योग (Yoga) का प्राचीन विज्ञान विश्व के लिए भारत का अमूल्य उपहार
नई दिल्ली : योग (Yoga) को उपराष्ट्रपति ने देश का अमूल्य धरोहर बताया है। उन्होंने सिंकदराबाद में आयोजित कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करने हुए कहा कि योग का प्राचीन विज्ञान विश्व के लिए भारत का अमूल्य उपहार है। उन्होंने सभी से योग को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने की भी अपील की। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य समाधान के रूप में योग पर और शोध करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा कि योग (Yoga) का अर्थ ‘जुड़ना’ या ‘एकजुट होना’ है। यह मन और शरीर, और मनुष्य और प्रकृति के बीच एकता और सामंजस्य को स्थापित करने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि मैं सभी से समाज के सभी वर्गों के बीच एकता और सद्भाव के लिए कार्य करने के लिए आग्रह करता हूं।

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उपराष्ट्रपति ने भारत की प्राचीन दर्शन से प्रेरणा लेने और मन और शरीर को बदलने के लिए और राष्ट्र के समग्र परिवर्तन की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होनें गीता को उद्धृत करते हुए ‘योग’ (Yoga) को ‘कार्य में उत्कृष्टता’ के रूप में वर्णित किया। साथ ही यह भी कहा कि यह प्रत्येक भारतीय के लिए देश को आगे ले जाने का ‘मंत्र’ बने। यदि आप अपने चुने हुए क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं और ईमानदारी से अपनी सहभागिता निभाते हैं, तो राष्ट्रनिर्माण की दिशा में और अधिक तेजी से बढा जा सकता है।
उन्होंने नागरिकों के बीच अच्छे स्वास्थ्य और खुशी को बढ़ावा देने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ जैसे आयोजनों को बेहद उपयोगी बताया। यहां बता दें कि इस वर्ष योग दिवस की थीम – ‘मानवता के लिए योग’ है। उन्होने इसके बारे में भी चर्चा की और कहा कि समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और जनता के बीच कल्याण सुनिश्चित करने में योग (Yoga) की बडी भूमिका है। कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर उन्होंने कहा कि इस महामारी ने योग को हमारे स्वास्थ्य को दुरुस्त और बेहतर बनाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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