Monday, June 16, 2025
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Health Insurance Rejection in India: पॉलिसी रिजेक्ट क्यों होती है?

यह लेख इस जटिल और संवेदनशील विषय को पूरी स्पष्टता से समझने में आपकी मदद करेगा, ताकि आमजन को यह समझ आ सके कि वास्तव में ऐसा (Health Insurance Rejection) क्यों होता है, और इससे बचने के उपाय क्या हैं।

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Highlights

Health Insurance Rejection से बचने के लिए क्या करें?

भारत जैसे देश में Health Insurance Rejection से बचने के लिए कुछ जरूरी पहलुओं को जानना बेहद जरूरी हो जाता है।
 
हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) एक आवश्यक सुरक्षा कवच है, लेकिन जब बीमा कंपनियां किसी व्यक्ति की बीमारियों के आधार पर उसका आवेदन या दावा रिजेक्ट (Health Insurance Claim Reject) कर देती हैं, तो यह न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक तनाव का कारण भी बन जाता है।
 
यह लेख इस जटिल और संवेदनशील विषय को पूरी स्पष्टता से समझने में आपकी मदद करेगा, ताकि आमजन को यह समझ आ सके कि वास्तव में ऐसा (Health Insurance Rejection) क्यों होता है, और इससे बचने के उपाय क्या हैं।
 

क्या होता है Health Insurance Rejection?

जब आप अपनी हेल्थ पॉलिसी के अंतर्गत किसी बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने पर बीमा कंपनी से दावा करते हैं और बीमा कंपनी उस दावे को मंज़ूर नहीं करती, तो उसे Health Insurance Rejection कहा जाता है।
 
यह अस्वीकृति कई कारणों से हो सकती है – जैसे:
  • गलत या अधूरी जानकारी देना
  • समय पर दस्तावेज़ न देना
  • नियम और शर्तों की अनदेखी करना
  • पहले से मौजूद बीमारी (pre-existing condition) छुपाना
  • बीमा कंपनी की प्रक्रिया में तकनीकी खामी।

क्या कहती है बीमा कंपनियों की नीति?

बीमा कंपनियां पॉलिसी (Insurance companies policies) जारी करते समय कई मेडिकल (Medical) और नॉन-मेडिकल (Non-Medical) फैक्टर्स पर विचार करती हैं। उनमें प्रमुख हैं:
 
  • Pre-Existing Diseases (पूर्व-विद्यमान बीमारियां)
  • Chronic Conditions (दीर्घकालिक रोग)
  • Age Factor (उम्र संबंधी जोखिम)
  • Medical History (स्वास्थ्य रिकॉर्ड)
  • Lifestyle (जैसे स्मोकिंग, एल्कोहल आदि)
 
कंपनियां इन सभी पहलुओं को Underwriting प्रक्रिया में जांचती हैं। यदि उन्हें लगता है कि किसी बीमारी की वजह से रिस्क अधिक है, तो:
 
  • प्रीमियम बढ़ा देती हैं
  • बीमा देने से इनकार कर देती हैं
  • क्लेम रिजेक्ट (Health Insurance Rejection) कर देती हैं
Health Insurance Rejection in India: पॉलिसी रिजेक्ट क्यों होती है?
पॉलिसी रिजेक्ट क्यों होती है?

Health Insurance Rejection के मुख्य कारण

स्वास्थ्य बीमा दावे के अस्वीकृत होने के कई सामान्य कारण होते हैं:
 

अधूरी या गलत जानकारी

क्लेम फॉर्म में गलत या अधूरी जानकारी देना एक प्रमुख कारण है। उदाहरण के लिए, गलत बीमारी का उल्लेख, गलत तिथि, या अधूरे दस्तावेज़।
 

pre-existing conditions का खुलासा न करना

यदि आपने पॉलिसी खरीदते समय अपनी पूर्व-स्थित बीमारियों (pre-existing conditions) का खुलासा नहीं किया है, और बाद में उसी बीमारी के लिए क्लेम करते हैं, तो बीमा कंपनी क्लेम अस्वीकृत कर सकती है।
 

पॉलिसी शर्तों का उल्लंघन

हर बीमा पॉलिसी में कुछ शर्तें और सीमाएँ होती हैं। यदि आपका क्लेम उन शर्तों के अंतर्गत नहीं आता, तो वह अस्वीकृत हो सकता है।
 

दस्तावेजों की कमी

क्लेम के समय आवश्यक दस्तावेजों की कमी या देरी से जमा करना भी रिजेक्शन का कारण बन सकता है।

 

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किन बीमारियों की वजह से इंश्योरेंस रिजेक्ट होता है?

 

1. डायबिटीज (Diabetes)

 
यदि पहले से मौजूद है और disclosed नहीं की गई है, तो claim reject हो सकता है।
 

2. हृदय रोग (Heart Disease)

 
अतीत में Angioplasty, Bypass surgery या Heart Attack की स्थिति में ज़्यादातर कंपनियाँ इंश्योरेंस देने से कतराती हैं।
 

3. किडनी डिजीज (CKD)

 
 Chronic Kidney Disease (स्टेज 3 और उससे आगे) एक हाई रिस्क कैटेगरी में आता है।
 

4. कैंसर (Cancer)

 
 पहले से कैंसर की पहचान होने पर पॉलिसी मिलना बेहद मुश्किल है।
 

5. मानसिक बीमारियां (Mental Illness)

 
भारत में अब इसे IRDAI गाइडलाइन के अनुसार कवर किया जाता है, लेकिन अभी भी कई कंपनियां बहाने ढूंढती हैं।
 

6. HIV/AIDS

 
ज्यादातर कंपनियां अब भी HIV+ केस में बीमा नहीं देतीं।
 

7. मोटापा (Obesity – BMI>35)

 
इसे High Risk मानते हुए प्रीमियम बढ़ाया जाता है या पॉलिसी रिजेक्ट हो जाती है।
 
 

आवेदन करते समय आम गलतियां

 

1. बीमारी छिपाना

बीमा फॉर्म (Insurance Form) में यदि किसी बीमारी को छिपाया गया है तो क्लेम (Claim) के समय रिजेक्शन (Insurance Rejection) तय है।

2. गलत डॉक्युमेंट्स

मेडिकल रिपोर्ट्स (Medical Reports) में गलती या छेड़छाड़ बीमा कंपनियों को शक की वजह देती है।

3. अकेले एजेंट पर निर्भर रहना

एजेंट (Insurance Agent) कई बार जानकारी अधूरी देते हैं।

4. फाइन प्रिंट न पढ़ना

हर पॉलिसी की सीमाएं (exclusions) अलग होती हैं।
 

IRDAI की पॉलिसी क्या कहती है?

IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) भारत सरकार का वह संगठन है जो सभी बीमा कंपनियों को नियंत्रित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य बीमा उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और बीमा उद्योग में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है।
 
IRDAI ने साफ निर्देश दिए हैं कि:
  • यदि ग्राहक ने सभी जानकारियां सही दी हैं, तो claim को reject नहीं किया जा सकता।
  • मानसिक बीमारियों (Mental illnesses) को भी अब हेल्थ इंश्योरेंस के तहत कवर करना जरूरी है।
  • सभी बीमा कंपनियों को पॉलिसी शर्तें स्पष्ट रूप से बतानी होती हैं।
     
  • ग्राहकों को क्लेम प्रक्रिया में सहायता देनी होती है।
  • क्लेम अस्वीकृति के स्पष्ट और लिखित कारण देने होते हैं।
  • यदि कोई व्यक्ति समझता है कि उसका क्लेम गलत तरीके से रिजेक्ट किया गया है, तो वह IRDAI के grievance portal पर शिकायत दर्ज कर सकता है।
 
 

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Policy) लेते समय किन बातों का ध्यान रखें?

 
क्र. सुझावविवरण
1बीमारियों की पूरी जानकारी देंMedical Form में कुछ भी न छिपाएं
2मेडिकल टेस्ट कराएंकुछ कंपनियां टेस्ट करवाकर ही पॉलिसी देती हैं
3कंपनियों की तुलना करेंStar Health, Niva Bupa, HDFC Ergo आदि की पॉलिसियां मिलाएं
4IRDAI रजिस्टर्ड कंपनियों से ही पॉलिसी लेंफ्रॉड से बचाव
5Annual Health Checkup कराएंइससे बीमारियां समय से पकड़ में आएंगी
 

 हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो जाए तो क्या करें?

1. बीमा कंपनी से अपील करें

मेडिकल दस्तावेजों के साथ दोबारा अनुरोध करें।
 

2. Ombudsman से शिकायत

 Website  पर जाएं, 30 दिनों के अंदर सुनवाई होती है
 

3. IRDAI Grievance Portal

IRDAI Grievance Portal  पर ऑनलाइन शिकायत करें।
 

4. कंज्यूमर कोर्ट (Consumer Court)

यदि कोई राहत नहीं मिलती, तो यह अंतिम विकल्प होता है।
 

बीमारियों के बावजूद पॉलिसी पाने के उपाय

1.Waiting Period वाली पॉलिसी लें (2-4 साल तक की वेटिंग)
2. Special Disease Plans जैसे कि:
Care Freedom (Niva Bupa) – Diabetes, BP कवर
Star Health Red Carpet – सीनियर सिटिजन के लिए
Aditya Birla Activ Health
3. Top-Up पॉलिसी (Policy) लें – Base पॉलिसी से ऊपर कवर देने वाली
 

प्री इंश्योरेंस मेडिकल चेकअप (Pre-insurance Medical Check-up)

स्वास्थ्य बीमा खरीदने से पहले बीमा कंपनियां अक्सर मेडिकल जांच की मांग करती हैं। यह जांच बीमा कंपनी को आपकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करती है, जिससे वे जोखिम का मूल्यांकन कर सकें।
 
यदि इस जांच में कोई बीमारी या स्वास्थ्य समस्या सामने आती है, तो बीमा कंपनी उस विशेष स्थिति को पॉलिसी से बाहर कर सकती है या अतिरिक्त प्रीमियम की मांग कर सकती है।
 

ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी (Group Policies)

ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी या समूह बीमा योजनाएं उन कर्मचारियों के लिए होती हैं जो किसी संगठन या कंपनी में कार्यरत होते हैं। इन योजनाओं में बीमा कंपनी और संगठन के बीच समझौता होता है, और सभी कर्मचारियों को एक ही पॉलिसी के तहत कवर किया जाता है।
 
हालांकि, इन योजनाओं में भी क्लेम रिजेक्शन (Health Insurance Rejection) की संभावना होती है, खासकर जब व्यक्तिगत जानकारी या दस्तावेज़ अधूरे होते हैं।
Health Insurance Rejection in India: पॉलिसी रिजेक्ट क्यों होती है?
पॉलिसी रिजेक्ट क्यों होती है?

Health Insurance Rejection से कैसे बचें?

स्वास्थ्य बीमा दावे के अस्वीकृत होने से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
 

सही और पूरी जानकारी प्रदान करें

पॉलिसी खरीदते समय और क्लेम करते समय सभी जानकारी सही और पूरी प्रदान करें। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य समस्या को छुपाएं नहीं।
 

सभी दस्तावेज समय पर जमा करें

क्लेम के समय सभी आवश्यक दस्तावेज, जैसे मेडिकल रिपोर्ट, अस्पताल के बिल, डॉक्टर का प्रमाणपत्र आदि, समय पर और सही तरीके से जमा करें।
 

पॉलिसी शर्तों को समझें

अपनी पॉलिसी की सभी शर्तों और सीमाओं को ध्यान से पढ़ें और समझें। इससे आपको पता चलेगा कि कौन-कौन सी स्थितियाँ कवर की गई हैं और कौन सी नहीं।
 

बीमा कंपनी से संपर्क में रहें

क्लेम प्रक्रिया के दौरान बीमा कंपनी से नियमित संपर्क में रहें और उनकी मांगों का समय पर उत्तर दें।
 

IRDAI Complaint Portal का उपयोग

यदि आपका Health Insurance Claim अस्वीकार हो गया है और आपको लगता है कि यह निर्णय गलत है, तो आप IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) की सहायता ले सकते हैं। इसके लिए IRDAI ने एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म प्रदान किया है:
 

शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया

Step 1: अपनी बीमा कंपनी से पहले औपचारिक शिकायत करें और शिकायत संख्या प्राप्त करें।
 
Step 2: यदि 15 दिनों में समाधान नहीं मिलता, तो आप IRDAI के Grievance Redressal Portal (IGMS) पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं:
 
Step 3: आप टोल-फ्री नंबर 155255 पर कॉल कर सकते हैं या complaints@irdai.gov.in पर ईमेल भी भेज सकते हैं।
 

क्या होता है इसके बाद?

IRDAI आपकी शिकायत बीमा कंपनी तक पहुँचाता है और जवाब मांगता है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं होता, तो IRDAI स्वयं हस्तक्षेप कर सकता है या केस Ombudsman के पास भेजा जा सकता है।
 

इन बातों का रखें ध्यान

 
Health Insurance Policy चुनते समय नीचे दी गई बातों पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है:
 पॉलिसी के कवरेज को समझें
 
हर पॉलिसी अलग-अलग तरह के खर्चों को कवर करती है – जैसे हॉस्पिटलाइजेशन (Hospitalization), डे-केयर (Day Care), प्री- और पोस्ट-हॉस्पिटल खर्च (Pre- and post-hospital expenses)। सभी बिंदुओं को ध्यान से पढ़ें।
 

Waiting Period को जानें

कई पॉलिसियों में कुछ बीमारियों के लिए 2 से 4 साल का वेटिंग पीरियड होता है। यदि आप पहले से किसी बीमारी से ग्रसित हैं, तो यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
 

Co-payment और Sub-limits को समझें

Co-payment का मतलब है कि क्लेम का एक हिस्सा आपको खुद देना पड़ेगा। Sub-limits यानी बीमा कंपनी कुछ खर्चों पर अधिकतम सीमा तय करती है – जैसे ICU या रूम रेंट।
 

नेटवर्क हॉस्पिटल और कैशलेस सुविधा

यह जांचें कि आपके शहर या क्षेत्र के अच्छे अस्पताल उस पॉलिसी के नेटवर्क में शामिल हैं या नहीं।

 

निष्कर्ष

हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) किसी भी परिवार की वित्तीय सुरक्षा  (Financial Security)का अहम हिस्सा है, लेकिन यदि सही जानकारी न दी जाए या पॉलिसी का चुनाव (Choosing a Health Insurance Policy) सावधानी से न किया जाए, तो गंभीर बीमारियों (Serious illnesses) के समय यह सुरक्षा कवच जवाब दे सकता है।
 
इसलिए ज़रूरी है कि आप ईमानदारी से सारी बीमारियां disclose करें, कंपनियों की policy compare करें और किसी भी रिजेक्शन  के मामले में IRDAI और Ombudsman की मदद लेने से न हिचकिचाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

 

Q1: Health Insurance Rejection क्या होता है?

Health Insurance Rejection तब होता है जब बीमा कंपनी किसी कारणवश आपके मेडिकल खर्चों के दावे को अस्वीकार कर देती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे — पूर्व स्थित बीमारियों की जानकारी छुपाना, अधूरे दस्तावेज़, या पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन।

Q2: किन-किन कारणों से Health Insurance Claim रिजेक्ट हो सकता है?

Health insurance claim आमतौर पर इन कारणों से रिजेक्ट होते हैं:
Pre-existing disease को disclose न करना
गलत या अधूरी जानकारी देना
उपचार पॉलिसी के दायरे में न होना
समयसीमा में क्लेम न करना
फर्जी दस्तावेज़ या अनाधिकृत अस्पताल से इलाज

Q3: क्या किसी भी बीमारी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस मिल सकता है?

नहीं। कुछ बीमारियाँ जैसे कैंसर, किडनी फेलियर, और Ankylosing Spondylitis जैसी पुरानी बीमारियाँ कई बार waiting period के साथ या exclusion list में होती हैं। इसलिए पॉलिसी खरीदते समय इसकी जांच जरूरी है।

Q4: अगर मेरा हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो गया है तो मैं क्या कर सकता हूँ?

आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
बीमा कंपनी से लिखित कारण मांगें
grievance cell में शिकायत करें
IRDAI Grievance Redressal Portal पर शिकायत दर्ज करें
Insurance Ombudsman के पास अपील करें

Q5: क्या IRDAI बीमा कंपनियों पर कार्रवाई कर सकती है?

हाँ। IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) एक सरकारी संस्था है जो बीमा कंपनियों पर निगरानी रखती है। यदि कोई कंपनी उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी करती है या नियमों का उल्लंघन करती है, तो IRDAI उसके विरुद्ध कार्रवाई कर सकती है।

Q6: क्या मैं एक ही समय पर दो health insurance policies से क्लेम कर सकता हूँ?

हाँ, यदि आपके पास एक से अधिक health insurance policies हैं, तो आप “Contribution Clause” के अनुसार दोनों से क्लेम कर सकते हैं — बशर्ते आपने सभी पॉलिसियों की जानकारी बीमा कंपनियों को पहले ही दे दी हो।

Q7: क्या हेल्थ इंश्योरेंस में मानसिक रोगों का भी कवरेज होता है?

हाँ। 2019 के बाद से IRDAI के दिशानिर्देशों के अनुसार मानसिक रोगों को भी health insurance के दायरे में लाना अनिवार्य किया गया है। हालांकि, कवरेज की सीमा और शर्तें कंपनी विशेष पर निर्भर करती हैं।

Q8: हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के लिए कौन से डॉक्युमेंट्स ज़रूरी होते हैं?

आपको निम्नलिखित दस्तावेज़ों की ज़रूरत होगी:
बीमा पॉलिसी की कॉपी
अस्पताल के बिल
डिस्चार्ज समरी
डॉक्टर की रिपोर्ट
जांच रिपोर्ट्स
मेडिसिन के बिल
KYC डॉक्युमेंट्स

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

 caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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Ankur Shukla
Ankur Shuklahttps://caasindia.in
Ankur Shukla: The Journalist Who Strikes a Chord with Words and MusicWith over 13 years of rich experience in journalism, Ankur Shukla has carved a niche for himself as a trusted senior journalist, having served with distinction in several leading dailies. His in-depth reporting, especially on the health beat, has earned him prestigious honors like the Indraprastha Gaurav Award and the Swami Vivekananda Award and many more.But Ankur’s talents go far beyond the newsroom. A passionate Indian classical vocalist and a skilled sitar player he effortlessly blends the art of storytelling with the soul of music. And beyond pen and performance, he wears yet another hat — that of a committed social contributor, working actively for the welfare of autoimmune disease patients across the country.
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