रविवार, नवम्बर 2, 2025
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Body Donation Event: गोरख पार्क बना देहदानियों के संकल्प का साक्षी

इस समारोह (Body Donation Event) में देहदान के सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई।

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मानव सेवा हेतु मृत्यु के बाद लोगों ने लिया देहदान का संकल्प

Body Donation Event में एक मंच से बडी संख्या में लोगों ने ‘मृत्यु के बाद भी जीने का संकल्प’ (dehdaan pledge) लिया। शाहदरा के गोरखपार्क (Gorakh Park in Shahdara, Delhi) में श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर प्रांगण में देहदानियों का यह मेला सामाजिक चेतना को जागृत करने का ऐसा संकल्प उत्सव बन गया, जिसमें मानवीय संवेदनाओं की अनूठी मिसाल पेश की गई। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि मानवहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाला एक यज्ञ साबित हुआ।
स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज के अथक प्रयासों से आयोजित इस देहदान संकल्प उत्सव (Body Donation Event) की शुरूआत दीप प्रज्वलन से हुई और भजन गायन और संतों के उद्बोधनों से कार्यक्रम अपनी सार्थकता की ओर बढती चली गई।

Body Donation Event : दधीचि देहदान समिति की अहम भूमिका

डॉ. शेफाली मदान

“देहदान मेडिकल एजुकेशन और रिसर्च के लिए बेहद जरूरी है। इससे आने वाली पीढ़ियों को बेहतर इलाज और बेहतर चिकित्सक मिलेंगे।”

— डॉ. शेफाली मदान
आर्मी कॉलेज एंड मेडिकल साइंस
इस समारोह (Body Donation Event) में देहदान के सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई। इस मौके पर कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार साझा करते हुए देहदान-अंगदान को मानवता के सर्वोच्च दान बताया।
संत श्रीनिवासन तंबूरान ने कहा कि, “आज की युवा पीढ़ी को देहदान जैसी पुण्य मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। यह सेवा सिर्फ समाज को ही नहीं, बल्कि स्वयं की आत्मा को भी शांति देती है।”
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा (Union Minister of State Harsh Malhotra), विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार (Alok Kumar, International President of Vishwa Hindu Parishad), स्वामी श्रीनिवासन तंबूरान जी, डॉ. शेफाली मदान (Army College and Medical Science), डीसीपी संदीप लांबा और कई अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
स्वामी राजेश्वरानंद महाराज

“आत्मा को काटा नहीं जा सकता, जलाया नहीं जा सकता लेकिन शरीर को कोई बचा नहीं सकता। मृत्यु के बाद जब आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है, तो शरीर को परमार्थ के कार्य में दान करने से बड़ा कोई पुण्य नहीं है।”

— स्वामी राजेश्वरानंद महाराज
दधीचि देहदान समिति (Dadhichi Dehdaan samiti) ने इस आयोजन को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। समिति के उत्तर-पूर्वी जिलाध्यक्ष अशोक बंसल, अमित गर्ग, सुधीर गुप्ता और विश्वास शुक्ल ने वर्षों पहले इस मुहिम को आगे बढाने का संकल्प ले चुके हैं। इनके प्रयासों से सैकड़ों लोग नेत्रदान (Eye donation), अंगदान (Organ Donation) और देहदान का संकल्प (Body Donation Event) भी कर चुके हैं।
आलोक कुमार

“स्वामी राजेश्वरानंद जी का यह संकल्प नई दिशा प्रदान करेगा। देहदान भी अंत्येष्टि का ही एक रूप है जिससे मृत्यु पश्चात भी संपूर्ण मानव जाति का कल्याण संभव है। सभी देहदानियों को मेरा नमन।”

— आलोक कुमार, अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष,
विश्व हिंदू परिषद

Body Donation Event : 61 लोगों ने लिया देहदान का संकल्प

गोरखपार्क में आयोजित इस कार्यक्रम (East Delhi Event) को आयोजित करने का उद्देश्य लोगों को देहदान-अंगदान के लिए प्रेरित करना था। जिसमें 61 लोगों ने मृत्यु के बाद अपने देह और अंगों को दान करने का महासंकल्प लेकर संकल्प उत्सव की सार्थकता सिद्ध कर दी। बाल कलाकार मिश्रा बंधु के मधुर भजनों से श्रोता मुग्ध हुए तो 61 देहदानियों के सामूहिक रूप से गायत्री मंत्र के जाप ने अलौकिक दिव्यता का अहसास कराया।

विशेष उपस्थिति और सहयोग

इस आयोजन में निगम पार्षद रितेश सूजी, रीना माहेश्वरी, डॉ. मोंगा, महेश पंत, विशाल चढ्ढा सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे। इनके अलावा पत्रकार, पुलिस अधिकारी और आम नागरिक भी शामिल हुए। आयोजन के अंत में सनातन संस्था की ओर से लोगों को भोजन कराया गया।

हर्ष मल्होत्रा

“Doctors research हेतु देहदान अति महत्वपूर्ण है। इससे नए-नए रोगों की रोकथाम और इलाज के नए आयाम खुलते हैं। यह सिर्फ चिकित्सा विज्ञान ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए वरदान है।”

— हर्ष मल्होत्रा, केंद्रीय राज्य मंत्री,
भारत सरकार

Organ Donation : निष्कर्ष

शाहदरा के गोरखपार्क में आयोजित body donation event ने यह साबित कर दिया कि मृत्यु अंत नहीं है, बल्कि एक नए आरंभ का अवसर है। स्वामी राजेश्वरानंद महाराज और दधीचि देहदान समिति की इस पहल ने समाज को यह संदेश दिया कि शरीर का दान कर मनुष्य महादानी होने का गर्व और गौरव प्राप्त कर सकता है।
हालांकि, अंगदान और देहदान के प्रति भारत में जागरूकता अभी सीमित है, लेकिन इस तरह के आयोजन आने वाले समय में निश्चय ही बड़ी संख्या में लोगों को प्रेरित करेंगे।

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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