पेट में चिपके थे 2 पैर, Delhi AIIMS में ‘सर्जरी से चमत्कार’
Miracle of Surgery in AIIMS Delhi, 4 Legged Child Get New Life from New Delhi AIIMS : जब सृजन में विकृति (Distortion in creation) होती है, तो उसे सुधारने की शक्ति इस धरती पर सिर्फ डॉक्टरों के पास होती है।
विज्ञान की शक्ति (power of science) से एक चिकित्सक उन निराशाओं को आशा प्रदान करते हैं, जिसकी कल्पना करना भी कई बार असंभव सा लगने लगता है। कोई इसे चमत्कार (Miracle) कहता है, तो कोई हैरान होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences, New Delhi AIIMS) के सर्जन ने एक ऐसी ही विकृति को सुधारकर एक निराश परिवार को जीवन की नई आशा प्रदान की है।
कुछ ऐसे शुरू हुई थी इस ‘बच्चे की कहानी’
जब किसी बच्चे का जन्म होता है, तब परिवार की खुशियां देखते ही बनती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ था। उसके चार पैर (Four legs) थे। कहने को चारो पैर चलने के लिए थे लेकिन दो पैर उसके पेट के साथ (two legs along his stomach) चिपके हुए थे।
जिसने देखा, वह हैरान हुआ या डर गया। समय बीता तो इस सामान्य दुनिया में असामान्यता की परीक्षा तब शुरू हुई जब बच्चा स्कूल जाने लगा। सामान्य बच्चों के बीच उसके लिए तमाम मुश्किलें पैदा होनी शुरू हो चुकी थी।
वह आशा भरी निगाहों से देखता तो उसे बदले में ताने दिए जाने लगे। प्रताडना इस कदर बढ गई कि 8वीं कक्षा में स्कूल छोडने को विवश हो गया। अपनी तकलीफ और असामान्यता के दो पैरों को सीने से चिपकाए वह बच्चा 17 वर्षों तक जीता रहा।
समस्या की जड़ में ‘आर्थिक लाचारी’
डॉक्टरों के अनुसार, गर्भ में पल रहे शिशु (baby in womb) में इस तरह की स्थिति का पता लगाया जा सकता है लेकिन इस मामले में माता-पिता अपनी आर्थिक स्थिति से लाचार थे। नतीजतन, गर्भावस्था के दौरान होने वाली नियमित जांच (Routine checkups) करवा न सके।
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इतने वर्षों तक बच्चा असामान्य अवस्था (abnormal condition) में जीता रहा, इसके पीछे भी उनकी खराब आर्थिक स्थिति ही जिम्मेदार थी। ऐसे में एक जटिल मामले की महंगी जांच और उपचार किसी निजी अस्पताल में करवाने का हौसला वे नहीं जुटा सके और किसी सामान्य अस्पताल में इसकी सर्जरी करवाना संभव नहीं था। ऐसे में उन्होंने भी औरों की तरह आखिरी उम्मीद के तौर पर एम्स (New Delhi AIIMS) आने का ही फैसला किया।
बच्चे को देखकर जब डॉक्टर भी रह गए हैरान
कहते हैं, समय का चक्र बदलता जरूर है और अब वह वक्त आ गया था, जब बच्चे की 17 वर्षों की तपस्या सफल होने वाली थी। माता-पिता की उम्मीद उस अस्पताल से जुड गई, जहां देश के हर कोने से जीवन की उम्मीद लेकर लोग उपचार कराने आते हैं।

एम्स (AIIMS Hospital Delhi) के सर्जरी विभाग (Department of Surgery) के एडिशनल प्रोफेसर डॉ आसुरी कृष्णा (Additional Professor Dr. Asuri Krishna) के मुताबिक, 28 जनवरी को 17 साल का एक बच्चा ओपीडी (AIIMS OPD) में लाया जाता है।
जब बच्चा ओपीडी में लाया गया, तब उसके पेट को कपडे से ढक दिया गया था। कपडे के अंदर से दो पैर लटक रहे थे। डॉक्टर ने सोचा कि उसने किसी छोटे बच्चे को अपने गोद में रखा हुआ है और ये पैर उसी बच्चे के होंगे लेकिन जैसे ही कपडा हटाया, तो सामने के दृश्य देखकर डॉक्टर और वहां मौजूद मेडिकल कर्मचारी हैरान रह गए।
उन्होंने देखा कि सामने खडे बच्चे के पेट में दो पैर (two legs along his stomach) जुडे हुए हैं। चिकित्सा विज्ञान (Medical Science) इस स्थिति को incomplete parasitic twin कहता है।
Miracle of Surgery in AIIMS Delhi : 17 साल की विकृति से मिली आजादी
इस हैरान कर देने वाले मामले (surprising cases) से संबंधित सभी जरूरी विश्लेषण के बाद डॉक्टर ने सर्जरी (surgery) का फैसला किया। करीब ढाई घंटे की जटिल सर्जरी (Two and a half hour complex surgery) को अंजाम देने के बाद एम्स नई दिल्ली की सर्जरी टीम (Surgery Team) एक और नयी मुकाम (Miracle of Surgery in AIIMS) हासिल करने में सफल रही।
इसके साथ ही 17 साल से जन्मजात विकृति (Congenital malformation from 17 years) से उस बच्चे को भी आखिरकार आजादी मिल गई। सर्जरी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर आसुरी कृष्णा के नेतृत्व में एम्स की टीम (AIIMS team) ने अद्भुत चिकित्सा कार्यकुशलता (amazing medical skills) का परिचय दिया था।
इस टीम में एम्स नई दिल्ली (New Delhi AIIMS ) के डॉ वीके बंसल (Dr VK Bansal), डॉ ब्रजेश सिंह (Dr Brajesh Singh), डॉ सुशांत सोरेन (Dr Sushant Soren), डॉ मनीष सिंघल (Dr Manish Singhal), डॉ शशांक चौहान (Dr Shashank Chauhan), डॉ अभिनव (Dr. Abhinav), डॉ राकेश (Dr Rakesh) और डॉ गंगा प्रसाद (Dr. Ganga Prasad) ने सराहनीय भूमिका निभाई। एम्स के अलग-अलग विभागों के डॉक्टरों ने एक साथ मिलकर असंभव लगने वाले कार्य (Miracle of Surgery in AIIMS) को संभव कर दिखाया।
क्यों लिया सर्जरी का फैसला?
सर्जरी टीम (Surgery Team AIIMS) के विशेषज्ञों के मुताबिक, पेट से चिपके हुए दो अतिरिक्त पैर (two extra legs sticking out of the belly) बच्चे की शारीरिक विकास में बहुत बडी बाधा साबित हो रहे थे।
पेट के साथ विकसित हुए दोनों पैरों (Both legs developed along with the stomach) की वजह से शरीर के दूसरे अंगों को क्षति पहुंचने की आशंका थी।
मेडिकल साइंस के नजरिए से देखा जाए तो ऐसी स्थिति तब होती है, जब जुडवा बच्चों (twins) में से एक का शरीर विकसित नहीं हो पाता। ऐसे में उसके अंग दूसरे बच्चे के शरीर के साथ ही जुड जाते हैं।
दुर्लभ किस्म के होते हैं ऐसे मामले
एम्स के सर्जरी विभाग (surgery department of aiims) की डॉ असुरी कृष्णा के मुताबिक, ऐसे मामले बेहद दुर्लभ (Extremely rare) होते हैं। एक करोड की आबादी में एक मामला ऐसे देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, दुनियाभर में incomplete parasitic twin वाले 42 मामले (Cases) सामने आए हैं।