Monday, January 20, 2025
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RML Hospital News : सूरज के सीने में धड़केगा सरजीत का दिल, RML Hospital में हुई सर्जरी

दिल्ली (Delhi) के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML Hospital) में करीब 12 घंटों की सर्जरी के बाद चिकित्सकों ने कार्डियोमायोपैथी से पीडित सूरज में हृदय प्रत्यारोपण (heart transplant) कर उसे नई जिंदगी दी है।

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Delhi के RML Hospital में कार्डियोमायोपैथी पीडित मरीज का सफल हृदय प्रत्यारोपण 

RML Hospital News in Hindi, Delhi News in Hindi, RML Hospital News, दिल्ली की खबरें, Ram Manohar Lohia Hospital : उत्तर प्रदेश के एटा निवासी कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) से पीडित 19 वर्ष के सूरज की जिंदगी के लिए 26 साल का सरजीत नया सवेरा साबित हुआ। सरजीत तो नहीं रहे लेकिन उनका दिल अब सूरज के शरीर में धडकता रहेगा।

दिल्ली (Delhi) के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML Hospital) में करीब 12 घंटों की सर्जरी के बाद चिकित्सकों ने कार्डियोमायोपैथी से पीडित सूरज में हृदय प्रत्यारोपण (heart transplant) कर उसे नई जिंदगी दी है।

इस सर्जरी के लिए सर गंगाराम अस्पताल  (Sir Ganga Ram Hospital) से लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML Hospital) तक ग्रीन कॉरिडोर (Green Corridor) बनाया गया और करीब 30 मिनट में प्रत्यारोपित होने वाले हृदय को आरएमएल अस्पताल पहुंचा दिया गया। सूरज को सात दिनों तक गहन निगरानी में रखा गया है। इस सर्जरी के बाद डॉक्टरों को उम्मीद है कि सूरज शीघ्र ही रिकवर होकर घर लौटेगा।

क्या होती है कार्डियोमायोपैथी

सूरज काफी समय से कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) से पीडित था। उसके हृदय के दाहिने हिस्से में यह समस्या थी। इस रोग में हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। हृदय रक्त को सही तरीके से पंप नहीं कर पाता है। जिसके कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, बेहोशी, घबराहट के साथ अन्य कई तरह की परेशानियां होती है। सूरज के मामले में दवाओं ने भी असर करना बंद कर दिया था। उसे जिंदा रखने के लिए सिवाय हृदय प्रत्यारोपण के और कोई विकल्प शेष नहीं रह गया था।

हृदय उपलब्ध होते ही सर्जरी में जुटे डॉक्टर 

RML Hospital News : सूरज के सीने में धड़केगा सृजित का दिल, RML Hospital में हुई सर्जरी
सूरज के सीने में धड़केगा सृजित का दिल, RML Hospital में हुई सर्जरी
डोनर और रिसीवर का ब्लड मैच होने के बाद राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (Notto) से हृदय की उपलब्धता कंफर्म होते ही डॉक्टरों की टीम सर्जरी की प्रक्रिया में जुट गई। इस सर्जरी के लिए कार्डियो थोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी (CTVS) विभाग के प्रमुख डॉ. विजय ग्रोवर के नेतृत्व में प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र सिंह झाझरिया, डॉ. पलाश अय्यर के अलावा कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रंजीत नाथ, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पुनीत अग्रवाल सहित कार्डियक एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ जसविंदर कोहली व अन्य सदस्यों के दल का गठन किया गया।
बुधवार शाम करीब पांच बजे सर गंगाराम अस्पताल से ग्रीन कॉरिडोर विकसित कर सरजीत का दिल आरएमएल अस्पताल पहुंचा दिया गया। शाम करीब साढ़े पांच बजे सर्जरी की प्रक्रिया शुरू हुई और सुबह करीब पांच बजे तक सर्जरी खत्म कर मरीज को आईसीयू में शिफ्ट किया गया।

आरएमएल (RML) में किया गया दूसरा सफल हृदय प्रत्यारोपण

डॉ. नरेंद्र सिंह झाझरिया के मुताबिक, हृदय प्रत्यारोपण से संबंधित सर्जरी सफल रही है। मरीज ठीक है और उसे अगले सात दिनों तक गहन निगरानी में रखा गया है। ऐसी सर्जरी में आशंका रहती है कि मरीज का शरीर दूसरे व्यक्ति के हृदय को कहीं अस्वीकार न कर दे। ऐसे में विशेष सावधानी बरती जा रही है।
डॉक्टर के मुताबिक, वे उम्मीद कर रहे हैं कि मरीज पूरी तरह ठीक हो जाएगा। सूरज को बचपन से ही यह बीमारी थी। जो गंभीर श्रेणी में आती है। मरीज के पास हृदय प्रत्यारोपण ही एक विकल्प बचा था। सूरज को पहले भी सर्जरी के लिए बुलाया गया था लेकिन हृदय उपलब्ध नहीं होने की वजह से उसकी सर्जरी को टालनी पडी थी। आरएमएल अस्पताल में हृदय प्रत्यारोपण (Heart Transplant in RML Hospital) से संबंधित यह दूसरी सफल सर्जरी की गई है। इस उपलब्धि से अस्पताल प्रशासन और चिकित्सकों की टीम बेहद उत्साहित है।

आरएमएल (RML Hospital) में और होगा सुविधाओं का विस्तार 

डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (Super Speciality Block) का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके तैयार होने के बाद एम्स (AIIMS) की तर्ज पर यहां हृदय प्रत्यारोपण की सुविधाओं का विस्तार होगा। उम्मीद की जा रही है कि इससे हृदय प्रत्यारोपण से संबंधित सर्जरियों का आंकडा भी बढेगा। ब्लॉक में हृदय प्रत्यारोपण के लिए विशेष सुविधाएं विकसित की जा रही है। यहां करीब 40 बेड तैयार किए जा रहे हैं।

देर से प्रकट होते हैं कार्डियोमायोपैथी के लक्षण 

विशेषज्ञों के मुताबिक, कार्डियोमायोपैथी के लक्षण अक्सर 50 वर्ष की आयु के बाद ही प्रकट होते हैं। हालांकि, 19 साल के युवक में इस तरह की समस्या होना असामान्य है। ऐसा मामला बेहद कम ही सामने आता है। सूरज के मामले में अनुमान लगाया जा रहा है कि उसे यह समस्या बचपन से ही रही होगी। लंबे समय से रोग से पीड़ित रहने के कारण उसकी जान पर खतरा था। डॉक्टर हृदय प्रत्यारोपण के लिए हृदय की उपलब्ध होने की प्रतीक्षा कर रहे थे।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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