उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। तबला वादन में उनकी कुछ विशेषताओं और बारीक समझ ने उन्हें इस विधा में अपनी पीढी का महान तबला वादक बना दिया।
Zakir Hussain Death Reason : उस्ताद जाकिर हुसैन की मौत की वजह बनी Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF)
Zakir Hussain News in Hindi : विश्व में भारतीय तबला वादन (Indian Tabla) को लोकप्रियता और अलग पहचान दिलाने वाले मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन (Ustad Zakir Hussain, the famous tabla player/meastro) का रविवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 73 वर्षीय तबला वादक ने सैन फ्रांसिस्को (san francisco, US) के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली। वे पिछले कुछ हफ्तों से अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को (San Francisco, America, US) के एक अस्पताल के ICU में भर्ती थे।
उस्ताद जाकिर हुसैन (Ustad Zakir Hussain) लंबे समय से इडियोपैथिक पल्मोनरी फारब्रोसिस बीमारी (Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease) से जूझ रहे थे। उस्ताद जाकिर हुसैन के मौत की पुष्टि उनके परिजनों ने की। उनकी मौत के बाद से संगीत और मनोरंजन के क्षेत्र में मातम छाया हुआ है। वह प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा (Ustad Alla Rakha, famous tabla player/Mestro) के शार्गिद और पुत्र थे और तबला वादन के क्षेत्र में उन्होंने अपनी अलग पहचान कायम की। उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। तबला वादन में उनकी कुछ विशेषताओं और बारीक समझ ने उन्हें इस विधा में अपनी पीढी का महान तबला वादक बना दिया।
क्या होता है Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF)
जानकारी के मुताबिक उस्ताद (Zakir Hussain) पहले ब्लड प्रेशर (blood pressure) से प्रभावित हुए थे। कुछ समय बाद उन्हें हृदय से संबंधित रोग (Heart-related diseases) भी हो गया। पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने यह खुलासा किया था कि उन्हें इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) नामक गंभीर बीमारी है। यह एक जानलेवा बीमारी होती है। जिसको प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है। यह फेफड़ों से संबंधित रोग है।
यह बीमारी फेफडों के टिश्यु (lung tissue) को दागदार और मोटा कर देती है। जिससे फेफडों में कनेक्टिंग टिश्यू (connecting tissue) और एल्वियोली (Alveoli) और फेफडों के अंदर मौजूद हवा की थैली (air sacs inside the lungs) प्रभावित होती है। जिससे इस बीमारी से पीडित मरीज को सांस लेने में समस्या होने लगती है। यह एक प्रगतिशील रोग ( IPF is a progressive disease) है, जो धीरे-धीरे मरीज को अपनी चपेट में लेती है।
हालांकि, इस बीमारी के लक्षणों को कुछ हदतक उपलब्ध दवाओं की मदद से प्रबंधित किया जा सकता है। जिससे फेफडे में होने वाली फाइब्रोसिस (fibrosis in the lungs) की गति को धीमा करने में मदद मिलती है। इन दवाओं से कुछ हदतक मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF) की अंतिम अवस्था में फेफडे का प्रत्यारोपण (End-stage lung transplantation) उनके जीवन बचाने का एक अंतिम विकल्प हो सकता है।
IPF Disease : खून में होने लगती है ऑक्सीजन की कमी
पल्मोनोलॉजी, रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन (Pulmonology, Respiratory and Sleep Medicine) के विशेषज्ञों के मुताबिक, Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF) से प्रभावित मरीजों के लंग में स्कार्ड टिश्यूज (scarred tissues in the lungs) बढ़ने के कारण उन्हें समय के साथ सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। उम्र बढने के साथ मरीज की स्थिति गंभीर होने लगती है। फेफडों की कार्यप्रणाली (lung function) प्रभावित होने के कारण मरीज के खून में ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित (Affects the supply of oxygen in the blood) होने लगती है। इसके कारण शरीर में अन्य कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उभरने लगती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, आमतौर पर Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF) रोग 70 से 75 वर्ष की उम्र के लोगों को प्रभावित करता है।
किन्हें होता है Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF) का जोखिम
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर किसी को सांस लेने में दिक्कत हो रही है या तीन हफ्ते से ज्यादा समय से खांसी आ रही है तो तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से जांच करानी चाहिए। धुम्रपान या तंबाकू उत्पादों का उपयोग करने वाले लोग और जिनका IPF का पारिवारिक मेडिकल हिस्ट्री हो उन्हें इस बीमारी का विशेष जोखिम हो सकता है।
उस्ताद जाकिर हुसैन पंजाब घराने (Punjab Gharana) के तबला वादक थे। उन्होंने अपने पिता अल्ला रक्खा से तबला वादन की तालीम प्राप्त की थी। उन्होंने भारतीय तबला वादन और अपने घराने की मौलिकता और विशेषता को कायम रखते हुए इसे विश्व स्तर पर लोकप्रियता दिलाई। तबला वादन के क्षेत्र में उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए, जिसने उन्हें अपने समकालीन तबला वादकों से अलग पहचान दिलाने में विशेष भूमिका निभाई।
वह तबले के बाएं से दमदार बेस उत्पन्न करने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने तबला वादन को संगीत की महफिल और घराने की चाहरदीवारी ने निकाल कर विश्व पटल पर पहुंचाया। उन्होंने शक्ति बैंड (Zakir Hussain Shakti Band) को स्थापित किया। यह बैंड उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुआ। इस बैंड ने भारतीय और पाश्चात्य संगीत के मेल की अद्भुत मिसाल कायम की। तबला से फ्यूजन और सोलो तबला वादन में उस्ताद जाकिर हुसैन ने एकछत्र परचम फहराया। इनकी इन विशेषताओं ने ग्रैमी अवॉर्ड की राह आसान कर दी।
उपलब्धि को मिली उपाधि
उस्ताद जाकिर हुसैन की उपलब्धियों (Achievements of Ustad Zakir Hussain) को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1988 में उन्हें पद्म श्री (Padm Shree) से विभूषित किया गया। वहीं वर्ष 2023 में उन्हें पद्म विभूषण (Padm Vibhushan) से अलंकृत किया गया। इसके अलावा उनकी जीवन यात्रा मेें तीन ग्रैमी अवॉर्ड ने भी चार चांद लगाए। वर्ष 2024 में विश्व में सबसे प्रतिष्ठित म्यूजिक अवार्ड ग्रैमी उनके बैंड शक्ति को प्रदान किया गया। इस बैंड को बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक एल्बम करार दिया गया।
इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) नामक गंभीर बीमारी है। यह एक जानलेवा बीमारी होती है। जिसको प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है। यह फेफड़ों से संबंधित रोग है। यह बीमारी फेफड़ों के टिश्यु को दागदार और मोटा कर देती है। जिससे फेफड़ों में कनेक्टिंग टिश्यू और एल्वियोली और फेफड़ों के अंदर मौजूद हवा की थैली प्रभावित होती है। जिससे इस बीमारी से पीड़ित मरीज को सांस लेने में समस्या होने लगती है। यह एक प्रगतिशील रोग है, जो धीरे-धीरे मरीज को अपनी चपेट में लेती है।
IDIOPATHIC PULMONARY FIBROSIS DISEASE (IPF) का क्या उपचार TREATMENT) है?
Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF) का प्रभावी उपचार (treatment) संभव नहीं है। वर्तमान में यह एक लाइलाज बीमारी (incurable disease) है। इस बीमारी के लक्षणों (Symptoms of the disease) को कुछ हदतक उपलब्ध दवाओं की मदद से प्रबंधित किया जा सकता है। जिससे फेफडे में होने वाली फाइब्रोसिस की गति को धीमा करने में मदद मिलती है। इन दवाओं से कुछ हदतक मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF) की अंतिम अवस्था में फेफडे का प्रत्यारोपण उनके जीवन बचाने का एक अंतिम विकल्प हो सकता है।
भारत में IDIOPATHIC PULMONARY FIBROSIS DISEASE (IPF) से प्रभावित मरीजों की संख्या कितनी हैं?
विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक भारत में प्रत्येक 100,000 आबादी में से 10 Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF) के मरीज हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में कम से कम 130,000 संभावित आईपीएफ रोगी हो सकते हैं। हालांकि, भारत में Idiopathic Pulmonary Fibrosis Disease (IPF) से संबंधित आधिकारिक आंकडे ज्ञात नहीं हैं।
क्या IDIOPATHIC PULMONARY FIBROSIS DISEASE (IPF) से मौत हो सकती है?
विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक प्रगतिशील और जानलेवा बीमारी है। जिसका अभी तक प्रभावी उपचार नहीं ढूंढा जा सका है।
IDIOPATHIC PULMONARY FIBROSIS DISEASE (IPF) किस आयु वर्ग के लोगों को हो सकता है?
विशेषज्ञों के मुताबिक, आमतौर पर यह रोग 70 से 75 वर्ष की उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। अगर किसी को सांस लेने में दिक्कत हो रही है या तीन हफ्ते से ज्यादा समय से खांसी आ रही है तो तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से जांच करानी चाहिए। धुम्रपान या तंबाकू उत्पादों का उपयोग करने वाले लोग और जिनका IPF का पारिवारिक मेडिकल हिस्ट्री हो उन्हें इस बीमारी का विशेष जोखिम हो सकता है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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