IIT Guwahati ने शुरू की पेशेंट बेस्ड ट्रीटमेंट के लिए महत्वपूर्ण पद्धति
पारंपरिक SMART परीक्षणों में अंतरिम डेटा (Interim data) के आधार पर, कुछ उपचार कम प्रभावी साबित होने पर भी, रोगियों को समान संख्या में उपचार शाखाओं में नियुक्त (Appointed in treatment branches) किया जाता है।
Patient-Specific Treatment Plan बनाने में मिलेगी मदद
IIT Guwahati introduces adaptive multi-stage diagnostic testing methodology for personalised medical care : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी (IIT Guwahati) के शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के अग्रणी संस्थानों के साथ मिलकर एक अभिनव बहु-चरणीय नैदानिक परीक्षण पद्धति (Innovative multi-stage diagnostic test methodology) विकसित की है।
इसका उद्देश्य व्यक्तिगत चिकित्सा देखभाल (personal medical care) में क्रांति लाना है। यह अत्याधुनिक दृष्टिकोण परीक्षणों (State-of-the-art approach trials) के दौरान प्रत्येक रोगी की अनूठी प्रतिक्रियाओं के आधार पर वास्तविक समय में उपचार योजनाओं को अनुकूलित (Customized) करता है। जिससे अत्यधिक अनुकूलित (Highly Customized) और प्रभावी स्वास्थ्य सेवा समाधान (Effective healthcare solutions) संभव हो पाएगा।
IIT Guwahati : अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ साझेदारी
IIT Guwahati : Partnerships with international organizations
ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल, सिंगापुर (Duke-NUS Medical School, Singapore) की नेशनल यूनिवर्सिटी और अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी (University of Michigan, USA) के साथ साझेदारी में किए गए इस शोध में सीक्वेंशियल मल्टीपल असाइनमेंट रैंडमाइज्ड ट्रायल (SMART) के माध्यम से डिजाइन किए गए, डायनेमिक ट्रीटमेंट रेजीम (DTR) पर ध्यान केंद्रित किया गया है। साथ में, ये फ्रेमवर्क समय के साथ उपचारों के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रियाओं वाले रोगियों के लिए उपचार रणनीतियों, उपचारों के अनुक्रम को अनुकूलित (Customize the sequence) करने की महत्वपूर्ण चुनौती से निपटते हैं।
क्या है डायनेमिक ट्रीटमेंट रिजीम?
What is dynamic treatment regimen?
DTR उन्नत निर्णय नियम हैं जो रोगी की स्थिति के विकसित होने के साथ-साथ उपचारों को गतिशील रूप से अनुकूलित करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि मधुमेह का रोगी प्रारंभिक दवा पर अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो DTR दवाओं को बदलने या उपचारों को संयोजित (organised) करने की सलाह दे सकता है।
रक्त शर्करा के स्तर में परिवर्तन जैसे मध्यवर्ती परिणामों (Intermediate results) को शामिल करके, DTR एक-आकार-फिट-सभी मॉडल से आगे बढ़ते हैं, व्यक्तिगत प्रगति और जरूरतों के अनुसार देखभाल को तैयार करते हैं।
IIT Guwahati ने शुरू की पेसेंट बेस्ड ट्रीटमेंट के लिए महत्वपूर्ण पद्धति
प्रभावी DTR विकसित करने के लिए बहु-चरणीय नैदानिक परीक्षण (Multi-stage clinical trial) आवश्यक हैं, और SMART पद्धति शोधकर्ताओं को प्रत्येक रोगी के लिए सबसे उपयुक्त खोजने के लिए विभिन्न उपचार अनुक्रमों का परीक्षण (Testing treatment sequences) करने में सक्षम बनाती है।
पारंपरिक परीक्षणों के विपरीत, SMART में उपचार के कई चरण शामिल होते हैं, जहाँ रोगियों को पहले के हस्तक्षेपों के प्रति उनकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर पुनः नियुक्त (reappointed) किया जाता है।
प्रभावी उपचार देने में मिलेगी मदद
Will help in providing effective treatment
पारंपरिक SMART परीक्षणों में अंतरिम डेटा (Interim data) के आधार पर, कुछ उपचार कम प्रभावी साबित होने पर भी, रोगियों को समान संख्या में उपचार शाखाओं में नियुक्त (Appointed in treatment branches) किया जाता है। इससे अक्सर अनावश्यक उपचार विफलताएँ (Treatment Failures) होती हैं।
डॉ. पलाश घोष (Dr. Palash Ghosh) और उनकी टीम ने एक अनुकूली यादृच्छिकीकरण विधि (Adaptive randomization method) विकसित की है जो परीक्षण के समय बेहतर प्रदर्शन करने वाले उपचार अनुक्रम के पक्ष में रोगी आवंटन अनुपात (Patient allocation ratio) को इष्टतम रूप (Optimal form) से बदलकर वास्तविक समय परीक्षण डेटा (Real-time test data) के आधार पर रोगियों को उपचार शाखाओं में नियुक्त करती है।
यह नवाचार (Innovation) सुनिश्चित करता है कि वैज्ञानिक कठोरता (Scientific rigor) को बनाए रखते हुए अधिक रोगियों को प्रभावी उपचार मिले। अल्पकालिक (Short-term) और दीर्घकालिक (Long-term) दोनों परिणामों पर ध्यान केंद्रित करके, विधि संपूर्ण उपचार प्रक्रिया (complete treatment process) में सुधार करती है, विफलताओं को कम करती है और रोगी देखभाल को बढ़ाती है।
Dr. Palash Ghosh, Assistant Professor, Dept. Of Mathematics
“इस तरह के अनुकूली डिज़ाइन SMART जैसे नैदानिक परीक्षणों में अधिक रोगी भागीदारी को प्रोत्साहित करेंगे। जब रोगी देखते हैं कि उन्हें उनकी ज़रूरतों के अनुरूप उपचार मिल रहा है, तो उनके शामिल रहने की संभावना अधिक होती है। इस दृष्टिकोण में सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के लिए भी बहुत संभावनाएं हैं, जैसे कि व्यक्तिगत जरूरतों के साथ-साथ अन्य पुरानी बीमारियों में मादक द्रव्यों के सेवन से उबरने की योजनाओं को तैयार करना।”
– प्रोफेसर डॉ. पलाश घोष, सहायक प्रोफेसर, गणित विभाग, आईआईटी गुवहाटी (IIT Guwahati)
इस शोध के निष्कर्षों को प्रतिष्ठित पत्रिका बायोमेट्रिक्स (Biometrics) में डॉ. पलाश घोष द्वारा सह-लेखक के रूप में प्रकाशित किया गया है।
इसमें शोध विशेषज्ञों में रिक घोष आईआईटी गुवाहाटी (Rick Ghosh IIT Guwahati), डॉ. बिभास चक्रवर्ती ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (Dr. Bibhas Chakraborty Duke-NUS Medical School, National University of Singapore), डॉ. इनबल नहूम-शनी (Dr. Inbal Nahum-Shani) और डॉ. मेगन ई. पैट्रिक, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन (Dr. Megan E. Patrick, University of Michigan) शामिल हैं।
यह नई अनुकूली बहु-चरणीय नैदानिक परीक्षण पद्धति अधिक प्रभावी, रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा की दिशा में बडी भूमिका निभाएगी। जिससे, संभावित रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों (Public health interventions) को बदला जा सकता है। वहीं, व्यक्तिगत चिकित्सा की वैश्विक खोज को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
IIT Guwahati : अब मानसिक स्वास्थ्य पर परीक्षण की बारी
IIT Guwahati : Now it’s time to test your mental health
Prof. Palash Ghosh and Mr. Rik Ghosh
अगले चरण में, शोध दल पारंपरिक भारतीय दवाओं (traditional indian medicines) का उपयोग करके मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभावी प्रबंधन (Effective management of mental health problems) के लिए स्मार्ट परीक्षण (Smart Testing) करेगा।
इसके लिए भारतीय चिकित्सा संस्थानों (Indian medical institutes) के साथ सहयोग किया जा रहा है। इस शोध को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए, डॉ. बिभास चक्रवर्ती (Dr. Bibhas Chakraborty) ने सिंगापुर के शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education of Singapore) से MOE-T2EP20122-0013 अनुदान के साथ ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल, सिंगापुर (Duke-NUS Medical School, Singapore) से स्टार्ट-अप अनुदान को स्वीकार किया।
डॉ. इनबल नहूम-शनी ने समर्थन स्वीकार किया और डॉ. मेगन पैट्रिक (Dr. Megan Patrick) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन अल्कोहल एब्यूज एंड अल्कोहलिज्म (National Institute on Alcohol Abuse and Alcoholism) से वित्तीय सहायता के लिए अपना आभार व्यक्त किया। डॉ. पलाश घोष ने IDEAS-टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब, ISI कोलकाता से समर्थन को स्वीकार किया।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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