Autoimmune Disease Treatment की दिशा में मिली महत्वपूर्ण कामयाबी
नई दिल्ली। ऑटोइम्यून बीमारियों के उपचार (Autoimmune Disease Treatment) की दिशा में वैज्ञानिकों को एक बडी कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों को दावा है कि वे एक ऐसे वैक्सीन (Vaccines that reverse autoimmune diseases) पर काम कर रहे हैं, जो ऑटोइम्यून बीमारियों को रिवर्स करने में सक्षम होगी। इनवर्स (inverse) नाम से बनाए गए इस वैक्सिन ने माउस मॉडल ट्रायल (mouse model trials) में ऑटोइम्यून बीमारी को पूरी तरह से रिवर्स कर दिया है। इस कामयाबी से वैज्ञानिक बेहद उत्साहित हैं और इसके हृयूमन ट्रायल (human trial) की पूरे उत्साह से तैयारी में जुटे हुए हैं।
ऐसे काम करती है Autoimmune Disease को रिवर्स करने वाली वैक्सीन

अध्ययन के दौरान, शोधकर्ताओं ने एक नए प्रकार की वैक्सीन विकसित की है। जिसे इनवर्स (inverse) नाम दिया गया है। शिकागो विश्वविद्यालय (University of Chicago) के प्रिट्जकर स्कूल ऑफ मॉलिक्यूलर इंजीनियरिंग (Pritzker School of Molecular Engineering) में टिशू इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. जेफरी हबबेल (Dr. Jeffrey Hubbell) के मुताबिक, एक नियमित वैक्सीन कोशिकाओं के निर्माण के लिए प्रतिरक्षा कोशिका सक्रियण (immune cell activation) को प्रेरित करता है, जो संक्रमित कोशिकाओं को मार सकती हैं।
इसके साथ यह एंटीबॉडी भी उत्पन्न कर सकती हैं। जिससे संक्रमित करने वाले वायरस को निष्क्रिय किया जा सकता है। हबबेल ने मेडिकल न्यूज टुडे से बातचीत के दौरान यह कहा कि, “इनवर्स वैक्सीन ऐसी प्रतिरक्षा को कम करने में सक्षम है।”
उन्होंने कहा कि “ऑटोइम्यून बीमारियों को हम रिवर्स करने वाली वैक्सीन (Vaccines that reverse autoimmune diseases) की तलाश में जुटे हुए थे। जो ऐसी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को निष्क्रिय करने में सक्षम हो, जो गलती से अपने ही शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमलावर हो जाते हैं। वैक्सीन के जरिए हम ऐसी कोशिकाएं भी विकसित करें जो जो प्रतिरक्षा को और कम करने के लिए कार्य कर सकें। जिन्हें नियामक टी कोशिकाएं कहा जाता है।” इनवर्स वैक्सीन के माध्यम से वैज्ञानिक शरीर की संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली को निष्क्रिय किए बिना ऐसा करने में सक्षम थे।
ऐसे किया गया इनवर्स वैक्सीन का परीक्षण
इनवर्स (inverse) से संबंधित परीक्षण में हबबेल और उनकी टीम ने ऑटोइम्यून एन्सेफेलोमाइलाइटिस (autoimmune encephalomyelitis) नामक मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis) जैसी बीमारी के लिए चूहों पर परीक्षण किया। इन दोनों बीमारियों में प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से माइलिन (myelin) पर हमला करती है।
जो रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क सहित शरीर की नसों के चारों ओर एक सुरक्षात्मक आवरण बनाती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि जब इनवर्स वैक्सीन लगाया गया, तब प्रतिरक्षा प्रणाली ने माइलिन पर हमला करना बंद कर दिया। इससे नसें सही ढंग से काम करने लगीं और चूहों में रोग के लक्षण रिवर्स हो गए। हबबेल मुताबिक, “शरीर में ऑटोइम्यूनिटी को नियंत्रित करने के लिए कई सिस्टम हैं।”
“ऐसा ही एक सिस्टम हमारी अपनी उम्र बढ़ने और मरने वाली कोशिकाओं के प्रति स्वप्रतिरक्षी प्रतिक्रियाओं (autoimmune reactions) को रोकता है। लिवर के माध्यम से रक्त में ऐसी कोशिकाओं को विशेष कोशिकाओं द्वारा साफ किया जाता है और इस तरह से संसाधित (processed) किया जाता है, जो मरने वाले कोशिका मलबे के प्रति सहिष्णुता पैदा करता है।
उन्होंने कहा, “हमारे दृष्टिकोण में, हमने ऐसे अणु (molecule) बनाए हैं, जो मरने वाली कोशिकाओं के मलबे की तरह दिखते हैं और उन प्रोटीनों को सहन करते हैं, जो एक विशेष ऑटोइम्यून बीमारी में हमला करते हैं।” “यह सहनशीलता बनाए रखने के लिए शरीर द्वारा उपयोग किए जाने वाले तंत्रों में से एक को हाईजैक कर लेता है।” इस अध्ययन को हाल ही में नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
Also Read : Ankylosing Spondylitis है और कार चलाते हैं? ये 7 Management Tips आपकी राह बना सकते हैं आसान
100 से अधिक प्रकार की होती है ऑटोइम्यून बीमारियां
प्रमुख ऑटोइम्यून बीमारियां :
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis)
- टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes)
- रूमेटाइड गठिया (Rheumatoid Arthritis)
- लुपस (Lupus)
- सीलिएक रोग (Celiac Disease)
- क्रोहन रोग (Crohn’s Disease)
- एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis)
- हाशिमोटो का थायरॉयडिटिस (Hashimoto’s Thyroiditis)
- स्जोग्रेन सिंड्रोम (Sjogren’s Syndrome)
- सूजा आंत्र रोग (inflammatory bowel disease)
- सोरायसिस (Psoriasis)
ऑटोइम्यून बीमारियों के अध्ययन में अगला कदम क्या है?
इनवर्स टीका आमतौर पर मरीजों के लिए कबतक उपलब्ध होगा, यह पूछे जाने पर हबेल ने कहा कि कुछ बीमारियों पर परीक्षण पहले से ही शुरू किया जा चुका है। उन्होंने कहा, “इस पेपर में प्रस्तुत सामान्य दृष्टिकोण वर्तमान में सीलिएक रोग और मल्टीपल स्केलेरोसिस में नैदानिक परीक्षण के लिए हैं।
हम उन परिणामों को देखने के लिए उत्साहित हैं, जो इन अध्ययनों के माध्यम से सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि “मेरी प्रयोगशाला में, हम मल्टीपल स्केलेरोसिस, टाइप 1 मधुमेह, एलर्जिक अस्थमा और खाद्य एलर्जी जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों के साथ जन्मजात बीमारियों के उपचार के लिए प्रतिरक्षा को रोकने वाली दवाओं की खोज में जुटे हुए हैं। यह अक्सर इम्यूनोजेनिक होती हैं।”
[table “9” not found /][table “5” not found /]