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आत्मविश्वास के साथ Ankylosing Spondylitis का सामना करें

Ankylosing Spondylitis से पीड़ित रोगियों के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति बहुत महत्वपूर्ण है

नई दिल्ली।टीम डिजिटल : कई स्टडी में यह साबित हो चुका है कि एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस  (ankylosing spondylitis) से पीड़ित रोगियों के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति बहुत महत्वपूर्ण है। अनुसंधान (Research) ने यह भी साबित किया है कि अधिकांश एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS)  पीड़ित अवसाद (Depression) की चपेट में आ जाते हैं। हमें ऐसी स्थिति से हर तरह से बचना चाहिए। अगर हम इस स्थिति से नहीं बचते हैं, तो परिणाम कई तरह से समस्याएं पैदा कर सकता है।

इन बातों का रखें ख्याल:

नकारात्मकता मानव मस्तिष्क, शरीर और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। जितना हो सके नकारात्मकता से दूर रहें। जितना हो सके खुद को खुश रखें। अगर नेगेटिविटी भी हावी है तो अपने मन में यह संदेश दें कि सब कुछ अच्छा ही होगा।

अपने आप को कम मत समझना:

एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (ankylosing spondylitis) से पीड़ित कुछ रोगियों की शारीरिक संरचना (POSCHURE) प्रभावित होती है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह चिंताजनक स्थिति है। इस स्थिति में रोगी बहुत संवेदनशील हो जाता है। उसके मन में कई तरह के नकारात्मक विचार आते हैं। मुझे देखकर लोग क्या कहेंगे? लोग मेरा मजाक उड़ाएंगे लोग मुझ पर हंसेंगे? अगर मैं बाहर निकला तो मैं लोगों का सामना कैसे कर सकता हूं?

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मस्तिष्क में चलने वाली नकारात्मक विचारों की ये तरंगें रोगी को भीतर तक तोड़ देती हैं। इसका परिणाम क्या है?

रोगी रिश्तेदारों, दोस्तों और समाज से दूर होने लगता है और खुद को नकारात्मकता के पिंजरे में कैद कर लेता है। नकारात्मक सोच की वजह से स्थिति उतनी गंभीर नहीं होती जितनी आप बनाते हैं।क्या आपने कभी सोचा है कि अंधेपन से पीड़ित व्यक्ति इस दुनिया में कैसे रह रहा है?

शारीरिक दुर्बलता होते हुए भी देश के खिलाड़ी एशियाई खेलों जैसी प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम कैसे रोशन हो रहा है? विपरीत परिस्थितियों सामना पूरे भी आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति से करें ।तो लोग आपके बारे में क्या कहेंगे और क्या सोचते हैं, इस विचार को दिल और दिमाग से निकाल देना ही बेहतर है।ऐसा सोचकर आप अपने जीवन के साथ अन्याय करेंगे।

कुछ लोग कहेंगे… लोगों का काम है कहना…!!

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ऐसे नेगेटिविटी से खुद को करें दूर:

– अपनी क्षमताओं को महसूस करें।

– अपने शरीर को महसूस करो।

– नकारात्मक विचार आने पर अच्छे विचार सोचकर नकारात्मक विचारों का सामना करें।

– ध्यान करें।

– अपने दिमाग और दिल को समझाने की कोशिश करें कि आप खास हैं, कमजोर नहीं.h

– अपने सबसे अच्छे दोस्त या परिवार के सदस्यों के साथ अपने दिल की बात शेयर करें।

– नकारात्मक वातावरण और टिप्पणियों से भावनात्मक रूप से प्रभावित न हों, बल्कि इसके साथ संघर्ष करें। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।

आत्मविश्वास के साथ Ankylosing Spondylitis का सामना करें


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