दिल्ली में जैन परिवार ने मानवता की मिसाल में बदला अपना दुख
Delhi AIIMS में पहली बार हुआ Fetal Donation
Fetal Donation in AIIMS: दधीची देहदान समिति बना मागदर्शक
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दिल्ली के एम्स अस्पताल में यह पहला मौका था जब किसी परिवार ने भ्रूण दान (Fetal Donation in AIIMS) करना स्वीकार किया और इसके लिए बहुत बडा हौसला और दिल चाहिए । सुबह 8 बजे दधीची देहदान समिति (Dadhichi body donation committee) के उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता को यह सूचना मिली।
उन्होंने तुरंत पहल करते हुए समिति के स्वयंसेवकों, एम्स प्रशासन (AIIMS Administration) और चिकित्सकों के साथ मिलकर जरूरी कानूनी और प्रशासनिक औपचारिकताएँ पूरी करवाईं। दिनभर की लगातार मेहनत और समन्वय के बाद शाम 7 बजे सफलतापूर्वक यह भ्रूण दान प्रक्रिया (Fetal donation process AIIMS) पूरी की गई।

“यह परिवार के लिए आसान निर्णय नहीं था लेकिन उन्होंने अपने दुःख को मानवता की सेवा में बदल दिया। इसका असली श्रेय जैन परिवार की इस अद्वितीय साहस को जाता है।”
– सुधीर गुप्ता, उपाध्यक्ष, दधीची देहदान समिति
क्यों महत्वपूर्ण है Fetal Donation
- भ्रूण का प्रयोग मेडिकल रिसर्च और शिक्षा दोनों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
- मेडिकल छात्र और शोधकर्ता वास्तविक संरचना को समझने और नई चिकित्सा विधियों पर अध्ययन करने के लिए ऐसे दान का उपयोग कर पाएंगे।
- इससे भावी चिकित्सकों की शिक्षा में भी वैचारिक और व्यावहारिक आयाम जुड़ेंगे।

“यह दान रिसर्च और मेडिकल शिक्षा (human anatomy study) के लिए नए अवसर खोलेगा। जैन परिवार का साहस वास्तव में समाज और विज्ञान के लिए अनमोल योगदान है।”
– प्रो. डॉ. सुब्रत बसु रे, HOD Anatomy Department, Delhi AIIMS
Fetal Donation in AIIMS: जैन परिवार का साहस: दुख से उपजी रोशनी
32 वर्षीय वंदना जैन का गर्भपात पांचवें महीने में हुआ। उस दुखद क्षण में जहाँ कोई भी परिवार शोक में डूबा रहता, वहीं जैन परिवार ने समाज और चिकित्सा विज्ञान को योगदान देने का रास्ता चुना। इस घटना (Fetal Donation in AIIMS) ने यह दिखाया कि Compassion (करुणा), Courage (साहस) और Commitment (प्रतिबद्धता) यदि साथ आ जाएं, तो साधारण लोग भी समाज में असाधारण बदलाव ला सकते हैं।
भ्रूण दान प्रक्रिया (Fetal Donation Process AIIMS)
जी.पी. त्यागल ने दधीची देहदान समिति से संपर्क किया।
उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता ने तुरंत एम्स अधिकारियों और समिति की टीम से तालमेल बैठाया।
परिवार की सहमति, मेडिकल दस्तावेज और कानूनी आवश्यकताओं को पूरा किया गया।
एम्स की एंटॉमी डिपार्टमेंट ने उचित सुरक्षित प्रक्रिया के साथ भ्रूण को संग्रहित किया।
इस ऐतिहासिक पहल को सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।
निष्कर्ष
जिज्ञासा : Fetal Donation in AIIMS
Q1. Fetal Donation क्या है?
यह वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भावस्था के दौरान हुए दुर्भाग्यपूर्ण गर्भपात के बाद भ्रूण को मेडिकल रिसर्च और शिक्षा के लिए दान किया जाता है।
Q2. AIIMS में Fetal Donation पहली बार कब हुआ?
7 सितंबर 2025 को, दिल्ली के एम्स में पहली बार Fetal Donation सफलतापूर्वक हुआ।
Q3. Fetal Donation in AIIMS ऐतिहासिक दान में कौन जुड़ा था?
जैन परिवार ने भ्रूण दान किया और दधीची देहदान समिति (DDDS) ने इसे संभव बनाया।
Q4. Fetal Donation प्रक्रिया का नेतृत्व किसने किया?
DDDS के उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता ने समन्वय और नेतृत्व की अहम भूमिका निभाई।
Q5. Fetal Donation का उपयोग कहां किया जाएगा?
मेडिकल रिसर्च, रिसर्च प्रोजेक्ट्स और एंटॉमी की शिक्षा में छात्रों एवं वैज्ञानिकों को लाभ मिलेगा। खासकर जेनेटिक और ऑटोइम्यून बीमारियों और स्टेम सेल से संबंधित रिसर्च और अध्ययन में इसकी विशेष उपयोगिता होती है।

