सीएमसी वेल्लोर (CMC Vellor) और आईआईटी मद्रास (IIT Madras) ने तैयार किया सस्ता स्वेदशी रोबोट
IIT Madras News, Cheap Indigenous Robot IIT Madras, CMC Vellor News : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर (CMC Vellor) के शोधकर्ताओं ने रिहैबिलिटेशन थेरेपी (Rehabilitation Therapy) के लिए एक सस्ता और पोर्टेबल प्लग-एंड-ट्रेन रोबोट (Portable plug-end-train robot) तैयार किया है। रोबोट का नाम ‘प्लूटो’ (Pluto) रखा गया है। डिवाइस की टेक्नोलॉजी को लाइसेंस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर ऑफिस-टीटीओ आईसीएसआर के माध्यम से प्राप्त किया गया है। इसे बाजार योग्य बनाने का काम थ्रीव रिहैब सॉल्यूशंस (Thrive rehab solutions) ने किया है। प्लूटो रिहैबिलिटेश मार्केट की कमी दूर करेगा।
घर में भी कर पाएंगे रोबोट (Robot) का इस्तेमाल
डिवाइस इनोवेटिव है और किसी स्वास्थ्य केंद्र एवं घर पर भी सस्ता और अधिक अनुकूल रिहैबिलिटेशन की बढ़ती मांग बखूबी पूरा करेगा। प्लूटो (Pluto) पहला स्वदेशी रोबोट (First indigenous robot) है जिसका भारतीय घरों में परीक्षण किया गया है। यह गहन थेरेपी (Intensive therapy) करने में सक्षम है। पिछले चार वर्षों में 1000 से अधिक मरीज प्लूटो थेरेपी (Pluto robot therapy) ले चुके हैं।
IIT Madras : इन्होंने किया रोबोट का अविष्कार

रोबोट के आविष्कारकों में प्रो. सुजाता श्रीनिवासन (Principal Investigator), मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मद्रास, डॉ. अरविंद नेहरूजी (PhD scholar) मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मद्रास और बायोइंजीनियरिंग विभाग, सीएमसी वेल्लोर (CMC Vellor) और प्रो. शिवकुमार बालासुब्रमण्यम, बायोइंजीनियरिंग विभाग, सीएमसी वेल्लोर शामिल हैं।
टेक्नोलॉजी ट्रांस्फर और इसे बाजार योग्य बनाने का श्रेय आईआईटी मद्रास के औद्योगिक परामर्श और प्रायोजित अनुसंधान (IC & SR) कार्यालय स्थित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यालय टीटीओ-आईपीएम सेल को जाता है।
थेरेपी (Therapy) के साथ तत्काल फीडबैक भी देगा रोबोट
रोबोट पेटेंट तकनीक (Robot patent technique) सटीक मूवमेंट के साथ थेरेपी करने और तुरंत फीडबैक देने में सक्षम है। इसलिए स्ट्रोक (Stroke), रीढ़ की हड्डी की चोट (Spinal cord Injury), मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple sclerosis), पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease) और हाथ की सर्जरी (Hand surgery) के बाद मरीजों की तकलीफें दूर करने में बेहतर परिणाम देगा।
यह डिवाइस रिहैबिलिटेशन सेंटरों (Rehabilitation centers), क्लीनिकों (Clinics), अस्पतालों (Hospitals) और यहां तक कि मरीजों के घरों (Patients’ houses) में भी बखूबी उपयोग किया जा सकता है। इससे हाथों की रिहैबिलिटेशन थेरेपी (Rehabilitation therapy of hands) के लिए जरूरी कारगर, सस्ते और सुलभ साधनों का अभाव दूर होगा। यह इनोवेशन चूंकि सस्ता और पोर्टेबल है इसलिए स्वास्थ्य सेवा उद्योग में बड़े बदलाव लाने में सक्षम है।
‘‘स्ट्रोक के बाद मरीजों के हाथों के रिहैबिलिटेशन की चुनौती कम करने में प्लूटो का बड़ा हाथ होगा। यह सस्ता है और सर्व सुलभ होगा। पोर्टेबल होने से इसका उपयोग घर पर या बिस्तर पर करना आसान होगा। इसमें समय की बचत होगी और नियमित थिरैपी संभव होगी। रिकवरी के बेहतर परिणाम मिलेंगे और इस थिरैपी के लिए अन्य किसी पर निर्भरता कम होगी।’’– प्रो. सुजाता श्रीनिवासन, प्रमुख, टीटीके सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन रिसर्च एंड डिवाइस डेवलपमेंट, आईआईटी मद्रास (IIT Madras)
11 क्लीनिकों में हो रहा है रोबोट का उपयोग
सीएमसी वेल्लोर के बायोइंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर शिवकुमार बालासुब्रमण्यम ने बताया, ‘‘प्लूटो का उपयोग भारत के 11 अलग-अलग क्लीनिकों में नियमित नैदानिक उपचार (Regular clinical treatment) के लिए किया जा रहा है। यह सीएमसी वेल्लोर और आईआईटी मद्रास के अनुसंधान और विकास कार्य के तहत संभव हुआ है। हाथ से लाचार 1000 से अधिक लोग चिकित्सा उपचार के लिए इस उपकरण का लाभ ले भी चुके हैं।
सीएमसी वेल्लोर में ही हर सप्ताह कम से कम 15 रोगी नियमित रूप से हाथों के उपचार के लिए प्लूटो का उपयोग करते हैं। प्लूटो पहला और एकमात्र स्वदेशी रोबोट है जिसका परीक्षण भारतीय घरों में किया गया। इससे स्पष्ट है कि प्लूटो से गहन चिकित्सा संभव है और यह चिकित्सा सर्व सुलभ हो सकता है।’’
सस्ते डिवाइस का मरीजों को मिलेगा लाभ

रोबोट (Robot) सस्ता है। इसे बनाने की लागत कम है और यह प्रभावी परिणाम भी दे रहा है। रोबोट के मॉड्यूलर डिजाइन (Modular design) के लिए रिसाइकिल मटेरियल (Recycle material) इस्तेमाल किए गए हैं और इसके प्रोसेस में ऊर्जा बचत का भी ध्यान रखा गया है। इससे कचरा कम होगा और पर्यावरण को नुकसान भी कम होगा। यह बहुत अनुकूल हो सकता है इसलिए कई डिवाइस की जरूरत नहीं होगी। इससे सस्टेनेबल स्वास्थ्य सेवा (Sustainable healthcare) में इनोवेशन बढ़ेगा।
इस्तेमाल करना होगा बेहद आसान
प्लूटो के आविष्कारक (Pluto’s inventor), डॉ. अरविंद नेहरू ने आईआईटी मद्रास और सीएमसी वेल्लोर के साथ अपने ज्वाइंट पीएचडी के दौरान इसका विकास किया है। उन्होंने कहा, ‘‘प्लूटो (Pluto Robot) एक मॉड्यूलर और पोर्टेबल रोबोट है। यह हाथों की एडवांस थेरेपी (Advance therapy of hands) करने में सक्षम है।
इसमें मरीज के लिए अनुकूल सहायता और थेरेपी गेमिंग (Therapy gaming) भी है। यह डिवाइस सिंगल एक्ट्यूएटर और इंटरचेंजेबल मैकेनिकल हैंडल (Single actuator and interchangeful mechanical handle) की मदद से कलाई और हाथों के मूवमेंट को लक्षित थेरेपी (Targeted therapy) करने में कामयाब है। इसकी डिजाइन मॉड्यूलर है, इसलिए यह वर्सेटाइल है। इससे रिस्ट फ्लेक्शन/एक्सटेंशन, फोरआर्म प्रोनेशन/सुपिनेशन और हाथ खोलने-बंद करने जैसे अभ्यास करना आसान होगा।’’
‘‘आईआईटी मद्रास और सीएमसी वेल्लोर के बीच इस सहयोग से चिकित्सा में सहायक उपकरणों को लेकर कई अन्य लाभदायक इनोवेशन होंगे। आईआईटी मद्रास के प्रमुख दिशा निर्देशों में से एक प्रौद्योगिकी को बाजार योग्य बनाना और उद्योग जगत में अपनाए जाने पर जोर देना है। हम प्रौद्योगिकी अनुकूलन के ऐसे अन्य प्रयास जारी रखेंगे।’’– प्रो. मनु संथानम, डीन, आईआईटी मद्रास
प्लूटो की विशेषताएं
- इसका डिजाइन कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल है इसलिए बिस्तर या व्हीलचेयर पर थेरेपी देने में सक्षम है।
- इसका उपयोग घर पर या क्लिनिक में किया जा सकता है।
- इसमें प्लग-एंड-ट्रेन मैकेनिज्म है। हाथों के विभिन्न फंक्शन के लिए अलग-अलग थेरेपी टूल हैं इसलिए यह अधिक उपयोगी और सुविधाजनक है।
- इसमें एक गियरलेस डीसी मोटर के साथ प्लग-इन सिस्टम है इसलिए थेरेपी टूल्स को कनेक्ट करना और चालू करना बिल्कुल आसान है।
- डिवाइस अधिक मॉड्यूलर है और इसका फैब्रिकेशन किफायती है इसलिए स्वास्थ्य सेवा संस्थानों और रोगियों के लिए यह अधिक अनुकूल है और सभी को अधिक सक्षम बनाएगा।
- डिवाइस का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है इसलिए क्लिनिक, पुनर्वास केंद्र और घर सभी जगहों पर इसका अपनाया जाना आसान है।
- इसका खास डिज़ाइन स्ट्रोक या हाथ के पक्षाघात जैसे मामलों में जरूरी शुरुआती रिहैबिलिटेशन करने में सक्षम है। इस तरह मरीज के फंक्शन में तेजी से सुधार की संभावना दिखती है।