Delhi Aiims ने 1887 दृष्टिबाधित बच्चों को किया शामिल
नई दिल्ली। टीम डिजिटल : दिल्ली एम्स (Delhi Aiims) के विशेषज्ञों ने दृष्टिबाधित बच्चों पर अध्ययन (study on visually impaired children) किया है। जिसके नतीजों से एम्स विशेषज्ञ भी हैरान रह गए। अध्ययन मेें एक हजार से अधिक बच्चों को शामिल किया गया था।
साधन मिलते ही दृष्टिबाधित बच्चों की सीखने की क्षमता में सुधार
अध्ययन के दौरान विशेषज्ञों ने यह पाया कि दृष्टिबाधित बच्चों को साधन मिलते ही उनके सीखने की क्षमता में अप्रत्याशित तेजी आई। ऐसे बच्चों की जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार पाया गया। एम्स ने
यह अध्ययन 54 तरह के दृष्टिबाधितों के लिए सहायक प्रौद्योगिकी से होने वाले फायदे विषय पर किया। अध्ययन में लाजपत नगर और विकासपुरी स्थित एक-एक दृष्टिबाधित विद्यालय को शामिल किया गया। इनमें से एक स्कूल लड़कों का और दूसरा लड़कियों का था।
अध्ययन से पहले बच्चों के सीखने की क्षमता और उनके कौशल विकास की बाकायदा समीक्षा की गई। इस समीक्षा कार्य के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से उन्हें 54 प्रकार के सहायक प्रौद्योगिकी उपलब्ध करवाए गए। इनमें ब्रेल, बोलने वाली छड़ी और घंटी, टाइपराइटर सहित कई अन्य उपकरण भी शामिल थे।
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जरूरत के मुताबिक तैयार किए गए उपकरण

एम्स के डॉ. आरपी सेंटर के प्रोफेसर डॉ. सूरज सिंह सेनजम के मुताबिक अध्ययन में यह निष्कर्श निकला है कि अगर दृष्टिबाधित बच्चों को जरूरत के मुताबिक उपकरण उपलब्ध कराए जाएं तो उनमें सीखने की क्षमता बढ जाती है।
कुछ समय पहले एम्स के ही एक अध्ययन में यह सामने आया था कि दृष्टिबाधित को पास पर्याप्त उपकरण उपलब्ध नहीं होने से उनके सीखने की गति और कौशल विकास पर असर पडता है। इस अध्ययन के बाद एम्स विशेषज्ञों ने सभी नेत्रहीन विद्यालयों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के मुताबिक आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए जाने की सिफारिश की है।
अध्ययन के नतीजे से उत्साहित हैं विशेषज्ञ
अपने इस अध्ययन में दिल्ली एम्स (Delhi Aiims) के विशेषज्ञों ने यह पाया कि आधे से अधिक छात्रों में दृष्टि तीक्ष्णता में सर्वोत्तम रूप से सुधार हुआ। यह भी जानकारी सामने आई कि बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें दृश्य-आधारित सहायक प्रौद्योगिकी का सपोर्ट उनकी जीवन की गुणवत्ता और सीखने की क्षमता में सुधार कर सकता है। अध्ययन में निकट दृष्टि की समस्या से जूझ रहे 20.8 प्रतिशत छात्रों को बडी प्रींट वाली पुस्तकों से लाभ मिलेगा।
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2019-20 में प्रमाण पत्र हासिल करने वाले छात्रों को किया शामिल
एम्स ने अपने अध्ययन में वर्ष 2019-20 के दौरान प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले बच्चों को शामिल किया था। इन छात्रों में से 25.7% रेटिना समस्याएं, 25.5% ग्लोब असामान्यताएं, 13.6% ऑप्टिक तंत्रिका शोष, 12% भेंगापन से प्रभावित थे। इस अध्ययन में शामिल छात्रों में सामान्य नेत्र समस्याएं थी, जिसे आसानी से पहचानी जा सकती है।
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