Tuesday, June 24, 2025
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Monsoon Health Tips Ayurveda: मानसून में कैसे रखें आहार-विहार का संतुलन, जानिए आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह

आयुर्वेद में वर्षा ऋतु (जुलाई से सितंबर) को विशेष माना गया है। इस समय वातावरण में प्रकृति का प्रभाव पृथ्वी और अग्नि महाभूतों (Agni Mahabhutas) से जुड़ा होता है।

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Highlights

वर्षा ऋतु में बीमारियों से बचने के लिए अपनाएं आयुर्वेदिक नियम

Monsoon Health Tips Ayurveda : जैसे ही आसमान में काले बादल मंडराने लगते हैं और बारिश की फुहारें तन–मन को ठंडक पहुंचाने लगती हैं, वैसे ही मानसून के साथ कई स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां (Health challenges) भी दस्तक देने लगती हैं।
नमी, गंदा पानी और मौसम का बदलाव (Change of seasons) शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (disease resistance) को प्रभावित करता है। ऐसे में monsoon health tips ayurveda पर आधारित वर्षा ऋतुचर्या (rainy season routine) का पालन करना न केवल जरूरी बल्कि अत्यधिक लाभकारी है।
आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में वात (Vata) और पित्त (Pitta) दोष का असंतुलन अनेक बीमारियों को जन्म देता है। लेकिन यदि हम मौसम के अनुसार अपने आहार और विहार को ढाल लें, तो रोगों से आसानी से बचा जा सकता है। आइए जानें, वर्षा ऋतु में स्वस्थ रहने के लिए किन आयुर्वेदिक नियमों (Ayurvedic Rules) का पालन करना चाहिए।

Monsoon Health Tips Ayurveda: मानसून की दस्तक और बढ़ता संक्रमण का खतरा

हर साल जुलाई के महीने में मानसून की शुरुआत होती है, लेकिन इस बार दिल्ली (Delhi) समेत उत्तर भारत में मानसून (Monsoon in North India) कुछ पहले ही दस्तक दे चुका है। जहां एक ओर बारिश गर्मी से राहत देती है, वहीं दूसरी ओर बीमारियों का खतरा (Risk of diseases) भी बढ़ जाता है।
नमी और गंदे पानी के कारण पेट के संक्रमण (Stomach infections), डेंगू (Dengue), हैजा (Cholera), टाइफाइड (Typhoid), स्किन इंफेक्शन (skin infection) और पाचन संबंधी समस्याएं (Digestive problems) आम हो जाती हैं। ऐसे में आयुर्वेद में वर्णित वर्षा ऋतुचर्या (monsoon health routine) का पालन करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।

Monsoon Health Tips Ayurveda: वर्षा ऋतु में आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से शरीर की स्थिति

वात और पित्त दोष का असंतुलन

आयुर्वेद में वर्षा ऋतु (जुलाई से सितंबर) को विशेष माना गया है। इस समय वातावरण में प्रकृति का प्रभाव पृथ्वी और अग्नि महाभूतों (Agni Mahabhutas) से जुड़ा होता है। लगातार बारिश और नमी के कारण शरीर की अग्नि (पाचन शक्ति) मंद हो जाती है, जिससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसी मौसम में वात दोष का प्रकोप और पित्त दोष का संचय (Accumulation) होता है, जिससे गठिया (Arthritis), जोड़ों में दर्द (Joint pain), अपच (Indigestion), पेट फूलना (Abdominal distension) जैसी समस्याएं बढ़ती हैं।

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Monsoon Diet Chart : सुपाच्य और हल्का भोजन है जरूरी

  • अम्ल (खट्टे), लवण (नमकीन) और स्नेहयुक्त भोजन का सेवन लाभकारी है।
  • पुराने जौ, गेहूं, चावल जैसे अनाज पचने में आसान होते हैं और पाचन को बेहतर बनाते हैं।
  • खिचड़ी, मूंग दाल का सूप, हरी सब्जियों की भाजी आदर्श माने जाते हैं।
  • उबला हुआ या औषधीय जल पीने से संक्रमण का खतरा कम होता है।
  • कम पानी वाले फल जैसे – सेब, अनार, नाशपाती, केला आदि का सेवन करें।
Monsoon Health Tips Ayurveda: मानसून में कैसे रखें आहार-विहार का संतुलन, जानिए आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह
Monsoon Health Tips Ayurveda: मानसून में कैसे रखें आहार-विहार का संतुलन, जानिए आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह
वर्जित खाद्य पदार्थ: भारी भोजन जैसे मांस, अधिक तेल-मसाला, तली चीजें, ठंडी तासीर वाली चीजें, दही, मछली आदि से बचना चाहिए। दूषित पानी या सड़क किनारे मिलने वाले खाद्य पदार्थ भी पेट संबंधी रोगों (stomach related diseases) का कारण बन सकते हैं।

Monsoon Health Tips Ayurveda: किन बातों का रखें विशेष ध्यान

पानी से होने वाली सब्जियों और सलाद से सावधानी

कमल ककड़ी, अरबी, कद्दू, मूली, गाजर जैसी जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियां मानसून में बैक्टीरिया और परजीवी अंडों से संक्रमित हो सकती हैं। इन्हें अच्छी तरह उबालकर ही प्रयोग करें। सलाद जैसे कच्चे पदार्थों से परहेज़ करें, क्योंकि गंदे पानी से संक्रमण का खतरा अधिक रहता है।

 जीवनशैली में क्या बदलाव जरूरी हैं?

दिनचर्या और सावधानियां

  • रोज सुबह हल्की एक्सरसाइज और प्राणायाम करें।
  • शरीर को साफ और सूखा रखें, विशेष रूप से पैरों और बालों को।
  • स्नान से पहले तेल मालिश करें ताकि वात दोष शांत हो।
  • दिन में सोने, बारिश में भीगने, अत्यधिक मेहनत से बचें।
  • औषधीय वस्ति (एनिमा) जैसे उपचार की सलाह चिकित्सक से लेकर ही लें।

ऋतुचर्या के फायदे: क्यों जरूरी है इसका पालन?

वर्षा ऋतु में यदि आयुर्वेद के नियमों का पालन किया जाए तो :
  • पाचन क्रिया सुचारु रहती है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ती है।
  • वात और कफ दोष संतुलित रहते हैं।
  • त्वचा और पेट की बीमारियों से बचाव होता है।
  • मानसिक संतुलन और ऊर्जा बनी रहती है।

Monsoon Health Tips Ayurveda: विशेष सुझाव और निष्कर्ष

मानसून में खानपान और रहन-सहन का संतुलन बनाना सबसे ज़रूरी है। भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश (tropical country) में आयुर्वेद की ऋतुचर्या (Seasonal regimen of Ayurveda) न केवल पारंपरिक ज्ञान है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी इसकी पुष्टि होती है कि मौसम के अनुसार आहार-विहार में बदलाव आवश्यक है। संक्रमण और रोगों से बचाव के लिए यह एक प्राकृतिक कवच का कार्य करती है।

FAQ : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. मानसून में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में कौन-कौन से उपाय बताए गए हैं?

monsoon health tips ayurveda : आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में तुलसी, गिलोय, आंवला, अदरक और शहद जैसे प्राकृतिक तत्वों का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। साथ ही, पंचकर्म थेरेपी जैसे बस्ती या विरेचन से शरीर का शुद्धिकरण कर प्रतिरोधक क्षमता मजबूत की जा सकती है।

Q2. बरसात के मौसम में कौन से आयुर्वेदिक पेय सबसे लाभदायक माने जाते हैं?

मानसून के दौरान अदरक-तुलसी की चाय, हल्दी दूध, सौंठ-शहद का काढ़ा, और जीरा-धनिया जल जैसे आयुर्वेदिक पेय पाचन को मजबूत करते हैं और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। ये पेय सर्दी-खांसी और मौसमी संक्रमण से बचाते हैं।

Q3. क्या मानसून में उपवास या डिटॉक्स करना सुरक्षित है?

हाँ, यदि शरीर स्वस्थ है तो आयुर्वेद में मानसून (monsoon health tips ayurveda) के दौरान हल्का उपवास या तरल-आहार आधारित डिटॉक्स को उचित माना गया है। यह पाचन अग्नि को पुनः जाग्रत करता है और शरीर से आम (toxins) को निकालने में सहायक होता है। लेकिन यह किसी वैद्य की सलाह लेकर ही करना चाहिए।

Q4. क्या मानसून में मसाज (अभ्यंग) करना सुरक्षित और फायदेमंद होता है?

जी हाँ, आयुर्वेद में मानसून में तिल के तेल से नियमित अभ्यंग (मालिश) को वात दोष शांत करने वाला माना गया है। यह जोड़ों के दर्द, त्वचा के संक्रमण और मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक होता है। स्नान से पहले तेल की मालिश विशेष रूप से लाभदायक होती है।

Q5. मानसून में बच्चों की देखभाल के लिए कौन-से आयुर्वेदिक उपाय अपनाएं?

monsoon health tips ayurveda : बच्चों को वायरल संक्रमण से बचाने के लिए हल्दी वाला दूध, तुलसी अर्क की कुछ बूँदें, और अदरक-शहद का हल्का मिश्रण उपयोगी होता है। उन्हें भीगने से बचाएं और प्रतिदिन गुनगुने पानी से स्नान कराएं। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, खासकर नाखूनों और पैरों की।

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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Dr. RP Parasher
Dr. RP Parasherhttps://caasindia.in
Dr. R. P. Parasher is a distinguished Clinical Psychologist and renowned Ayurveda Specialist, currently serving as the Chief Medical Officer (Ayurveda) at the Municipal Corporation of Delhi. With decades of experience in holistic healing, Dr. Parasher is widely recognized for his expertise in Ayurvedic medicine and his deep commitment to patient care. He holds a special interest in lifestyle disorders, autoimmune conditions, and the treatment of rare and chronic diseases through integrative Ayurvedic approaches. His evidence-based practice and compassionate approach have earned him a respected name in the field of traditional Indian medicine.
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