Tuesday, March 18, 2025
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Delhi News : Kidney Donation से दो मरीजों का महा कल्याण 

राजधानी दिल्ली की एक घटना (Delhi News) ने जिंदगी के इस अनोखे रंग को उजागर किया है।

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Kidney Donation के साहसिक फैसले से बुझती जिंदगी को मिल गया जीवन 

Delhi News Kidney Donation, Kidney donation story : जिंदगी के रंग अनोखे हैं। जीवन के तार कब, कहां और कैसे जुड जाए, किसे पता होता है। एक पल जहां जिंदगी दम तोड रही होती है, तो दूसरी ओर किसी की जिंदगी और मौत का संघर्ष खत्म होने को होता है।
राजधानी दिल्ली की एक घटना (Delhi News) ने जिंदगी के इस अनोखे रंग को उजागर किया है। मामला एक 68 वर्षीय महिला से शुरू होता है, जो दौरा पडने के बाद बेहोश होती हैं।
परिजन तत्काल अस्पताल लेकर पहुंचते हैं। सीटी स्कैन करने के बाद पता चलता है कि मस्तिष्क में बहुत अधिक रक्तस्राव (Brain Stroke) हो चुका है। तमाम प्रयासों के बाद महिला को उबारा नहीं जा सका और अंत में डॉक्टरों ने 20 फरवरी को उन्हें ब्रेन डेड (Brain Dead) करार दिया।

परिजनों ने दिखाया हौसला

दिल्ली के द्वारका स्थित एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल (HCMCT Manipal Hospital) में मौत के गम से आहत बुजुर्ग महिला के 72 वर्षीय पति ने तभी एक साहसिक फैसला लिया। उन्होंने अपनी मृत पत्नी के अंगदान  (Organ donation of deceased wife) की सहम​ति दे दी।
जिसके बाद मृत शरीर से प्राप्त दोनों किडनी (Kidney) और कॉर्निया (Cornea) दान कर दिए गए। जांच में अन्य अंग प्रत्यारोपण के पैमाने पर खडे नहीं उतरे।  राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के जरिए दान किए गए अंगों को जरूरतमंद मरीजों के लिए आवंटित कर दिया गया।

Kidney Donation :  दो की बच गई जान 

जहां एक तरफ मौत से गमगीन परिवार अंगदान (Organ Donation) का फैसला ले रहा था। वहीं दूसरी ओर दो अस्पतालों में एक महिला और पुरुष मरीज किडनी फेलियर (Kidney Failure) की वजह से जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे थे।
Delhi News : Kidney Donation से दो मरीजों का महा कल्याण 
Kidney Donation से दो मरीजों का महा कल्याण
दोनों मरीजों के परिजन ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे कि काश उन्हें कोई ऐसा दाता मिल जाए जिससे उनके अपनो की जान बच जाए।
इधर दुआएं कबूल हुई और आवंटित किडनियों में से एक को एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल में ही भर्ती 51 वर्षीय महिला में प्रत्यारोपित कर दिया गया।
दूसरी किडनी एक अन्य अस्पताल में उपचराधीन 40 वर्षीय पुरुष मरीज में प्रत्यारोपित किया गया। इस तरह से दो जिंदगियां बच गई।
मृतक महिला की कॉर्निया को निरामया आई बैंक  (Niramaya Eye Bank) को दान कर दिया गया। अब इससे भी कुछ जिंदगियों को रोशनी मिल जाएगी।

डॉक्टरों ने किया अंगदान के लिए प्रेरित 

न्यूरोसर्जरी (Neurosurgery) के क्लस्टर प्रमुख डॉ. अनुराग सक्सेना ने क्रिटिकल केयर (Critical Care) टीम के साथ मिलकर परिवार को धड़कते दिल के साथ मस्तिष्क की मृत्यु (brain death with a beating heart) की अवधारणा को समझाने का प्रयास किया। परिवार के इस निर्णय ने जीवन बचाने में मदद की है और दूसरों को नई उम्मीद दी है।”
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एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल के मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत श्रीनिवासन के मुताबिक, “वेंटिलेटर सपोर्ट सहित उनकी स्थिति के शुरुआती स्थिरीकरण के बाद, सीटी स्कैन से पता चला कि उन्हें बड़े पैमाने पर ब्रेन हेमरेज (Brain Hemorrhage)  हुआ था।
न्यूरोसर्जरी और क्रिटिकल केयर टीमों की देखरेख में गहन उपचार के बावजूद, वह ठीक नहीं हो सकीं और 20 फरवरी 2025 को शाम 05:32 बजे उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।”
मणिपाल ऑर्गन शेयरिंग एंड ट्रांसप्लांट (MOST) के प्रमुख डॉ. (कर्नल) अवनीश सेठ के मुताबिक, “अंगदान दयालुता का एक शक्तिशाली कार्य है और जीवन के अंत की देखभाल का अक्सर अनदेखा किया जाने वाला पहलू है।

आवश्यकता और उपलब्धता के बीच गहरी खाई 

विशेषज्ञों के मुताबिक, अंग की जरूरत (need for organ) और उपलब्धता (Availability) के बीच में अब भी बहुत बडा अंतर बना हुआ है। हर साल 1.8 लाख लोग किडनी फेलियर (Kidney Failure) से पीड़ित होते हैं, हालांकि, 2023 में केवल 13,426 किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) किए गए।
भारत में हर साल अनुमानित 25,000 से 30,000 लिवर ट्रांसप्लांट (Liver Transplant) की जरूरत होती है, लेकिन 2023 में केवल 4491 ही किए गए। इसी तरह, हार्ट फेलियर (heart failure) से पीड़ित कई हजार लोगों में से केवल 221 में ही हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) किया जा सका।
कॉर्निया के मामले में, 1 लाख की जरूरत के मुकाबले सालाना लगभग 25,000 ट्रांसप्लांट ही हो पाते हैं।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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