तकनीक जीवन की गुणवत्ता को बढाने के लिए अच्छी चीज है लेकिन कई बार तकनीक मानसिक तनाव की भी वजह बन सकती है। लोगों के जीवन में तनाव बढ रहा है इसके लिए मोबाइल फोन को जिम्मेदार बताया जा रहा है। हम पहले भी मोबाइल फोन के आदत बन जाने से होने वाली परेशानियों के विषय में कई बार सुन चुके हैं लेकिन अभी जो कुछ भी सामने आ रहा है, वह काफी चिंताजनक है।
तकनीक जीवन की गुणवत्ता को बढाने के लिए अच्छी चीज है लेकिन कई बार तकनीक मानसिक तनाव की भी वजह बन सकती है। लोगों के जीवन में तनाव बढ रहा है इसके लिए मोबाइल फोन को जिम्मेदार बताया जा रहा है। हम पहले भी मोबाइल फोन के आदत बन जाने से होने वाली परेशानियों के विषय में कई बार सुन चुके हैं लेकिन अभी जो कुछ भी सामने आ रहा है, वह काफी चिंताजनक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि फोन तनाव का ऐसा माध्यम बनता जा रहा है, जिसकी जानकारी तनाव का शिकार हो चुके व्यक्ति को भी नहीं होती। जब तनाव के पीछे के कारणों की खोजबीन की जाती है, तब पता चलता है कि आपके साथ 24 घंटा रहने वाला फोन ही आपके तनाव की प्रमुख वजह बन रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि फोन तनाव का ऐसा माध्यम बनता जा रहा है, जिसकी जानकारी तनाव का शिकार हो चुके व्यक्ति को भी नहीं होती। जब तनाव के पीछे के कारणों की खोजबीन की जाती है, तब पता चलता है कि आपके साथ 24 घंटा रहने वाला फोन ही आपके तनाव की प्रमुख वजह बन रहा है।
क्या आप भी बार-बार अपने मोबाइल फोन पर देखते हैं नोटिफिकेशन
क्या आप भी बार-बार अपने मोबाइल फोन पर देखते हैं नोटिफिकेशन
वॉट्सऐप (WhatsApp) के फैमिली ग्रुप का मैसेज हो या फिर जोमैटो से कोई ऑफर मिला हो। फोन पर सोशल मीडिया या दूसरे ऐप्स के नोटिफिकेशन्स थोडी-थोडी देर पर आपका ध्यान अपनी ओर खींच ही लेेते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फोन या तो साइलेंट मोड पर हो या नार्मल मोड पर आप को अपने काम से ध्यान भटकाने की वजह बन रहा है।
वॉट्सऐप (WhatsApp) के फैमिली ग्रुप का मैसेज हो या फिर जोमैटो से कोई ऑफर मिला हो। फोन पर सोशल मीडिया या दूसरे ऐप्स के नोटिफिकेशन्स थोडी-थोडी देर पर आपका ध्यान अपनी ओर खींच ही लेेते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि फोन या तो साइलेंट मोड पर हो या नार्मल मोड पर आप को अपने काम से ध्यान भटकाने की वजह बन रहा है।
विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक, एक व्यक्ति दिन में औसतन 85 बार अपने फोन को चेक करता है। सरल शब्दों में समझें तो वह प्रत्येक 15 मिनट में एक बार अपने फोन को जरूर चेक करता है। इसका मतलब यह है कि आपका दिमाग प्रत्येक 15 मिनट में एक बार अपने काम से हटकर फोन में लग जाता है और आगे आप कई और मिनट अपने फोन में उलझकर रह जाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इस आदत की वजह से पढाई, काम और पारिवारिक जीवन प्रभावित हो रहा है।
विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक, एक व्यक्ति दिन में औसतन 85 बार अपने फोन को चेक करता है। सरल शब्दों में समझें तो वह प्रत्येक 15 मिनट में एक बार अपने फोन को जरूर चेक करता है। इसका मतलब यह है कि आपका दिमाग प्रत्येक 15 मिनट में एक बार अपने काम से हटकर फोन में लग जाता है और आगे आप कई और मिनट अपने फोन में उलझकर रह जाते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इस आदत की वजह से पढाई, काम और पारिवारिक जीवन प्रभावित हो रहा है।
दो तरह का होता है यह भटकाव
ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी की सीनियर लेक्चरर शैरन होरवुड के मुताबिक फोन में बार-बार बजने वाली घंटी दो तरह से ध्यान भटकाने का काम करती है। पहले को एक्सोजेनस इंटरप्शन और दूसरे को एंडोजेनस इंटरप्शन कहते हैं।
ऑस्ट्रेलिया की डीकिन यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी की सीनियर लेक्चरर शैरन होरवुड के मुताबिक फोन में बार-बार बजने वाली घंटी दो तरह से ध्यान भटकाने का काम करती है। पहले को एक्सोजेनस इंटरप्शन और दूसरे को एंडोजेनस इंटरप्शन कहते हैं।
एक्सोजेनस इंटरप्शन :
यह फोन पर नोटिफिकेशन आने की वजह से होता है। इससे एक्साइटमेंट बढता है। यह उत्सुकता और खुशी ठीक वैसी ही होती है, जैसे जुआ खेलने के दौरान महसूस करते हैं। यह लत लगाने वाला साबित हो सकता है।
यह फोन पर नोटिफिकेशन आने की वजह से होता है। इससे एक्साइटमेंट बढता है। यह उत्सुकता और खुशी ठीक वैसी ही होती है, जैसे जुआ खेलने के दौरान महसूस करते हैं। यह लत लगाने वाला साबित हो सकता है।
एंडोजेनस इंटरप्शन :
इसमें व्यक्ति को बार-बार फोन चेक करने की इच्छा होती है। अगर नोटिफिकेशन नहीं भी आ रहा है लेकिन आपका अपने काम से ध्यान भटकता है और ध्यान बार-बार फोन की तरफ आकर्षित होता है। इससे बेकार का डिस्ट्रैक्टशन होता है।
इसमें व्यक्ति को बार-बार फोन चेक करने की इच्छा होती है। अगर नोटिफिकेशन नहीं भी आ रहा है लेकिन आपका अपने काम से ध्यान भटकता है और ध्यान बार-बार फोन की तरफ आकर्षित होता है। इससे बेकार का डिस्ट्रैक्टशन होता है।
प्रतिक्रिया न मिलने से लोग हो रहे हैं विचलित
अक्सर सोशल मीडिया पर जब आप कोई पोस्ट करते हैं तो अधिक से अधिक लाइक और कमेंट्स पाने की इच्छा होती है। अगर आपको उम्मीद के मुताबिक लाइक और कमेंट नहीं मिलती या नोटिफिकेशन पर प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होती तो यह वाकया आपको विचलित कर देता है और यह तनाव की बडी वजह साबित हो सकता है। प्रोफेसर होरवुड के मुताबिक इसके बाद व्यक्ति का मन
अक्सर सोशल मीडिया पर जब आप कोई पोस्ट करते हैं तो अधिक से अधिक लाइक और कमेंट्स पाने की इच्छा होती है। अगर आपको उम्मीद के मुताबिक लाइक और कमेंट नहीं मिलती या नोटिफिकेशन पर प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं होती तो यह वाकया आपको विचलित कर देता है और यह तनाव की बडी वजह साबित हो सकता है। प्रोफेसर होरवुड के मुताबिक इसके बाद व्यक्ति का मन
उसके काम में नहीं लगता। वह बार-बार फोन चेक करता रहता है। उनमें प्रोडक्टिविटी और फोकस की कमी हो जाती है। एक बार विचलित हो जाने के बाद उनका ध्यान वापस काम में नहीं लगता। यह स्थिति मन में गिल्ट और फ्रस्ट्रेशन भरने के लिए काफी होता है।
उसके काम में नहीं लगता। वह बार-बार फोन चेक करता रहता है। उनमें प्रोडक्टिविटी और फोकस की कमी हो जाती है। एक बार विचलित हो जाने के बाद उनका ध्यान वापस काम में नहीं लगता। यह स्थिति मन में गिल्ट और फ्रस्ट्रेशन भरने के लिए काफी होता है।
तनाव की इस स्थिति से ऐसे करें बचाव
1. रात के समय खुद से फोन को दूर कर दें। 2. फोन चेक करने की इच्छा हो तब भी उससे दूरी बना कर रखें।3. फोन देखने की वजह से अपना नींद खराब न करें।
1. रात के समय खुद से फोन को दूर कर दें। 2. फोन चेक करने की इच्छा हो तब भी उससे दूरी बना कर रखें।3. फोन देखने की वजह से अपना नींद खराब न करें।
4. कम से कम 30 मिनट अपने काम में ध्यान लगाए फिर एक बार फोन चेक करें।5. जो ऐप्स आपके काम की न हो उसे तत्काल बंद कर दें।6. दिन में समय निकालकर कम से कम 10 मिनट के लिए ध्यान करें।7. घर पर परिवारिक सदस्यों के साथ कम से कम 30 मिनट बात करें।
4. कम से कम 30 मिनट अपने काम में ध्यान लगाए फिर एक बार फोन चेक करें।5. जो ऐप्स आपके काम की न हो उसे तत्काल बंद कर दें।6. दिन में समय निकालकर कम से कम 10 मिनट के लिए ध्यान करें।7. घर पर परिवारिक सदस्यों के साथ कम से कम 30 मिनट बात करें।
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