, 2025
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Dog Bite Death: दिल्ली के पूठकलां में बच्ची की मौत, रेबीज और इलाज में लापरवाही पर सवाल

भारत में हर साल करीब 5700 लोग रेबीज से मरते हैं। हर साल करीब 9 मिलियन एनिमल बाइट्स (जानवरों के काटने) के मामले सामने आते हैं, जिनमें से दो-तिहाई मामलों में कुत्तों की भागीदारी होती है।

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Edited By: Ankur Shukla

बच्ची की मौत ने फिर खड़ा किया सवाल : आवारा कुत्ते, रेबीज और स्वास्थ्य तंत्र

Dog Bite Death सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि भारत में एक जमीनी सच्चाई है, जहां आवारा कुत्तों का खतरा (delhi dog attack), रेबीज की जानकारी की कमी और इलाज में लापरवाही मिलकर मासूम जिंदगियों को निगल रही है।
Dog Bite Case Delhi : दिल्ली के बाहरी इलाके पूठकलां में 7 वर्षीय छवि शर्मा की दुखद मृत्यु (Dog Bite Death) इसी सच्चाई को उजागर करती है। यहां हम पूरे मामले की पड़ताल करेंगे और साथ ही यह समझेंगे कि रेबीज से मौत कैसे रोकी जा सकती है।

पूठकलां की घटना : 30 जून को Dog Bite, 25 जुलाई को मौत

Dog Bite Death: कुत्ते ने चार जगह काटा, अस्पताल ने दी पहली खुराक

30 जून को छवि शर्मा को एक आवारा कुत्ते ने हाथ और पैर में चार जगह काट लिया। परिजन तुरंत उसे रोहिणी स्थित आंबेडकर अस्पताल ले गए, जहां उसे एंटी रेबीज इंजेक्शन की पहली डोज दी गई।

तीसरे इंजेक्शन से पहले बिगड़ी हालत

इलाज का सिलसिला जारी था लेकिन तीसरे इंजेक्शन से पहले बच्ची को तेज बुखार और उल्टी की शिकायत होने लगी। तब उसे पहले आंबेडकर से आरएमएल और फिर सफदरजंग अस्पताल में रेफर किया गया।

सफदरजंग से जल्द छुट्टी, फिर हालत गंभीर

सफदरजंग अस्पताल में केवल एक दिन इलाज के बाद ही बच्ची को छुट्टी दे दी गई। 24 जुलाई को घर लौटने पर उसकी तबीयत दोबारा बिगड़ गई। 25 जुलाई की शाम को उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।

Dog Bite Death: परिवार का आरोप : ‘इलाज में गंभीर लापरवाही हुई’

बच्ची को नहीं मिली पूरी देखभाल

परिजनों का कहना है कि अगर समय पर पूरा और सही इलाज हुआ होता, तो बच्ची की जान बच सकती थी। सफदरजंग अस्पताल ने गंभीरता को नजरअंदाज किया और बच्ची को जल्द डिस्चार्ज कर दिया।

Dog Bite Death: चाचा-चाची का रो-रोकर बुरा हाल

Dog Bite Death: दिल्ली के पूठकलां में बच्ची की मौत, रेबीज और इलाज में लापरवाही पर सवाल
 दिल्ली के पूठकलां में बच्ची की मौत, रेबीज और इलाज में लापरवाही पर सवाल (File Photo)
छवि की मां का देहांत उसके जन्म के तुरंत बाद हो गया था। तब उसके चाचा ने उसे गोद लिया और कानपुर देहात से दिल्ली ले आए। बच्ची उनके साथ पूठकलां के नगर निगम स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ रही थी। उसकी मौत से परिवार सदमे में है।

Delhi Dog Attack : आवारा कुत्तों का खतरा और रेबीज की अनदेखी

हाई कोर्ट के निर्देश और सरकार की ढिलाई

2023 में दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण तेज किया जाए, और 2025 तक पुनर्वास नीति बनाई जाए। लेकिन हकीकत में ये प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं।

Dog Bite Death: आंकड़े बताते हैं गंभीरता

वर्ष 2020 से 2022 के बीच दिल्ली में 44,444 कुत्ते काटने के मामले दर्ज हुए। 2018–2022 में रेबीज से 37 मौतें हुईं। इससे पहले तुगलक लेन (2024) में 18 महीने की बच्ची और वसंत कुंज (2023) में दो बच्चों की मौत (rabies in children) भी बड़ी घटनाएं रहीं।
 

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ICMR और NIE की रिपोर्ट : रेबीज से मौतें रोकी जा सकती हैं

भारत में हर साल 5700 मौतें

ICMR‑NIE चेन्नई की रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर साल करीब 5700 लोग रेबीज से मरते हैं। हर साल करीब 9 मिलियन एनिमल बाइट्स (जानवरों के काटने) के मामले सामने आते हैं, जिनमें से दो-तिहाई मामलों में कुत्तों की भागीदारी होती है।

मौतों का मुख्य कारण : जागरूकता की कमी

रिपोर्ट के अनुसार, 50% से अधिक लोग कुत्ते के काटने के बाद प्राथमिक उपचार (dog bite treatment) नहीं लेते और कई लोग एंटी रेबीज इंजेक्शन (anti rabies injection) तक नहीं लगवाते। यह लापरवाही जानलेवा बन जाती है।

Dog Bite Death: ग्रामीण भारत सबसे अधिक प्रभावित

रेबीज से होने वाली अधिकतर मौतें ग्रामीण क्षेत्रों से आती हैं, जहां न तो जानकारी होती है, न सुविधाएं।

रेबीज 100% रोके जाने योग्य बीमारी है

NIE चेन्नई के डायरेक्टर डॉ. मनोज मुरहेकर का बयान

 

डॉ. मनोज मुरहेकर

डॉ. मनोज मुरहेकर : “रेबीज अगर समय पर पहचान ली जाए तो 100% रोकी जा सकती है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि काटने के तुरंत बाद घाव को अच्छे से धोया जाए और समय पर ARV (Anti Rabies Vaccine) दी जाए।”

बचाव के उपाय जो हर किसी को पता होने चाहिए

कुत्ते के काटने के बाद क्या करें?

  • घाव को 10–15 मिनट तक साबुन और पानी से धोएं

तुरंत अस्पताल जाएं

  • एंटी रेबीज इंजेक्शन (ARV) लगवाएं
  • Category-3 घाव (गहरा, खून वाला) होने पर Rabies Immunoglobulin (RIG) भी लगवाएं
  • घाव पर कोई देसी नुस्खा या घरेलू चीज़ न लगाएं
  • काटने वाले जानवर पर 10 दिन तक नज़र रखें

पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण

  • अगर आपके पास पालतू कुत्ता है, तो उसे समय-समय पर रेबीज का टीका अवश्य लगवाएं।

सरकार का लक्ष्य : 2030 तक रेबीज से ‘शून्य मौतें’

WHO और भारत सरकार की साझेदारी

भारत सरकार ने WHO के सहयोग से 2030 तक रेबीज से होने वाली सभी मौतें रोकने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए:
  • स्थानीय प्रशासन
  • पशुपालन विभाग
  • स्वास्थ्य मंत्रालय
  • NGOs
सभी मिलकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

जरूरी है सामूहिक भागीदारी

  • रेबीज को हराने के लिए सिर्फ सरकार नहीं, हर नागरिक को भी सतर्क और जागरूक रहना होगा।

जिज्ञासा

Q1. कुत्ता काटने पर सबसे पहले क्या करें?

घाव को तुरंत 10–15 मिनट तक साबुन और पानी से धोएं, फिर अस्पताल जाएं।

Q2. क्या सभी काटने पर RIG की ज़रूरत होती है?

Category-3 (गहरा/खून वाला) घाव में RIG जरूरी होता है।

Q3. रेबीज से मौत को कैसे रोका जा सकता है?

समय पर प्राथमिक उपचार और ARV + RIG लेने से रेबीज पूरी तरह रोकी जा सकती है।

Q4. सरकारी अस्पताल में इलाज मुफ्त है?

अधिकतर सरकारी अस्पतालों में ARV और RIG मुफ्त में उपलब्ध हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

 caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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Pooja Mishra
Pooja Mishrahttps://www.caasindia.in
"Pooja Mishra is a passionate journalist with 3 years of experience in the field of reporting and storytelling. She loves expressing through words, singing soulful tunes, and exploring adventurous destinations. Her curiosity and creativity fuel her journey in journalism."
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