Retinal Vein Occlusion : डायबिटीज के मरीजों में होती है यह समस्या
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Retinal Vein Occlusion के मरीजों को मिल सकता है Injection से छुटकारा- रेटिनल वेन ऑक्लूजन (RVO) से प्रभावित लोगों को आमतौर पर उनकी आंखों में वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर इनहिबिटर (Anti-VEGF) के इंजेक्शन दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया मरीजों के लिए असुविधाजनक और असहज करने वाला साबित होता है। रेटिनल वेन ऑक्लूजन के मरीजों के लिए इंजेक्शन के अलावा अन्य कोई विकल्प फिलहाल नहीं है। वैज्ञानिकों के ताजा शोध ने ऐसे मरीजों के लिए नई उम्मीद जगाई है। उम्मीद की जा रही है कि इस शोध से आरवीओ मरीजों को इंजेक्शन का विल्कप उपलब्ध करवाना संभव हो जाएगा।
अमेरिकन वैज्ञानिकों ने किया है शोध
अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय (Columbia University) और सैनफोर्ड बर्नहैम प्रीबिस मेडिकल डिस्कवरी इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने चूहों पर एक प्रयोग किया है, जिसके बाद यह पता चला है कि असहज करने वाले इंजेक्शन को आगे चलकर आई ड्रॉप में तब्दील किया जा सकता है।
क्यों होता है रेटिनल वेन ऑक्लूजन (Why does retinal vein occlusion happen)
जब आंख की रेटिना में एक नस अवरुद्ध हो जाती है, इस स्थिति को रेटिनल वेन ऑक्लूजन कहते हैं। इससे सूजन, रेटिना को नुकसान और यहां तक कि दृष्टि हानि भी हो सकती है।
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हमेशा प्रभावी नहीं होते अभी के इंजेक्शन
रेटिनल वेन ऑक्लूजन में एंटी-वीईजीएफ इंजेक्शन सूजन को कम करने और दृष्टि में सुधार लाने में मददगार साबित हुए हैं। इस इंजेक्शन के लिए न केवल आंख में एक पतली हाइपोडर्मिक डालने की आवश्यकता होती है, बल्कि, आरवीओ के इलाज में इंजेक्शन हमेशा प्रभावी ही साबित हो इसकी गारंटी भी नहीं है। आंखों में इंजेकशन लगवाने की तकलीफ को देखते हुए कई मरीज तो इसका उपचार भी बंद कर देते हैं। इसके कारण समस्या और बढने लगती है।

वैज्ञानिकों ने ऐसे किया शोध
प्रयोगशाला परीक्षणों के दौरान जब आरवीओ सूजन को कम करने और रेटिना में रक्त के प्रवाह में सुधार करने की बात आई तो प्रायोगिक दवा युक्त आई ड्रॉप चूहों में मानक एंटी-वीईजीएफ इंजेक्शन की तुलना में दोगुना प्रभावी पाया गया। इसके अलावा इस तथ्य की भी पुष्टि हुई कि इंजेक्शन के मुकाबले, आई ड्रॉप आंखों में फोटोरिसेप्टर को खराब होने से रोककर दृष्टि हानि से बचाता है।
इस आई ड्रॉप्स में Pen1-XBir3 नामक एक यौगिक था, जो पहले एंजाइम कैस्पेज़-9 (enzyme caspase-9) को अवरुद्ध करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह एंजाइम कोशिका मृत्यु को ट्रिगर करता है, और आरवीओ द्वारा क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं में अति सक्रिय माना जाता है।
कोलंबिया विश्वविद्यालय की न्यूरोवास्कुलर जीवविज्ञानी मारिया एवरुत्स्की के मुताबिक “हमारा मानना है कि आई ड्रॉप (eye drop for RVO) रेटिना में रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य में सुधार करती है, जिससे रेटिना के न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिन संकेत कम हो जाते हैं और दृष्टि हानि से बचाव होता है।”
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उत्साहित हैं शोधकर्ता
शोधकर्ताओं के मुताबिक शोध के परिणाम बेहद आशाजनक साबित हुए हैं। हालाँकि, अभी लोगों पर स्पष्ट रूप से इसके परिक्षण करने की आवश्यकता होगी। वैज्ञानिक चूहों पर किए गए प्रयोग के परिणामों से उत्साहित हैं। वैज्ञानिक अब इस आई ड्राप के मानव परिक्षण की योजना बना रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसमें प्रयोग होने वाले यौगिक का उपयोग करके अन्य तरह के उपचार को भी विकसित करने में मदद मिलेगी।
कोलंबिया विश्वविद्यालय के कोशिका जीवविज्ञानी कैरोल ट्रॉय के मुताबिक “इस बीमारी से पीड़ित अधिक लोगों की मदद करने का यह सुनहरा अवसर है, जो दुनिया भर में अंधेपन का एक प्रमुख कारण बन रहा है।” आरवीओ के मूल कारण का पता लगाना सबसे कठिन काम है, लेकिन अगर हम कम से कम बेहतर रोगसूचक राहत प्रदान कर सकें जिससे रोगियों को परेशानी न हो, तो यह वास्तव में एक अच्छी शुरुआत होगी।
Retinal Vein Occlusion के मरीजों को मिल सकता है Injection से छुटकारा
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