सोमवार, अक्टूबर 2, 2023
होमNewsDelhiअंगदान : पिता की मौत से सदमें था परिवार, नहीं भूला इंसानियत

अंगदान : पिता की मौत से सदमें था परिवार, नहीं भूला इंसानियत

नई दिल्ली : पिता की मौत से आहत एक परिवार ने अंगदान (Orgain Donation) कर मानवता की बडी मिसाल पेश की है। परिवार के इस कदम से जहां कई ऐसे लोगों की जिंदगी बच गई जो किडनी और लिवर की गंभीर बीमारी से पीडित थे।

दरअसल, 45 वर्षीय ऑटोरिक्शा चालक कारू सिंह गत 30 जून को बिहार के अपने गांव से अपनी बेटी की शादी का रिश्ता तय करने दिल्ली आए थे। लंबी यात्रा के बाद थके हुए कारू सिंह अपने रिश्तेदार के यहां ठहरे हुए थे। रात को छत पर सोने के लिए चले गए। रात में वह किसी काम से उठे लेकिन उन्हें दिशाभ्रम हो गया और अचानक वह छत से नीचे गिर गए। परिवार ने उन्हें 1 जुलाई को  एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बाद भी कारू सिंह को बचाया नहीं जा सका। शाम 4:13 बजे डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड करार दिया।

अंगदान – विकिपीडिया

किसी जीवित या मृत व्यक्ति के शरीर का ऊतक या कोई अंग दान करना अंगदान (Organ donation) कहलाता है …

भोजन देखते ही दिमाग में शुरू होती है इंफ्लामेट्री प्रतिक्रिया

नई दिल्ली : क्या भोजन देखते ही दिमाग में इंफ्लामेट्री प्रक्रिया शुरू हो सकती है। बेसल विश्वविद्यालय के

इस बीच एम्स के ऑर्बों विभाग के डॉक्टरों और ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटरों द्वारा परिजनों को अंगदान के विकल्प के बारे में सूचित किया गया। दुख की इस घडी में भी परिजनों ने मानवीय संवेदना का परिचय दिया और अंगदान करने की सहमति दे दी। परिजनों ने कहा कि हमारे पिता के साथ जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन उनके दान किए हुए अंग से अगर किसी के दुख को दूर किया जा सकता है तो यह उनके मृत पिता के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इसे भी पढें : महंगा हुआ उपचार : इलाज पर अब GST का भार

परिजनों की सहम​ति के बाद बीते 2 जुलाई को मृतक के शरीर से अंगों को हासिल किया गया। दान किए गए अंगों में से हृदय 40 वर्षीय महिला में प्रत्यारोपित किया गया। 62 वर्षीय पुरूष में लिवर प्रत्यारोपित किया गया। जबकि, एम्स में ही भर्ती 56 वर्षीय मरीज में किडनी प्रत्यारोपित कर समय रहते उसकी जिंदगी बचाने में कामयाबी मिली। वहीं दूसरी किडनी आरएमएल अस्पताल में भर्ती 37 वर्षीय महिला को दिया गया।

अंगदान की प्रक्रिया नोटो की देखरेख में पूरी की गई। एम्स की नेशनल आई बैंक में मृतक के शरीर से प्राप्त कॉर्निया को सुरक्षित तरीके से संरक्षित किया गया है। जरूरत के मुताबिक किसी मरीज को कॉर्निया प्रत्यारोपित कर उसके अंधेरे जीवन को रोशन करना संभव हो पाएगा। इस बीच प्रत्यारोण टीम का भी प्रयास सराहनीय रहा और उन्होंने कुशलता से अंगदान की सभी प्रक्रिया को अंजाम दिया।

एम्स दिल्ली में ऑर्गन ट्रांसप्लांट एंड रिट्रीवल ऑर्गनाइजेशन (ऑर्बो) की प्रमुख प्रो. आरती विज ने कहा कि अंगों की मांग और उपलब्धता में भारी अंतर को इस तरह के निर्णय से कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पीडित परिवार ने अपने सबसे कठिन क्षणों में भी ऐसा नेक फैसला लिया, जो उनके संवेदनशील होने का प्रमाण है। ऐसे वक्त में इस तरह के फैसले लेना आसान नहीं होता है। परिजनों का निर्णय अत्यंत सराहनीय है। उनके इस कदम से औरों को भी प्रेरणा लेने की जरूरत है।


Read : Latest Health News | Breaking News | Autoimmune Disease News | Latest Research |  on  https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website 

Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindi
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindihttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Latest Article

41 वर्ष की उम्र में आप भी पा सकते हैं श्वेता तिवारी जैसी फिटनेस AS warriors को जरूर होनी चाहिए ये जानकारी Health Benifits of Mango : बीपी की समस्या से आराम दिलाएगा आम Health Tips : आपके भोजन में अगर यह सब है शामिल तो कैल्शियम कभी नहीं होगा कम Health Tips : डायबिटीज है और कंधे में भी होता है दर्द