Friday, March 21, 2025
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Male Infertility : चमत्कार! 100 प्रतिशत निष्क्रिय शुक्राणुओं के बावजूद बन गया पिता

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शादी के पांच साल के बाद दंपत्ति ने सुनी बच्चे की किलकारी

ग़ाज़ियाबाद। पुरुष निःसंतानता (Male Infertility) से प्रभावित एक दंपत्ति ने विज्ञान के चमत्कार से संतान सुख प्राप्त किया। इसे चमत्कार इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि पुरुष 100 प्रतिशत निष्क्रिय शुक्राणु होने की समस्या का सामना कर रहा था। गाजियाबाद निवासी इस दंपत्ति को चिकित्सा विज्ञान की अत्याधुनिक तकनीक (male infertility treatment) से माता-पिता बनने का अवसर प्राप्त हुआ। दंपत्ति करीब 5 वर्ष से संतान के लिए कोशिश कर रहे थे। हर तरह का उपचार आजमाया लेकिन निराशा ही हाथ लगी।

असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) का हुआ प्रयोग

बार-बार गर्भधारण की कोशिशें जब नाकाम हुई तो निराश दंपत्ति ने गाजियाबाद स्थित एक प्राइवेट आईवीएफ केंद्र को संपर्क किया। जहां सभी जरूरी जांच के बाद डॉक्टरों ने असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक से उपचार की योजना बनाई। मेल पार्टनर शत-प्रतिशत इम्मोटाइल शुक्राणु की स्थिति का सामना कर रहा था। जिसे चिकित्कीय भाषा में पूर्ण एस्थेनोजोस्पर्मिया के रूप में जाना जाता है। यह समस्या 5000 में से किसी एक पुरुष में होती है।

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बचपन में हुई सर्जरी के कारण Male Infertility

 चमत्कार! 100 प्रतिशत निष्क्रिय शुक्राणुओं बावजूद बन गया पिता
चमत्कार! 100 प्रतिशत निष्क्रिय शुक्राणुओं बावजूद बन गया पिता | Photo : freepik

इंदिरा आईवीएफ कौशाम्बी की डॉ. मेघा जिंदल के मुताबिक पुरुष पार्टनर की बचपन में वृषण से संबंधित जननांग सर्जरी हुई थी। ऐसे मामलों में शुक्राणु प्राकृतिक रूप से अंडे को निषेचित करने के लिए महिला के गर्भाशय में मूवमेंट करने में असमर्थ हो जाता है। जिसके कारण गर्भ नहीं ठहरता है।

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“पूर्ण एस्थेनोस्पर्मिया (Male Infertility) या 100 प्रतिषत इम्मोटाइल शुक्राणु एक ऐसी स्थिति की ओर इंगित करता है जहां वीर्य के सेम्पल में सभी शुक्राणु चलने या तैरने में पूरी तरह से असमर्थ होते हैं। एक पुरुष के फरटाइल (प्रजनन क्षमता) होने के लिए, कम से कम 42 प्रतिषत गतिशीलता की आवश्यकता होती हैं। इस केस में हाइप-ऑस्मोटिक स्पेलिंग (एचओएस) टेस्ट किया गया। जिससे यह पता चला कि पति के गतिहीन शुक्राणु अभी भी इट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) के लिए उपयोग में लिये जा सकते थे क्योंकि कोशिकाओं की आनुवंशिक संरचना उपयुक्त थी ।“

ऐसे हुई उपचार की योजना सफल

एआरटी चक्र की वजह से दो उच्च गुणवत्ता वाले ग्रेड ए ब्लास्टोसिस्ट बने। भ्रूण स्थानांतरण प्रक्रिया में ब्लास्टोसिस्ट को पत्नी के गर्भाशय में ट्रांसफर किया गया । बीटा-हामन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (बीएचसीजी) टेस्ट के माध्यम से प्रेगनेंसी की पुष्टि की गयी। पूर्व में निःसंतानता की जटिल समस्याओं के बावजूद माता-पिता बनने के सपने को पूरा करते हुए, दम्पती के घर एक स्वस्थ संतान का जन्म हुआ।


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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