CDSCO की सलाह से तैया किया गया है ICMR का Antibiotic Protocol
Icmr new protocol for antibiotic testing and validation, New Protocol for Antibiotic, ICMR News : किसी संक्रमण (Infection) से ग्रस्त मरीज को एंटीबायोटिक दवा (antibiotic medicine) देने से पहले बाकायदा उसकी जांच की जाती है। इसके लिए बाजार में कई तरह की जांच उपलब्ध है लेकिन संक्रमण किस स्तर का है? इसके लिए कोई गाइडलाइन्स उपलबध नहीं है।
आईसीएमआर (ICMR) ने अब इस कमी को पूरा कर दिया है। आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) ने एंटीबायोटिक टेस्टिंग और वैलिडेशन के लिए एक नया प्रोटोकॉल (protocol for antibiotic testing and validation) जारी किया है। यह प्रोटोकॉल आईसीएमआर ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की मदद से तैयार किया है।
आईसीएमआर ने पैथ लैब कंपनियों की ओर से जांच और वेरिफिकेशन के लिए एक प्रोटोकॉल (New protocol for testing and verification) जारी किया है। इस नए प्रोटोकॉल के तहत वेरिफिकेशन कम से कम दो अलग जगहों पर किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा सत्यापन के लिए इस्तेमाल होने वाले नमूने के प्रकार का भी जिक्र अब अनिवार्य तौर पर करना होगा।
ICMR ने एक दस्तावेज़ में कहा, “रक्त या मस्तिष्क-मेरु द्रव (cerebrospinal fluid) जैसी जगहों से प्राप्त सैंपल, यूरिन या थूक (urine or saliva) से अलग किए गए नमूनों के मुकाबले अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, आईसीएमआर ने एक ऐसी विधि तैयार की है, जिससे मेडिकल टेस्ट की विश्वसनीयता और पारदर्शिता (Reliability and transparency of medical tests) और अधिक बढेगी।
क्या है नए प्रोटोकॉल का उद्देश्य?
ICMR New Protocol for Antibiotic testing and validation

इस गाइडलाइन का उद्देश्य वैसे वैज्ञानिकों और जांच कंपनियों की सहायता करना है, जो मेडिकल टेस्ट तैयार करते हैं। नया प्रोटोकॉल, टेस्ट की वैलिडिटी के लिए किस तरह के सबूत और जानकारियों की जरूरत होगी, इस संबंध में उचित मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
आईसीएमआर के नए प्रोटोकॉल (new protocol) से से एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी (AMR) संक्रमणों की समस्या से निपटने में भी सहायता प्राप्त होगी। जब बैक्टीरिया (Bacteria), वायरस (Virus), फंगस (Fungus) या पैरासाइट्स (Parasites) के मामले में दवाएं बेअसर (medicines ineffective) होने लगती है, तो इसे एएमआर (Antimicrobial Resistance) कहते हैं।
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ऐसे में डॉक्टरों को मरीज का उपचार करने में भारी समस्या होती है। मरीज का संक्रमण तेजी से बढने लगता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस नए प्रोटोकॉल (New Protocol) से मेडिकल टेस्ट (Medical Test) के प्रति मरीजों का भरोसा और अधिक बढेगा और मरीजों को भी सही और उचित इलाज प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
बीते वर्ष भी ICMR ने जारी किया था गाइडलाइंस
आईसीएमआर ने बीते वर्ष में भी हल्के बुखार और दर्द में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल (Use of antibiotics in mild fever and pain) नहीं करने से संबंधित एक निर्देश जारी किया था। इसमें डॉक्टरों को भी दवाओं के कोर्स के साथ इसकी समय सीमा का ध्यान रखने की सलाह भी दी गई थी। इस गाइडलाइन में बाकायदा यह बताया गया था कि एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल (Use of antibiotics) किन सूरतों में करना सही और किन सूरतों में इसका इस्तेमाल गलत साबित हो सकता है।
कब होता है एंटीबायोटिक का इस्तेमाल?
जब शरीर में व्हाइट सेल्स (White Blood Sales) बैक्टीरिया (Bacteria) को खत्म नहीं कर पाते हैं, तब चिकित्सक अपने मरीज पर एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग (Use of antibiotics) करते हैं। इससे मरीज में बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial Infections) धीरे-धीरे नष्ट होने लगता है।
एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotics) को इन दिनों सर्दी-जुकाम या हल्के बुखार के मामले में भी दिया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा करना गलत है और इसके दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं। एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक इस्तेमाल (Overuse of antibiotics) को रोकने के लिए और लोगों के इसके प्रति जागरुक करने के लिए जागरुकता की पहल भी की जा रही है। इन दवाओं का दुष्प्रभाव (Side Effects) भी हो सकता है।