Tuesday, June 10, 2025
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इस Breast Cancer Vaccine Trial ने तो जगा दी मरीजों की उम्मीद 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) महिलाओं में सबसे आम प्रकार का कैंसर है।

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पहले फेज के Vaccine Trial में मिले आशाजनक परिणाम

Breast Cancer Vaccine Trial की दिशा में वैज्ञानिकों ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। ब्रेस्ट कैंसर के प्रभावी उपचार (effective treatments for breast cancer) की खोज में मौजूदा वैक्सीन ट्रायल ने उम्मीद जगा दी है।

ट्रायल (Breast Cancer Vaccine Trial) के पहले फेज के परिणामों से वैज्ञानिक इतने उत्साहित हैं कि अब यह भी कहा जाने लगा है कि “अगर सबकुछ ठीक रहा तो 2030 तक ब्रेस्ट कैंसर को मात देने का लक्ष्य पूरा हो सकता है!”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में हुए इस वैक्सीन के पहले फेज के क्लीनिकल ट्रायल (breast cancer vaccine trial, First phase) में जबरदस्त सफलता मिली है।
इस वैक्सीन (breast cancer vaccine trial) का उद्देश्य न सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर को रोकना है, बल्कि इसका प्रभावी उपचार संभव बनाना है। इस खोज के पीछे भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. अमित कुमार (Scientist Dr. Amit Kumar) की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जा रही है, जिन्होंने इस वैक्सीन को विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

ब्रेस्ट कैंसर: एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) महिलाओं में सबसे आम प्रकार का कैंसर है। भारत में हर साल लगभग 98,000 महिलाओं की मौत (Death of women) ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आकर होती है।
जबकि, पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 6.7 लाख तक पहुंच चुका है। चिंता पैदा करने वाली बात यह है कि भारत में इसकी मृत्यु दर बाकी देशों के मुकाबले कहीं अधिक है।

वैक्सीन ट्रायल की सफलता से खुलेंगे भविष्य के रास्ते

न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, Breast Cancer Vaccine Trial का पहला चरण बेहद सफल रहा। इसमें भाग लेने वाली 35 महिलाओं में से 75% से अधिक में कैंसर के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (Immune Response) देखने को मिली है।

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इनमें से अधिकतर महिलाएं ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (TNBC) से पीड़ित थीं, जो ब्रेस्ट कैंसर का सबसे आक्रामक प्रकार (most aggressive type of breast cancer) है। वहीं, उपचार के मामले में भी यह बेहद जटिल होता है।
यह वहीं कैंसर है, जिसके डर से हॉलीवुड अभिनेत्री एंजेलीना जोली (Hollywood actress Angelina Jolie) ने 37 वर्ष की उम्र में प्रोफाइलैक्टिक मास्टेक्टॉमी (दोनों स्तनों की सर्जरी) करवाई थी।

कैसे काम करती है यह वैक्सीन?

इस Breast Cancer Vaccine Trial ने तो जगा दी मरीजों की उम्मीद 
इस Breast Cancer Vaccine Trial ने तो जगा दी मरीजों की उम्मीद
यह वैक्सीन (Breast Cancer Vaccine) शरीर में अल्फा-लैक्टालब्यूमिन (α-lactalbumin) नामक एक प्रोटीन को लक्ष्य बनाती है। यह आमतौर पर सिर्फ गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सक्रिय होता है।
ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं में यह प्रोटीन (protein is found in breast cancer cells) असामान्य रूप से दोबारा बनने लगता है। वैक्सीन इसी प्रोटीन के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार करती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर नष्ट किया जा सके।
ट्रायल (Breast Cancer Vaccine Trial) में हिस्सा लेने वाली प्रत्येक प्रतिभागी महिलाओं की समय-समय पर रक्त जांच की गई, ताकि यह मापा जा सके कि उनके शरीर में कितनी मात्रा में इस विशेष प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडीज (Antibodies) बन रही हैं।

बेहद मामूली साइड इफेक्ट्स (Breast Cancer Vaccine Side effect)

अब तक के परीक्षण में इस वैक्सीन का कोई गंभीर साइड इफेक्ट सामने नहीं आया है। केवल वैक्सीन दिए जाने वाली जगह पर हल्की जलन या असुविधा देखने को मिली, जो कि अन्य सामान्य वैक्सीनेशनों में भी देखने को मिलती है।

Breast Cancer Vaccine Trial के आंकड़ों का सारांश

पैरामीटरविवरण
प्रतिभागी संख्या35 महिलाएं
मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स75%+ प्रतिभागियों में
साइड इफेक्ट्सहल्की जलन (इंजेक्शन साइट)
लक्षित प्रोटीनα‑lactalbumin
ट्रायल की प्रकृतिसुरक्षित, अच्छी सहिष्णुता

शोध के पीछे भारतीय वैज्ञानिक का बड़ा योगदान

अमेरिका की बायोटेक कंपनी Anixa Biosciences सीईओ डॉ. अमित कुमार एक भारतीय वैज्ञानिक (Indian Scientists) हैं। उन्होंने इस परियोजना (Breast Cancer Vaccine Trial) को Cleveland Clinic के साथ मिलकर आगे बढ़ाया है।
उन्होंने बताया कि यह तरीका कैंसर के इलाज (Cancer Treatment) में एक नया दृष्टिकोण है, जो कैंसर की पुनरावृत्ति (Cancer recurrence) को रोक सकता है और कैंसर को जड़ से खत्म करने में मदद कर सकता है।

Breast Cancer वैक्सीन क्यों है गेम-चेंजर?

1. α‑lactalbumin टार्गेटिंग

यह एक ऐसा प्रोटीन है जो सिर्फ गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान बनता है और आम जीवन में नहीं पाया जाता। लेकिन TNBC और अन्य forms of breast cancer में यह दोबारा बनता है। इसलिये इसे निशाना बनाकर वैक्सीन सुरक्षा अनुभव के साथ बढ़िया टार्गेटिंग देती है।

2. Preventive Immunity

क्लीनिकल ट्रायल (Breast Cancer Vaccine Trial) दो तरह से चलाया गया:
  •  पहले समूह में टीका उन महिलाओं को दिया गया जिन्होंने कैंसर का इलाज कर लिया था और रिस्क पर थीं।
  • दूसरे समूह में जनोनुवांशिक जोखिम (BRCA1/2) वाली महिलाओं को सर्जरी से पहले वैक्सीन दी गई। दोनों समूहों में प्रतिरोधक क्षमता देखी गई।

3. विस्तृत रिसर्च-आधार (Extensive research base)

यह वैक्सीन Vincent Tuohy के माउस मॉडल अनुसंधान पर आधारित है, जिसमें कैंसर के नए मामले को पूरी तरह रोकने की क्षमता सामने आई थी।

भारत में स्थिति : क्यों है वैक्सीन की जरूरत?

  • भारत में हर साल लगभग 1 लाख महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से मौत का शिकार होती हैं।
  • WHO और IARC का डेटा बताता है कि वैश्विक स्तर पर इसकी मृत्यु दर 6.7 लाख तक पहुंच चुकी है।
  • TNBC जैसे जटिल प्रकार के इलाज में वैक्सीन नई उम्मीद पैदा कर सकता है।

कैंसर वैक्सीन बनाना क्यों है चुनौतीपूर्ण?

डॉ. अमित कुमार के मुताबिक किसी भी कैंसर के लिए वैक्सीन (Vaccine for cancer) विकसित करना बेहद कठिन होता है क्योंकि,
  • कैंसर की कोशिकाएं शरीर की अपनी स्वस्थ कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं।
  • इससे इम्यून सिस्टम को उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है।
इसके विपरीत, बैक्टीरिया या वायरस जैसे बाहरी कारकों के खिलाफ वैक्सीन बनाना तुलनात्मक रूप से आसान होता है क्योंकि वे शरीर के बाहर मौजूद होते हैं और उनके खिलाफ एंटीबॉडी विकसित की जा सकती है।

Breast Cancer Vaccine Trial में अमेरिकी रक्षा विभाग भी दे रहा है सहयोग

इस परियोजना को अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट (US defense department) से भी वित्तीय सहायता प्राप्त हो रही है, जिससे यह स्पष्ट है कि इस शोध को रणनीतिक और राष्ट्रीय स्वास्थ्य के लिहाज से कितना अहम माना जा रहा है।
हालांकि, अमेरिका में हालिया बजट कटौती की आशंका के बावजूद डॉ. कुमार को उम्मीद है कि इसका असर इस वैक्सीन के आगे के परीक्षणों पर नहीं पड़ेगा।

Breast Vaccine Trial : आगे क्या?

बताया गया है कि दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल (Breast Vaccine Trial Phase II ) की शुरुआत अगले साल शुरू की जाएगी, जिसमें अधिक संख्या में महिलाओं को शामिल किया जाएगा। साथ ही, इसे ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के अन्य प्रकारों पर भी परीक्षण किया जाएगा।

निष्कर्ष: क्या ब्रेस्ट कैंसर का अंत अब संभव है?

अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो वैज्ञानिकों की यह उम्मीद साकार हो सकती है कि जिस तरह पोलियो और चेचक जैसी बीमारियों को वैक्सीन से मिटा दिया गया, वैसे ही ब्रेस्ट कैंसर को भी 2030 तक जड़ से खत्म करने की उम्मीद अब बढ गई है।

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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