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🖊️ Edited by: Pooja Mishra
युवाओ के अचानक मौत पर दिल्ली एम्स ने की क्रॉस-सेक्शनल स्टडी
नई दिल्ली. एम्स (AIIMS) के एक नए अध्ययन ने sudden cardiac death को लेकर पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि अचानक होने वाली मौतें अब सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि पिछले एक साल में जांचे गए मामलों में आधे से ज्यादा पीड़ित 45 साल से कम उम्र के थे।
कई युवा बिल्कुल स्वस्थ दिखते थे, फिर भी घर पर या यात्रा के दौरान अचानक गिर पड़े और उनकी सांसें थम गईं।
यह अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
मई 2023 से अप्रैल 2024 तक चली इस क्रॉस-सेक्शनल स्टडी में एम्स नई दिल्ली के पैथोलॉजी और फोरेंसिक मेडिसिन विभागों में कुल 2,214 पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स की गहन जांच की गई।
इनमें से 180 मामले sudden cardiac death के मानदंडों पर पूरी तरह खरे उतरे, जो कुल मामलों का 8.1 प्रतिशत बैठता है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इन 180 मामलों में 103 यानी 57.2 प्रतिशत युवा थे, जिनकी उम्र 18 से 45 साल के बीच थी।
इन युवाओं की औसत उम्र मात्र 33.6 साल थी और इनमें पुरुषों की संख्या महिलाओं से कहीं ज्यादा पाई गई। इसलिए अब युवा वर्ग को हृदय स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि खतरा बिल्कुल करीब आ चुका है।
स्टडी के आंकड़ों का विश्लेषण
इस स्टडी ने sudden cardiac death के पैटर्न को बिल्कुल नया रूप दिया है।
कुल 2,214 पोस्टमार्टम में से 180 मामले चुने गए, जिनमें युवाओं का हिस्सा 57.2 प्रतिशत रहा। औसत उम्र 33.6 साल बताती है कि यह समस्या मध्यम आयु से पहले ही शुरू हो रही है।
इस स्टडी में पुरुषों की स्थिति भी चिंताजनक है, क्योंकि समाज में वे अधिक सक्रिय रहते हैं।
ICMR के इस प्रोजेक्ट ने साफ किया कि युवाओं में हृदय रोग चुपचाप बढ़ रहे हैं, जो पहले पता ही नहीं चलते।
ये आंकड़े न सिर्फ एम्स बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी हैं। ICMR की रिपोर्ट्स बताती हैं कि मौत के मामले में युवाओं में genetic mutations भी भूमिका निभा रही हैं। इसलिए परिवारों को सतर्क रहना चाहिए। स्टडी से यह भी पता चला कि मौतें ज्यादातर घर पर या यात्रा में रात या सुबह के समय हुईं।
युवाओं में दिल की बीमारियां मुख्य वजह
Sudden cardiac death का सबसे बड़ा कारण दिल की बीमारियां साबित हुईं। एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता ने स्पष्ट कहा कि युवाओं में 42.6 प्रतिशत मामलों में हृदय रोग जिम्मेदार पाए गए।
इनमें ज्यादातर लोगों की कोरोनरी धमनी में गंभीर ब्लॉकेज थी, जो कभी पहले डिटेक्ट ही नहीं हुई। विस्तृत इमेजिंग, पूरा पोस्टमार्टम और माइक्रोस्कोपिक जांच के बाद भी युवाओं में पांच से ज्यादा मौतें अनसुलझी रहीं।
इन्हें नेगेटिव ऑटोप्सी कहा जाता है, जो बताता है कि कुछ आनुवंशिक हृदय विकार सामान्य जांच से बाहर रह जाते हैं। परिवारों के बयानों से सामने आया कि अचानक बेहोशी सबसे आम लक्षण था, उसके बाद सीने में तेज दर्द और सांस लेने में तकलीफ हुई।
बहुत कम युवाओं को पहले से मधुमेह या हाई ब्लड प्रेशर जैसी कोई ज्ञात बीमारी थी। डॉ. गुप्ता के अनुसार, silent coronary artery disease युवाओं को चुपके से शिकार बना रही है।
ICMR की दूसरी स्टडीज भी myocardial infarction को मुख्य कारण मानती हैं। इसलिए नियमित स्क्रीनिंग जरूरी हो गई है।
ज्यादातर मौतें घरेलू परिवेश या सफर में हुईं, जहां तुरंत मदद मुश्किल थी। ICMR फंडिंग वाली AIIMS स्टडी से genetic predisposition की पुष्टि हुई है।
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युवाओं में दिल की बीमारियां मुख्य वजह
Sudden cardiac death का सबसे बड़ा कारण दिल की बीमारियां साबित हुईं।
एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता ने स्पष्ट कहा कि युवाओं में 42.6 प्रतिशत मामलों में हृदय रोग जिम्मेदार पाए गए।
इनमें ज्यादातर लोगों की कोरोनरी धमनी में गंभीर ब्लॉकेज थी, जो कभी पहले डिटेक्ट ही नहीं हुई। विस्तृत इमेजिंग, पूरा पोस्टमार्टम और माइक्रोस्कोपिक जांच के बाद भी युवाओं में पांच से ज्यादा मौतें अनसुलझी रहीं।
इन्हें नेगेटिव ऑटोप्सी कहा जाता है, जो बताता है कि कुछ आनुवंशिक हृदय विकार सामान्य जांच से बाहर रह जाते हैं। परिवारों के बयानों से सामने आया कि अचानक बेहोशी सबसे आम लक्षण था, उसके बाद सीने में तेज दर्द और सांस लेने में तकलीफ हुई।
बहुत कम युवाओं को पहले से मधुमेह या हाई ब्लड प्रेशर जैसी कोई ज्ञात बीमारी थी। डॉ. गुप्ता के अनुसार, silent coronary artery disease युवाओं को चुपके से शिकार बना रही है।
ICMR की दूसरी स्टडीज भी myocardial infarction को मुख्य कारण मानती हैं। इसलिए नियमित स्क्रीनिंग जरूरी हो गई है।
ज्यादातर मौतें घरेलू परिवेश या सफर में हुईं, जहां तुरंत मदद मुश्किल थी। ICMR फंडिंग वाली AIIMS स्टडी से genetic predisposition की पुष्टि हुई है।
जीवनशैली जोखिम और कोविड का कोई लिंक नहीं
जोखिम कारक सामने आए
कम उम्र में sudden cardiac death झेलने वालों में जीवनशैली जोखिम बहुत आम पाए गए।
आधे से ज्यादा युवा धूम्रपान करते थे या शराब का सेवन करते थे, जो बुजुर्गों के बराबर दर है। ये आदतें हृदय पर सीधा असर डालती हैं।
स्टडी में कोविड संक्रमण या टीकाकरण से sudden cardiac death का कोई विशेष संबंध नहीं मिला क्योंकि सभी उम्र वर्गों में वैक्सीनेशन दर ऊंची थी।
46 से 65 साल के वयस्कों में कोरोनरी धमनी रोग ने 70 प्रतिशत से ज्यादा मौतें कर दीं। ICMR की रिपोर्ट से साफ है कि underlying health issues और risky lifestyle ही मुख्य वजह हैं।
युवाओं में 22 प्रतिशत surge देखा गया है। धूम्रपान-शराब त्यागना पहला कदम होना चाहिए। परिवारों को लक्षणों पर नजर रखनी होगी।
विशेषज्ञ चेतावनी और बचाव उपाय
डॉ. तलवार की राय
PSRI हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. के.के. तलवार ने इस स्टडी पर गंभीर टिप्पणी की।
उन्होंने कहा, “यह अध्ययन समय से पहले होने वाली कोरोनरी धमनी रोग में चिंताजनक बढ़ोतरी को उजागर करता है।”
कई अनसुलझी मौतें हृदय की वंशानुगत बीमारियों से हो सकती हैं, जिनका पता सामान्य पोस्टमार्टम से नहीं चलता। इसलिए आनुवंशिक परीक्षण और पूरे परिवार की स्क्रीनिंग अनिवार्य है।
डॉ. तलवार ने युवाओं से जल्दी निवारक जांच, तंबाकू-शराब से पूर्ण परहेज और नियमित हृदय मूल्यांकन की अपील की। उन्होंने दोहराया कि कोविड टीकाकरण और cardiac death के बीच कोई सबूत नहीं है। PSRI जैसे संस्थान genetic testing को बढ़ावा दे रहे हैं।
बचाव के व्यावहारिक कदम
युवाओं को तुरंत कार्डियक प्रोफाइल टेस्ट कराना चाहिए। स्वस्थ आहार, व्यायाम और stress management अपनाएं। धूम्रपान-शराब बंद करें।
परिवार में हृदय इतिहास हो तो genetic counseling लें। AIIMS स्टडी से प्रेरित होकर सरकार population-level स्टडी प्लान कर रही है।
निष्कर्ष
एम्स की यह स्टडी sudden cardiac death को युवाओं के लिए बड़ा खतरा बता रही है। दिल की बीमारियां और जीवनशैली मुख्य वजह हैं, जबकि आनुवंशिक जांच से इन्हें रोका जा सकता है।
जिज्ञासा
Q. Sudden cardiac death युवाओं में क्यों बढ़ रहा?
Q. क्या sudden cardiac death का लिंक कोविड वैक्सीन से है?
Q. Sudden cardiac death से संबंधित AIIMS की नेगेटिव ऑटोप्सी क्या दर्शाती है?
Q. सडन काार्डिक डेथ से बचाव के लिए प्राथमिक कदम क्या होने चाहिए?
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