गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरने लगी है यह बीमारी
Asbestos Lung Cancer India : भारत में फेफड़े के कैंसर (lung cancer) के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। खासतौर पर श्रमिकों और महिलाओं में यह बीमारी अब कम उम्र में ही पाई जा रही है।
हाल ही में एम्स (AIIMS) और आईसीएमआर (ICMR) के एक अध्ययन में जो खुलासे हुए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। शोध के मुताबिक passive smoking भारत में गंभीर चिंता पैदा करने वाली वजह बनकर उभर रहा है। वहीं, “asbestos lung cancer india” अब एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है।
क्या कहती है स्टडी रिपोर्ट
भारत में महिलाओं में फेफड़े के कैंसर (lung cancer in women india) के बढ़ते मामलों को लेकर हाल ही में एक गंभीर चेतावनी सामने आई है।
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) और ICMR के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (NCDIR) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, महिलाएं पुरुषों के मुकाबले औसतन पांच साल कम उम्र में फेफड़े के कैंसर की शिकार हो रही हैं।
इस alarming ट्रेंड के पीछे प्रमुख वजहें हैं पैसिव स्मोकिंग (passive smoking effects) और बायोमास ईंधन (biomass smoke cancer) का लंबे समय तक संपर्क।
पैसिव स्मोकिंग (Passive Smoking) से फेफड़ों पर गंभीर असर
आँकड़ा | विवरण |
1.3 प्रतिशत महिलाएं | भारत में सक्रिय रूप से धूम्रपान करने वाली महिलाएं |
37.5 प्रतिशत महिलाएं | भारत में पैसिव स्मोकिंग (दूसरों के धुएं) का शिकार |
मुख्य कारण | घर में पुरुषों द्वारा धूम्रपान करना |
प्रभाव | महिलाओं के फेफड़ों में प्रत्यक्ष रूप से धुआं प्रवेश, जिससे कैंसर कारक रसायनों का लगातार संपर्क |
स्रोत – AIIMS-ICMR Report
महिलाओं में फेफड़े के कैंसर का नया कारण: रसोई और दीवारों का छुपा जहर
अधिकांश लोग यही मानते हैं कि फेफड़े का कैंसर सिर्फ धूम्रपान करने वालों को ही होता है। लेकिन नई रिसर्च बताती है कि ऐसा नहीं है। देश की लाखों महिलाएं जो खुद कभी धूम्रपान नहीं करतीं, वे भी फेफड़े के कैंसर की शिकार हो रही हैं।
ग्रामीण भारत में खाना बनाने के लिए लकड़ी, उपले और कोयला जैसे बायोमास ईंधनों का वर्षों तक उपयोग हुआ है। इनके जलने से निकलने वाले रसायन जैसे – ब्यूटाडीन, साइक्लोपेंटेन, पायरीन और एन्थ्रासीन महिलाओं में lung cancer risk factors के प्रमुख स्रोत बनते हैं। उज्ज्वला योजना के बाद हालात कुछ हद तक सुधरे हैं, लेकिन समस्या अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
पैसिव स्मोकिंग : दूसरों की आदत, आपकी बीमारी
शोध में पाया गया कि सिर्फ 1.3 प्रतिशत महिलाएं खुद धूम्रपान करती हैं, लेकिन लगभग 37 प्रतिशत महिलाएं पैसिव स्मोकिंग यानी दूसरों के धुएं का शिकार होती हैं। जब घर के पुरुष सदस्य बीड़ी या सिगरेट पीते हैं तो उनका धुआं महिलाओं के फेफड़ों तक पहुंचता है। यह धुआं लंबे समय तक फेफड़ों में जमा होकर कैंसर पैदा कर सकता है।
एडवांस स्टेज में पहुंच रहे हैं मरीज
स्थिति | प्रतिशत (%) | विवरण |
एडवांस स्टेज में पहुंचे मरीज | 50.7% | आधे से ज्यादा मरीज एडवांस स्टेज में अस्पताल पहुंचे |
शुरुआती स्टेज में सर्जरी हुई पुरुष मरीज | 5.9% | केवल शुरुआती स्टेज के पुरुष मरीज जिनकी सर्जरी हो पाई |
शुरुआती स्टेज में सर्जरी हुई महिला मरीज | 8.4% | शुरुआती स्टेज की महिला मरीज जिनकी सर्जरी हो पाई |
एडवांस स्टेज मरीजों को मिला पैलिएटिव केयर | 77.7% | एडवांस स्टेज के मरीजों को केवल दर्द प्रबंधन (pain management) |
स्रोत – AIIMS-ICMR Report
रसोई का धुआं और बायोमास ईंधन: महिलाओं का अदृश्य दुश्मन
गांवों और छोटे कस्बों में आज भी लाखों महिलाएं लकड़ी, उपले और कोयले से खाना बनाती हैं। इस प्रक्रिया में जो धुआं निकलता है, उसमें खतरनाक रसायन होते हैं जो सीधे फेफड़ों में जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इसे भी “ asbestos lung cancer india” का बड़ा कारक माना है।
Lung Cancer in Women India : महिलाओं में कम उम्र में शुरू हो रही बीमारी
महिलाओं में फेफड़े का कैंसर औसतन 45-69 वर्ष की उम्र में सामने आ रहा है, जबकि पुरुषों में यह उम्र 50-74 वर्ष रही। इससे यह स्पष्ट है कि महिलाएं कम उम्र में इस घातक बीमारी की शिकार हो रही हैं।
Lung Cancer Statistics India: पुरुषों बनाम महिलाओं में कैंसर का आंकड़ा
पुरुषों में तंबाकू सेवन मुख्य वजह
श्रेणी | आंकड़ा |
अध्ययन अवधि | वर्ष 2012 से 2019 |
अध्ययन स्थान | देशभर के 96 कैंसर अस्पताल |
कुल मरीजों की संख्या | 45,228 |
पुरुष मरीजों की संख्या | 34,395 |
महिला मरीजों की संख्या | 10,833 |
पुरुषों में धूम्रपान करने वाले | 23 प्रतिशत |
बीड़ी से फेफड़े के कैंसर का जोखिम | 2.64 गुना अधिक |
सिगरेट से फेफड़े के कैंसर का जोखिम | 2.23 गुना अधिक |
स्रोत – AIIMS-ICMR Report
क्या होता है एस्बेस्टस और कैसे बनता है जानलेवा जहर?

“Asbestos” एक प्रकार का रेशा है, जो पुराने घरों की छतों, पानी की टंकियों और इमारतों की दीवारों में इस्तेमाल होता रहा है। जब ये रेशे टूटते हैं तो हवा में फैल जाते हैं। सांस के जरिए जब ये फेफड़ों में पहुंचते हैं तो वहां सालों तक जमा रह सकते हैं।
Asbestos Lung Cancer India : सालों बाद दिखते हैं लक्षण
सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि asbestos का असर तुरंत नजर नहीं आता। कई बार 20 से 30 साल बाद इसके लक्षण दिखते हैं। शुरुआत में खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण होते हैं। धीरे-धीरे यह गंभीर फेफड़े के कैंसर का रूप ले लेता है।
Mesothelioma: एस्बेस्टस से होने वाला दुर्लभ कैंसर
“Asbestos lung cancer india” के साथ एक और खतरनाक बीमारी जुड़ी है—mesothelioma। यह कैंसर फेफड़ों की बाहरी परत में होता है। भारत में mesothelioma के मामले अभी कम हैं, लेकिन आने वाले समय में इसके बढ़ने का खतरा है।
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Asbestos Lung Cancer India : क्यों मुश्किल है इलाज?
फेफड़े के कैंसर का सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसके लक्षण तब तक सामने नहीं आते जब तक बीमारी गंभीर स्टेज में न पहुंच जाए। जब मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, तब तक बीमारी फैल चुकी होती है।
देर से होता है निदान
एम्स और आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, आधे से ज्यादा मरीज उस वक्त अस्पताल पहुंचे जब कैंसर एडवांस स्टेज में था। शुरुआती स्टेज में इलाज आसान होता है लेकिन भारत में ऐसे मरीजों की संख्या बेहद कम है।
Asbestos Lung Cancer India : सर्जरी की कम संभावना
रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती स्टेज के सिर्फ 6 से 8 प्रतिशत मरीजों की ही सर्जरी हो पाई। ज्यादातर मरीजों का इलाज कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से ही किया गया।
Asbestos Lung Cancer India : बचाव ही सबसे बड़ा इलाज
इस गंभीर स्थिति से बचने का एकमात्र तरीका है सावधानी।
- घर में धूम्रपान पूरी तरह बंद करें
- अगर परिवार में कोई सदस्य धूम्रपान करता है तो उसे तुरंत रोकें। पैसिव स्मोकिंग का असर उतना ही खतरनाक है जितना कि खुद धूम्रपान करना।
साफ ईंधन का इस्तेमाल करें
जहां तक हो सके, खाना बनाने के लिए LPG या अन्य स्वच्छ ईंधनों का उपयोग करें। उज्ज्वला योजना के तहत सरकार ने कई ग्रामीण परिवारों को गैस कनेक्शन दिए हैं। इसका पूरा लाभ उठाएं।
घर की पुरानी छतों और दीवारों की जांच कराएं
अगर आपके घर में पुरानी asbestos की छत या टैंक है तो उसकी जांच किसी विशेषज्ञ से कराएं। जरूरत हो तो उसे हटवाएं।
समय-समय पर स्वास्थ्य जांच
अगर लगातार खांसी, सांस लेने में दिक्कत या सीने में दर्द जैसी शिकायतें हो रही हैं तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।
निष्कर्ष
“ asbestos lung cancer india” आज भारत में एक छुपा हुआ लेकिन बड़ा खतरा बन चुका है। यह बीमारी सिर्फ धूम्रपान करने वालों की नहीं रह गई है। रसोई का धुआं, पैसिव स्मोकिंग और पुराने घरों की दीवारों में छुपा जहर अब महिलाओं और बच्चों तक पहुंच रहा है। समय रहते जागरूकता और सावधानी ही इससे बचाव का सबसे असरदार तरीका है।