Marburg Disease से अबतक 9 लोगों की मौत
Marburg Disease, Eye Bleeding Disease Marburg Outbreak in Tanzania : तंजानिया में मारबर्ग वायरस (Marburg virus in Tanzania) लोगों की मौत की वजह बन रहा हैं। इस बीमारी का प्रभाव इतना खतरनाक होता है कि शरीर के हर छिद्र से खून का रिसाव (bleeding from every pore of the body) होने लगता है। जिससे मरीज की मौत हो जाती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अबतक इस बीमारी की वजह से 9 लोगों की मौत (9 people died) हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने चिंता व्यक्त करते हुए तंजानिया जाने वाले लोगों के लिए तत्काल चेतावनी जारी की है। मारबर्ग वायरस की वैक्सीन (Marburg virus vaccine) उपलब्ध नहीं है। खास बात यह है कि मारबर्ग वायरस से संक्रमित मरीजों का उपचार (Treatment of patients infected by Marburg virus) करने वाले डॉक्टर भी इससे प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे में हेल्थ वर्कर के लिए यह संक्रमण जोखिम से भरा हुआ साबित हो रहा है।
डब्ल्यूएचओ ने किया टीम गठित
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंजानिया के नॉर्थ -ईस्टर्न कागेरा क्षेत्र (North-Eastern Kagera Region of Tanzania) में इस रोग की रोकथाम और बचाव के लिए एक टीम गठित की है। तंजानिया के इसी इलाके से मारबर्ग के मामले (Marburg cases) सामने आए हैं।

डॉक्टरों को सावधानी बरतते हुए मरीजों का उपचार करने के लिए कहा गया है। तंजानिया के पड़ोसी देश रवांडा और बुरुंडी (Rwanda and Burundi) के डॉक्टरों को भी एतिहातन चेतावनी जारी की गई है। पिछले हफ्ते से स्थानीय अधिकारी लगातार मारबर्ग से संबंधित चेतावनी (Marburg-related warnings) जारी कर रहे हैं।
बीते हफ्ते इस इलाके में 6 लोग मारबर्ग से संक्रमित (6 people infected from Marburg) हुए थे, इनमें से 5 लोगों की मौत (5 people died) हो चुकी है। विशेषज्ञों ने अपने प्रारंभिक जांच में मौत की वजह मारबर्ग को पाया है। WHO के अधिकारी के मुताबिक, 11 जनवरी से अब तक 9 लोग मारबर्ग संक्रमण का शिकार बने हैं। इनमें से 8 लोगों की जान चली गई है।
क्या है मारबर्ग? What is Marburg?
मारबर्ग एक वायरस (Virus) है। यह इबोला (ebola) से मिलता-जुलता हुआ वायरस है। इसमें हेमरेज फीवर (Haemorrhage Fever) होता है। बुखार के साथ शरीर के छिद्रों से खून निकलता है। इससे प्रभावित मरीजों की आंखों से सबसे ज्यादा खून निकलता है। आंखों के अलावा संक्रमित मरीजों के मुंह, नाक, कान से खून बहता है। इसके शुरूआती लक्षणों में तेज सिरदर्द, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर चकते, गले में दर्द, खांसी प्रकट हो सकते हैं। एक दो दिनों के बाद मरीज पेट और छाती में भी दर्द होने की शिकायत करते हैं। इसके बाद मरीजों को उल्टियां होने लगती है और अंत में शरीर के छिद्रों से खून का रिसाव होने लगता है।
किस तरह फैलती है यह बीमारी?
How does Marburg spread?
यह वायरस संक्रमित मरीज के शरीर के सभी तरह के फ्लूड (Fluid) में मौजूद होता है। ऐसे में किसी संक्रमित मरीज के शरीर, कपडे या उसके फ्लूड के संपर्क में आने से स्वस्थ व्यक्ति भी इससे संक्रमित हो सकता है। यानि संक्रमित व्यक्ति के खून, मल-मूत्र, थूक, दूध, वीर्य और वेजाइनल फ्लूड (vaginal fluid) से स्वस्थ व्यक्ति मागबर्ग से संक्रमित हो सकता है।
कैसे फैली यह बीमारी? How did Marburg spread?
डब्ल्यूएचओ (WHO) के मुताबिक, मारबर्ग बीमारी में मौत का आंकडा (Marburg disease death toll) 88 प्रतिशत है। यानि, 10 में से करीब 9 संक्रमित मरीजों की मौत हो जाती है। रवांडा ने हाल में ही मारबर्ग के खतरे (Marburg threats) से मुक्त होने की घोषणा की थी। इसके तत्काल बाद तंजानिया में इस बीमारी ने कहर बरपाना शुरु कर दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक रवांडा (Rwanda) में अभी तक मारबर्ग से 66 लोग संक्रमित हुए थे। इनमें से 80 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मी हैं। यह बीमारी पुरानी है। 2023 में नए सिरे से इसके मामले सामने आने लगे। 2012 में यूगांडा में इस बीमारी से 15 लोगों की मौत हो गई थी। 2004 से 2005 के बीच ही अगोला (Agola) में इस बीमारी से 252 लोग संक्रमित पाए गए थे। इनमें से 227 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (Democratic Republic of the Congo) में 1998 से 2000 के मध्य 128 लोगों ने अपनी जान गंवाई। 1967 में जर्मनी (Germany) और यूगोस्लाविया (Yugoslavia) में इस बीमारी से 31 लोगों की जान चली गई।