Sunday, February 16, 2025
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Chronic kidney disease (CKD) : सास (Mother-in-law) ने ‘बहू को दिया नया जीवन’

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुमानित आंकडों के मुताबिक,  भारत में लगभग 2,20,000 लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत (Kidney transplant needs) होती है

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End-stage renal disease (ESRD) से जूझ रही थी बहु

Chronic kidney disease (CKD): Mother-in-law gives new life to daughter-in-law, mother-in-law donate kidney to daughter-in-law : अक्सर आपने सास-बहुओं के झगडों के बारे में ही ज्यादा सुना होगा लेकिन सास-बहु के बीच मजबूत पारिवारिक संबंध का सबसे बडा उदाहरण तब सामने आया, जब एक सास ने End-stage renal disease (ESRD) से जूझती अपनी बहु के जीवन को उबार लिया। बहु को किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant) की जरूरत थी और इस समस्या से उबारने के लिए सास ने अपनी बहु को अपना किडनी दे दिया।

2 लाख लोगों को होती है किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत

Mother in Law Kidney Donation News in Hindi

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुमानित आंकडों के मुताबिक,  भारत में लगभग 2,20,000 लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट  की जरूरत (Kidney transplant News) होती है लेकिन देशभर के स्वास्थ्य संस्थानों सलाना लगभग 7,500 किडनी ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं। जिससे यह पता चलता है कि जरूरत और उपलब्धता के बीच कितना बडा अंतर है।
Chronic kidney disease (CKD) : सास ने बहू को दिया नया जीवन
Chronic kidney disease (CKD) : सास ने बहू को दिया नया जीवन- mother in law kidney donation news
कई लोग लंबे समय तक अंगदान मिलने और ट्रांसप्लांट कराने की प्रतीक्षा करते हुए दम तोड देते हैं, क्योंकि उन्हें समय रहते अंग प्राप्त नहीं हो पाता। इसलिए विशेषज्ञ मानव अंगदान के लिए समय-समय पर जागरुकता अभियान चलाने की वकालत करते हैं।
 
2021 में, प्रायोगिक और नैदानिक ​​प्रत्यारोपण (Experimental and clinical transplantation) पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में जीवित अंग प्रत्यारोपण (Live transplantation) में एक महत्वपूर्ण लिंग अंतर (Gender difference) का खुलासा किया। 2019 के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए, यह पाया गया कि 80% अंगदाता महिलाएं थीं। जबकि 80% अंग प्राप्तकर्ता पुरुष थे।

हेपेटाइटिस सी ने बढा दी थी चुनौती

Mother-in-law Donate Kidney to Daughter-in-Law

रीना ने अपनी समस्या (Chronic kidney disease) के लिए मेरठ के यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Yashoda Super Specialty Hospital of Meerut) से संपर्क किया था। इस दौरान उन्होंने एक दूसरे व्यक्ति से भी परामर्श किया, जिनका एक साल पहले किडनी प्रत्यारोपित किया गया था।
 
रीना की स्थिति का मूल्यांकन डॉ प्रजीत मजुमदार (Dr. Prajit Mazumdar) और डॉ इंद्रजीत (Dr. Indrajit) के नेतृत्व में नेफ्रोलॉजी टीम ने किया। उन्हें Chronic kidney disease (CKD) के लिए विभिन्न उपचार विकल्पों और गुर्दे के प्रत्यारोपण (Renal transplantation) के लाभों के बारे में बताया गया। रीना हेपेटाइटिस सी (hepatitis C) से भी पीडित थी, इसलिए उनका मामला अधिक चुनौतिपूर्ण था।

हेपेटाइटिस सी से बढती है संक्रमण की संभावना

विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney transplant News) वाले मरीज को हेपेटाइटिस सी (hepatitis C) भी हो तो यह संक्रमण की संभावना (Probability of infection) को बढा देता है। मरीज की सर्जरी जटिलताएं भी बढ जाती है। हेपेटाइटिस सी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को प्रभावित कर सकता है।
 
ऐसे में शरीर द्वारा अंग को अस्वीकार कर देने की संभावना बढ जाती है। इसके अलावा लिवर डैमेज (Liver damage) होने का भी जोखिम बना रहता है। संभावित खतरों से बचने के लिए ऐसी स्थिति में डॉक्टर पहले हेपेटाइटिस सी का उचित उपचार (Hepatitis C treatment) प्रदान करते हैं।
 
रीना के मामले में भी पहले हेपेटाइटिस सी का उपचार किया गया। गहन मूल्यांकन के बाद उनकी सास को मैचिंग डोनर (mother in law kidney donation news) पाया गया। यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल कौशांबी (Yashoda Super Specialty Hospital Kaushambi) में डॉ वैभव सक्सेना (Dr. Vaibhav Saxena), डॉ नीरन राव (Dr. Neeran Rao) और डॉ कुलदीप अग्रवाल (Dr. Kuldeep Aggarwal) की देखरेख में यूरोलॉजी टीम ने सफल किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी (Successful kidney transplant surgery) को अंजाम दिया।
 
इस पूरे घटनाक्रम में सास की भूमिका तारीफ के काबिल है। जिन्होंने अपनी किडनी बहु को दान कर दी। यह पारिवारिक संबंधों में संवेदनशीलता और मजबूत संबंधों का एक बेहतर उदाहरण है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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