रविवार, नवम्बर 2, 2025
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Disability Parenting Stress : NIT Rourkela की आंख खोलने वाली रिसर्च

इस शोध में  400 परिवारों को शामिल कर उनकी स्वास्थ्य स्थिति, संबंध और सामाजिक समर्थन पर अध्ययन किया गया है।

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Highlights

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Edited By: Ankur Shukla

माता-पिता की थकान: Parenting Stress और स्वास्थ्य चुनौतियां

Developmental disability parenting stress वाली परिस्थिति में माता‑पिता को शारीरिक और मानसिक रूप से भारी बोझ उठाना पड़ता है। राउरकेला स्थित NIT के शोध में यह बात सामने आई है कि विशेष बच्चों की देखभाल एक जीवनभर चलने वाली चुनौतियों से भरी होती है।
Developmental disability parenting stress के दौर में माता‑पति शारीरिक–मानसिक थकान, सिरदर्द, अल्सर और लगातार दर्द जैसे स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हैं। इस शोध में  400 परिवारों को शामिल कर उनकी स्वास्थ्य स्थिति, संबंध और सामाजिक समर्थन पर अध्ययन किया गया है। कैसे stress से प्रभावित माता‑पिता को राहत मिल सकती है? community‑based सहायता केंद्र, साझा जिम्मेदारी और स्व‑देखभाल महत्वपूर्ण उपाय हैं।

Disability Parenting Stress : शोध की पृष्ठभूमि और आवश्यकता

  • स्व‑देखभाल और समाजिक जिम्मेदारी से जुड़े मुख्य बिंदु
  • माता‑पिता, विशेषकर माताएं, बच्चे की देखभाल में खुद के प्रति उदासीनता और थकावट अनुभव करती हैं।
  • सिरदर्द, क्रॉनिक दर्द, अल्सर और मानसिक तनाव जैसी समस्यायें आम हैं।
  • देखभाल करने की क्षमता समय के साथ घटने लगती है, जिससे बच्चे की भलाई प्रभावित होती है।

प्रमुख निष्कर्ष : Physical Health का तनाव से संबंध

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर दोहरा असर

  • शोध में देखा गया कि विशेष बच्चों की देखभाल करने वाले माता‑पिता:
  • शारीरिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं (सिरदर्द, अल्सर, थकान)।
  • मानसिक रूप से emotionally drained महसूस करते हैं।
  • उदाहरण के लिए, ‘‘रात में नींद टूट जाती है, दिनभर सिर में चुभन महसूस होती है’’।

माताओं पर अधिक भार

शोध से स्पष्ट हुआ कि देखभाल का मुख्य बोझ माताओं पर रहता है, जिससे उनका emotional burnout और शारीरिक कमजोरी और बढ़ जाती है।
“माताएं भावनात्मक तौर पर अंदर से थक जाती हैं… सिरदर्द, अल्सर, क्रॉनिक दर्द और थकान जैसी समस्याएं रहती हैं।”
– डॉ. रामकृष्ण बिस्वाल, NIT Rourkela

सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ : भारत का विशिष्ट परिदृश्य

  • समुदाय और परिवार का अमान्य दृष्टिकोण
  • भारत में आज भी मानसिक और शारीरिक विकलांगता को लेकर सामाजिक पूर्वाग्रह प्रबल हैं।
  • लोग अक्सर इन परिवारों से दूर रहते हैं, और अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता।

सुविधाओं का सीमित होना

ग्रामीण व अर्ध‑शहरी क्षेत्रों में विशेष बच्चों के लिए मेडिकल, पारिवारिक और आर्थिक सहायता की कमी होने के चलते देखभाल करने वाले परिवार अकेलेपन अनुभव करते हैं।

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Disability Parenting Stress : अध्ययन की रूपरेखा और Methodology

  • सैम्पल साइज: 400 माता‑पिता जिनके बच्चे ऑटिज्म, ADHD, cerebral palsy या बहुविकलांगता से पीड़ित थे।
  • उपकरण: सांस्कृतिक रूप से अनुकूल सर्वे और आधुनिक सांख्यिकीय तकनीक।
  • मॉडल: बायो‑साइको‑सोशल फ्रेमवर्क का उपयोग, जिसने शारीरिक, मानसिक और सामाजिक पहलुओं के बीच इंटरैक्शन पर फोकस किया।

बायो‑साइको‑सोशल मॉडल : क्यों जरूरी है यह दृष्टिकोण

Disability Parenting Stress : NIT Raurkela की आंख खोलने वाली रिसर्च

इस मॉडल के अनुसार, किसी भी स्वास्थ्य समस्या को तीन अलग‑अलग लेकिन जुड़े पहलुओं से समझा जाना चाहिए:
  • 1.Biological (शारीरिक) – दर्द, थकान आदि।
  • 2.Psychological (मनोवैज्ञानिक) – चिंता, अवसाद, भावनात्मक थकान।
  • 3.Social (सामाजिक) – समर्थन का स्तर, आर्थिक दृष्टिकोण, सोशल स्टिग्मा।
यानि सिर्फ बच्चे पर नहीं, बल्कि पूरे पारिवारिक वातावरण पर फोकस करना अहम है।

समाधान सुझाव : माता‑पिता को शक्ति और सम्मान

स्वास्थ्य जांच और तनाव प्रबंधन

शोधकर्ताओं का सुझाव है कि विशेष बच्चों की देखभाल करने वाले माता‑पिता को नियमित स्वास्थ्य जांच और तनाव प्रबंधन (stress management) उपलब्ध कराई जाए।

‘वन‑स्टॉप’ सहायता केंद्र

समुदाय‑आधारित ‘वन‑स्टॉप’ सहायता केंद्र की स्थापना होनी चाहिए जहाँ:

  • मेडिकल सेवाएं
  • मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट
  • वित्तीय परामर्श
  • सामाजिक और कानूनी मार्गदर्शन
एक ही जगह पर उपलब्ध हों। इससे तनाव घटेगा और आत्म‑निर्भरता बढ़ेगी।

सामाजिक जिम्मेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका

डॉ. बिस्वाल का मानना है कि:
“यह परिवार, पड़ोसियों और पूरे समाज की साझा जिम्मेदारी है…”
समुदाय द्वारा बिना पूर्वाग्रह के समर्थन मिलने से देखभाल करने वालों को प्रोत्साहन और राहत मिलती है।

Disability Parenting Stress : भारत में इस शोध का महत्व

  • सामाजिक जागरूकता:  विशेष माता‑पिता की चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित हुआ।
  • नीतिगत सुझाव: वन‑स्टॉप केंद्र, स्वास्थ्य चेकअप, और समुदाय‑आधारित सहायताओं पर जोर।
  • भावनात्मक सशक्तिकरण: देखभाल करने वालों को सम्मान और अधिकार का अहसास मिलता है।

सलाह–सुझाव: माता‑पिता के लिए कदम

  • Self-care
  • नियमित व्यायाम और योग करें
  • पर्याप्त नींद लें
  • सामाजिक सहयोग सुनिश्चित करें

सपोर्ट नेटवर्क बनाएँ

  • परिवार, दोस्तों, धर्म‑समाज के साथ जुड़ें।
  • ऑनलाइन या लोकल support groups का हिस्सा बनें।
  • अनुभव साझा करने और सलाह लेने के लिए नियमित मिलें।

पेशेवर सहायता लें

  • मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग (psychological counselling)
  • चिकित्सकीय जांच
  • वित्तीय और कानूनी मार्गदर्शन

निष्कर्ष : सहयोग से ही समाधान संभव

Developmental disability parenting stress से निपटने के लिए सिर्फ माता‑पिता की नहीं बल्कि पूरे समाज की भूमिका आवश्यक है।

FAQs : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1: Developmental disability parenting stress क्या होता है?

यह स्थिति उन माता‑पिता पर होता है जो विशेष बच्चों की लगातार देखभाल करते हैं, इसमें शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक तनाव शामिल होते हैं।

Q2: क्यों होती है physical health issues की समस्या?

अनिद्रा, तनाव, अत्यधिक देखभाल और भावनात्मक बुरे अनुभवों से सिरदर्द, थकान, अल्सर और लगातार दर्द जैसी समस्यायें आम होती हैं।

Q3: शोध में कितने माता‑पिता शामिल थे?

शोध में 400 माता‑पिता शामिल रहे, जिनके बच्चे ऑटिज्म, ADHD, cerebral palsy या बहुविकलांगता से ग्रस्त थे।

Q4: वन‑स्टॉप सहायता केंद्र क्या उपलब्ध कराएंगे?

यह केंद्र मेडिकल चेकअप, मानसिक स्वास्थ्य सहायता, वित्तीय सलाह, सामाजिक मार्गदर्शन और समावेशी सेवाएं प्रदान करेंगे।

Q5: समाज क्या योगदान दे सकता है?

बिना भेदभाव के सहयोग, स्थानीय support groups में जुड़ाव, और परिवार की देखभाल के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण समाज सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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Kavya Singh
Kavya Singhhttps://www.caasindia.in
Kavya Singh: Blending Poetry with Journalism, Flavor with Stories : Kavya Singh is not just a journalist she's a storyteller who weaves facts with feelings and sprinkles creativity into everything she writes. With dual degrees in Journalism and Home Science, Kavya brings a rare blend of sharp narrative skills and deep cultural understanding to the world of feature writing.While most journalists chase the conventional beats of politics or crime, Kavya follows a road less traveled feature journalism. She believes that the most meaningful stories are found not in headlines but in the everyday rhythm of life.
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