CSIR CEERI पिलानी (Pilani) के वैज्ञानिकों ने विकसित की IoT-सक्षम पोर्टेबल एंडोस्कोप तकनीक
CSIR CEERI Pilani scientists develop IoT-enabled portable endoscope technology : जटिल सर्जरी (Complex surgery) को सुरक्षित और प्रभावी (Safe and effective) बनाने के लिए CSIR CEERI पिलानी (Pilani) के वैज्ञानिकों ने IoT-सक्षम पोर्टेबल एंडोस्कोप तकनीक (IoT-enabled portable endoscope technology) को विकसित किया है। इस तकनीक से खासतौर से भारत के दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर और आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं को उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
CSIR CEERI : कमर दर्द की सर्जरी में विशेष लाभ
वैज्ञानिकों के मुताबिक, कमर दर्द से पीडित जिन मरीजों को सर्जरी की जरूरत होती है, वे इस तकनीक से सर्जरी कराने पर जल्दी रिकवर कर सकते हैं। पोर्टेबल एंडोस्कोप (Portable Endoscope) को मिनिमली इनवेसिव सर्जरी (Minimally Invasive Surgery) के लिए विशेषतौर पर डिजाइन किया गया है।

इस उपकरण की विशेषता (Characteristics of the device) यह है कि पारंपरिक एंडोस्कोप की तुलना में यह छोटा और हल्का है। इसमें IoT (Internet of Things) कनेक्टिविटी की सुविधा भी बहाल की गई है। इस तकनीक की मदद से डॉक्टर दूर बैठे मरीजों की भी सर्जरी भी कर सकते हैं और मरीज विशेषज्ञों से तत्काल सलाह भी ले सकते हैं।
उपकरण में हाई-रेजोल्यूशन इमेजिंग सिस्टम (High-resolution imaging system) भी लगाए गए हैं, जिससे सर्जरी के दौरान उच्च गुणवत्ता वाली और स्पष्ट तस्वीरें मिलती है। यह उपकरण किफायती भी है। जिससे क्लीनिकों और छोटे अस्पतालों में इसका इस्तेमाल सुलभ हो पाएगा।
सर्जरी में मानव त्रुटियों की संभावना हो जाएगी कम
इस डिवाइस की मदद से की जाने वाली सर्जरी में मानव त्रुटियों की संभावना (Possibility of human errors in surgery) भी काफी कम हो जाएंगी। इसके साथ जुडे दूसरे उपकरणों की मदद से सर्जरी के दौरान रियल टाइम मॉनिटरिंग (Real Time Monitoring) करना भी संभव होगा। जिससे सर्जरी की सटीकता और प्रभाव (Accuracy and effect of surgery) बढ जाएगी।
CSIR CEERI पिलानी के निदेशक डॉ. पीसी पंचारिया (Dr. PC Pancharia) के मुताबिक, IoT-सक्षम पोर्टेबल एंडोस्कोप (IoT-enabled portable endoscope) की तकनीक येलो मेडी प्लस प्राइवेट लिमिटेड (Yellow Medi Plus Pvt Ltd) को ट्रांसफर की गई है।
डॉ पंचारिया के अनुसार, इस तकनीक के साथ, देशभर में रोगी देखभाल के स्तर में सुधार की उम्मीद है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सत्यम श्रीवास्तव (Dr. Satyam Shrivastava) के मुताबिक, इस तकनीक के विकास की यात्रा चुनौतीपूर्ण होने के साथ संतोषजनक भी साबित हुई है। वर्षों के अनुसंधान और सहयोग का ही परिणाम है कि ऐसा संभव हो पाया है। डॉ सत्यम को उम्मीद है कि इस तकनीक की मदद से भारत के साथ पूरी दुनिया के स्वास्थ्य देखभाल पर स्थाई प्रभाव पडेगा।