मानसिक सेहत और शांति के लिए खतरनाक है Overthinking
Tips to overcome overthinking, Ways to overcome overthinking : क्या आप भी जरूरत से ज्यादा सोचने (Excess thinking) लगे हैं? किसी घटना या स्थिति से इस कदर आहत हैं कि बार-बार उसकी का ख्याल मन में आ रहा है? अत्यधिक सोचने की प्रवृत्ति लोगों पर तेजी से हावी हो रही है।
वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि ‘अगर सोचने से ही सबकुछ हो जाता तो कुछ करने की जरूरत क्या है’। इसलिए ओवरथिंकिंग एक समस्या है (Overthinking is a problem) और यह आपकी सेहत और मानसिक शांति का सबसे बडा दुश्मन भी साबित हो सकता है।
यहां हम आपको ओवरथिंकिंग के नुकसान (Harmful effects of overthinking) और इससे उबरने के कुछ टिप्स (Tips to overcome overthinking)बता रहे हैं।
ओवरथिंकिंग के लक्षण (Signs of Overthinking)
किसी भी बात या स्थिति के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचना
भविष्य को लेकर चिंताग्रस्त होना
एक ही बार को लेकर बार-बार चिंता करना
अनिर्णय की स्थिति
ओवरथिंकिंग के नुकसान (Harmful effects of overthinking)
ओवरथिंकिंग की प्रवृत्ति (Tendency to overthink) कई मायने में सेहत को प्रभावित कर सकती है। अत्यधिक सोचने से दिमाग पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। यह सीधेतौर पर आपको डिप्रेशन (depression) या चिंता (anxiety) की ओर ढकेल सकता है।
आप अपने दिमाग का इस्तेमाल करके किसी ठोस निर्णय तक नहीं पहुंच पाएंगे। फैसले लेने में सामान्य से अधिक समय लग सकता है। हर समय उलझन बनी रहेगी और सही फैसले नहीं ले पाएंगे। दिमाग के लगातार विचारशील होने की वजह से नींद की समस्या हो सकती है। इससे थकान और कमजोरी भी महसूस कर सकते हैं।
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ओवरथिंकिंग से जुड़ी बीमारियां (Diseases Associated with Overthinking)
ब्लड प्रेशर
सिरदर्द
पाचन संबंधी समस्याएं
हृदय रोग
डिप्रेशन
स्ट्रेस
आत्महत्या की प्रवृत्ति
ओवरथिंकिंग से बचने के उपाए (Ways to avoid overthinking)

दिमाग को छकाएं (Trick your brain)
अत्यधिक सोचने और नकारात्मक विचारों (Negative thoughts) से उबरने का आसान और सर्वमान्य उपाए है कि आप अपने दिमाग को छकाना यानि भटकाना शुरू कर दें। जब भी आपके दिमाग पर अनावश्यक रूप से एक ही विचार हावी हो तो सबसे पहले अपने आपको उन गतिविधियों में व्यस्त कर लें, जो आपको सबसे अधिक पसंद हो। अगर आप घूमने के शौकीन हैं तो यात्रा पर निकल सकते हैं।
अपने आप से करें सवाल (Question yourself)
कई बार हम ऐसी घटनाओं से इस कदर प्रभावित होते हैं कि उसके पीछे हम खुद को दोषी मानने लगते हैं। एक अपराधबोध (guilt) सा मन को व्यथित करता रहता है। ऐसे में जरूरी है कि आप खुद के साथ विचार-विमर्श करें। अपनी नकारात्मक सोच से उबरने के लिए यह जरूरी है कि आप खुद से सकारात्मक (Positive) पक्षों को भी टटोलें।
नकारात्मक विचारों की पहचान (Identifying negative thoughts) करें और खुद के तर्क से ही उन विचारों को काटने की कोशिश करें। अगर वाकई आपसे कोई गलती हुई है तो इस बारे में आप कितना ही सोचें, हुई गलती वापस तो हो नहीं सकती है।
ऐसे में अपने मन को बार-बार यह भरोसा दिलाएं कि जो चूक हो गई है, वह दोबारा नहीं होगी। इससे आपका आत्मविश्वास तो बढेगा ही, साथ ही आत्मसुधार (self Improvement) की दिशा में प्रेरित होने से आपको आत्मिक शांति (Inner peace) और संतोष भी महसूस होगा। जिससे आपके चिंतित मन को राहत (Ways to overcome overthinking) मिलेगी।
Tips to overcome overthinking : ब्रीदिंग एक्सरसाइज (Breathing Exercises)
अत्यधिक चिंतनशील (Highly Reflective) रहने से दिमाग बुरी तरह से थकता है। ऐसे में जरूरी है कि तनावग्रस्त (tense) दिमाग को आराम दी जाए। इसका सबसे आसान तरीका है ब्रीदिंग एक्सरसाइज (Breathing Exercises)।
कुछ देर आंखें बंद करें, लंबी सांस लें (Tips to overcome overthinking)। मन में उठ रहे विचारों पर रोक लगाने की कोशिश करें। इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराएं। इससे दिमाग को राहत मिलेगी।
इसके अलावा योग और ध्यान (Yoga and Meditation)का भी सहारा लिया जा सकता है क्योंकि जिस तरह शरीर की समस्याओं को दूर करने के लिए आप औषधियां (Medicines) लेते हैं, वैसे ही मन की समस्याओं को दूर करने की दवा (medicine to cure mental problems) योग और ध्यान है।
चिंता के कारण को दूर करें (Eliminate the cause of anxiety)
कई बार हम किसी छोटी बातों पर इतना सोंचते हैं कि वह हमें बडी समस्या नजर आने लगती है। इस तरह की स्थिति में आशाएं समाप्त होने लगती है और मन व्यथित होने लगता है।
यहां सबसे पहले अपने मन को टटोलें और विश्लेषण करें कि जिस समस्या को लेकर आप इतना सोंच रहें है क्या वास्तव में वह आपके जीवन की इतनी बडी समस्या है, जिसकी वजह से आपका जीवन बिखर गया है?
इसके बाद खुद से यह पूछें कि इसका समाधान क्या हो सकता है। अंतरआत्मा (conscience) की सकारात्मक सलाह (Positive Advice) को समझें और उसे अमल में लाएं। इससे आत्मिक मजबूती (mental strength) और संतोष मिलेगा और यह आपका इस उलझन भरी स्थिति से बाहर निकालने में मदद करेगा।
Tips to overcome overthinking: अपनी उपलब्धियों को याद करें (Recall your accomplishments)
हर इंसान के जीवन में एक बार ऐसी स्थिति आती है, जिसमें वह खुद को बेबश और लाचार पाता है। कई बार लगता है कि अब कुछ भी नियंत्रण में नहीं है और आगे कुछ बचा नहीं। यह जीवन का वह पक्ष होता है, तो आपका परिचय आपसे करवाता है।
यह एक ऐसा फेज है, जहां से आप छूटे हुए को छोडकर एक नई ऊर्जा के साथ आगे मिलने वाली उपलब्धियों की ओर बढ सकते हैं। पीछे हुई गलतियों से सीख लेकर नए रास्ते बना सकते हैं। ऐसा ही हो, इसके लिए सबसे पहली शर्त यह है कि विचारों में न उलझें।
जितनी जल्दी हो सके, खुद को अपराधबोध के जाल से बाहर निकालें। आगे सोचें कि अब आपका लक्ष्य क्या है और क्या होनी चाहिए। क्या करने से आप इस उलझन से निकल सकते हैं और कैसे लक्ष्य हासिल करना है। इसका सबसे बेहतर तरीका है कि अपनी उपलब्धियों को याद करें। इससे आपको आत्मविश्वास मिलेगा और आप आसानी से नई राह की ओर चल पडेंगे।
ज्यादा उलझें तो सोंच बदलें (Change thinking)
अगर आप अपनी जिंदगी में किसी वजह से उलझ गए हैं और दूर-दूर तक उसका समाधान नहीं दिख रहा है। ऐसा लगने लगे कि समय मुट्ठी से रेत की तरह फिसल रहा है तो जरूरी है कि आप अपने देखने के नजरिए में परिवर्तन करें। अपने आप को सबसे पहले यह समझाएं कि जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं है और आपको हर परिवर्तन के लिए तैयार रहना होगा।
कई बार ऐसा होता है कि समस्या उतनी बडी नहीं होती है, जितना हम उसके बारे में सोचते हैं। समस्या और समाधान के बीच एक अनजाना भय या आशंका राह रोककर खडी हो जाती है। बस यहां आपको इस ब्रेकर को तोडने की जरूरत है। जिस डर के बारे में आप सोच रहें हैं, वह आपकी सोच में है।
जबतक आप व्यवहारिक रूप से आगे नहीं बढेंगे, तबतक कैसे पता चलेगा कि आप जो सोच रहे हैं वास्तव में वह सही भी है या सिर्फ आपकी आशंका भर है। अगर किसी विषय पर सिर्फ नकारात्मक पक्ष (negative side) ही सामने आ रहा है तो सकारात्मक पक्ष (positive side) की ओर देखकर भी परिस्थिति का विश्लेषण किया जाना चाहिए। जब सोच सकारात्मक होगी तो समस्याएं अपने आप छोटी होने लगेगी।
संतुष्टि बडी चीज है (Satisfaction is a big thing)
जब भी जीवन में दुविधा की स्थिति (dilemma) पैदा हो, मन बेचैन हो, खुद को कमजोर महसूस कर रहे हों तो आपके बेचैन मन को संतुलित करने के लिए यह जरूरी है कि आप अपने आप से संतुष्ट हों।
इसके लिए सबसे बेहतर उपाए है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति की तरफ मदद का हाथ बढाएं जिसे किसी मामले में मदद की आवश्यकता हो। किसी की मदद करने के बाद आप आत्मिक संतुष्टि (spiritual satisfaction) और सुकून (Peace) महसूस करते हैं। यह आपके आत्मविश्वास को बढाने के साथ खुद की उपयोगिता (utility) और अहमियत (importance) को समझने में मदद करता है।
मदद मांगने से न हिचकिचाएं (Don’t hesitate to ask for help)
राहत पाने के जब सभी उपाए आजमाने के बाद भी आप जरूरत से ज्यादा सोंच रहे हैं और अपने आप में उलझते जा रहे हैं तो यहां आपको किसी विश्वसनीय व्यक्ति से मदद जरूर मांगनी चाहिए। किसी करीबी से बात करें और अपनी दुविधा को शेयर करें।
जरूरत महसूस हो तो उनकी मदद से किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (Mental Health Expert) से भी परामर्श लें। कई बार जिस उलझन को हम नहीं सुलझा पाते हैं, उसका समाधान किसी मित्र या करीबी से मिल जाता है। बाद में लगता है कि यह इतना मुश्किल भी नहीं था, जितना आप इसे समझ रहे थे।
Ways to overcome overthinking : उम्मीद कभी न हारें (Never lose hope)
कहावत है कि उम्मीद पर ही दुनिया कायम है। हम किसी चीज के बारे में विचार करते हैं। उसे हासिल करने की योजना बनाते हैं। उस योजना को व्यवहारिक रूप प्रदान करते हैं। जब जाकर यह तय होता है कि आपकी योजना सफल हुई या नहीं।
किसी को भी यह नहीं मालूम कि वह जो सोच रहा है वह उसे हासिल होगा या नहीं लेकिन प्रयास जारी रहता है। जिंदगी भी यही है। परिस्थितियां कैसी भी हो, अपने मन को यह भरोसा जरूर दिलाएं कि समस्याओं की दीवार के उस पार समाधान आपकी प्रतीक्षा कर रही है। बस कदम बढाने की देरी है। जिंदगी की चुनौतियों से उबरने का सबसे बडा साधन आत्मविश्वास और सकारात्मक सोंच है।