वैश्विक स्वास्थ्य ढांचे को बदल रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
नई दिल्ली, AI in Healthcare Global Trends : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ तकनीकी ट्रेंड नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सिस्टम (Global Health System) के पुनर्निर्माण का केंद्र बन चुका है। अब अस्पताल, सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां और फार्मा कंपनियां बड़े पैमाने पर AI सॉल्यूशंस अपना रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने
हाल के दस्तावेजों और पहल में साफ किया है कि AI अगर सही गवर्नेंस, एथिक्स और डेटा प्रोटेक्शन के साथ इस्तेमाल हो तो यह यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (Universal Health Coverage) और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में बड़ी मदद दे सकता है।
दूसरी ओर, जर्नल‑स्तर की स्टडीज दिखा रही हैं कि AI कुछ क्लिनिकल सेटिंग्स में डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट की सटीकता बढ़ा सकता है, लेकिन एविडेंस अभी सभी क्षेत्रों में समान रूप से मजबूत नहीं है। ऐसे में 2025 का साल एक ऐसा मोड़ है, जहां अवसर और जोखिम दोनों साथ‑साथ दिख रहे हैं।
ग्लोबल मार्केट : कितनी बड़ी हो चुकी है हेल्थ सेक्टर में AI इंडस्ट्री
कई इंडस्ट्री रिपोर्ट्स के मुताबिक हेल्थ केयर सेक्टर में एआई (AI in healthcare) मार्केट 2025 तक दर्जनों अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच चुका है और 2030 के आसपास यह सैकड़ों अरब डॉलर की रेंज में जाने की दिशा में है। एक विस्तृत रिव्यू से संकेत मिलता है कि 2014 से 2024 के बीच हेल्थकेयर AI से जुड़ी रिसर्च पब्लिकेशन की संख्या लगभग पांच गुना से ज्यादा बढ़ी, जो बताता है कि यह सेक्टर शोध और इनोवेशन दोनों स्तरों पर तेजी से परिपक्व हो रहा है।
ग्लोबल डेटा : AI in Healthcare
| संकेतक | वर्ष/पीरियड | अनुमान/डेटा (ग्लोबल) |
|---|
| AI-संबंधित हेल्थकेयर पब्लिकेशन की संख्या (सभी लेखों में प्रतिशत) | 2014 | 158 लेख (लगभग 3.5% हिस्सेदारी) |
| वही मेट्रिक | 2024 | 731 लेख (लगभग 16% से अधिक हिस्सेदारी) |
| AI in healthcare से जुड़ी क्लिनिकल/हॉस्पिटल सेटिंग रिसर्च में पेशेंट आउटकम रिपोर्ट करने वाली स्टडीज | हाल की सिस्टमैटिक रिव्यू में 14 स्टडीज | कई ट्रायल्स में हॉस्पिटल स्टे, ICU ट्रांसफर और मॉर्टेलिटी पर असर आंका गया |
| AI-आधारित क्लिनिकल उपयोगों में संभावित unmet clinical demand, जिसे AI से एड्रेस किया जा सकता है (एस्टिमेट) | प्रोजेक्शन | लगभग 20% क्लिनिकल डिमांड तक आंशिक रूप से पूरा होने की संभावना |
*स्रोत – NLM, JMAI, Science Direct
आंकडे दिखाते हैं कि हेल्थ केयर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग (AI in healthcare) अभी भी इन्फैंट स्टेज में होते हुए भी रिसर्च, क्लिनिकल ट्रायल्स और हेल्थ सिस्टम प्रोजेक्शंस में तेजी से जगह बना रहा है। हालांकि, मार्केट वैल्यू के सटीक आंकड़े रिपोर्ट के हिसाब से अलग‑अलग हैं।
क्लिनिकल सेटिंग में AI : डायग्नोसिस से लेकर पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट तक
NIH और अन्य जर्नल्स में प्रकाशित हालिया रिव्यूज से पता चलता है कि AI‑बेस्ड सिस्टम मेडिकल इमेजिंग, इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड, जीनोमिक डेटा और रियल‑वर्ल्ड क्लिनिकल डेटा को मिलाकर डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट प्लानिंग को तेज और अधिक सटीक बना सकते हैं।
एक बिब्लियोमेट्रिक रिव्यू में दिखाया गया कि खासकर क्रॉनिक बीमारियों के मैनेजमेंट में AI‑सक्षम डायग्नोसिस, रिमोट मॉनिटरिंग और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स से कई सेटिंग्स में ऑपरेशनल एफिशिएंसी और पेशेंट एंगेजमेंट बेहतर हुए हैं।
एक सिस्टमैटिक रिव्यू ने अस्पताल‑स्तरीय स्टडीज का विश्लेषण करते हुए बताया कि जिन ट्रायल्स में AI को क्लिनिकल वर्कफ्लो में इंटीग्रेट किया गया, वहां कुछ इंटरवेंशंस में हॉस्पिटल स्टे की अवधि घटने, समय पर इंटरवेंशन बढ़ने और कभी‑कभी ICU ट्रांसफर या इन‑हॉस्पिटल मॉर्टेलिटी पर पॉजिटिव असर के संकेत मिले।
हालांकि, सभी स्टडीज में नतीजे एक जैसे नहीं थे। प्रतिष्ठित जर्नल्स जैसे JAMA और NEJM ने भी इशारा किया है कि AI इमेज इंटरप्रिटेशन, decision‑support और डॉक्यूमेंटेशन में रेडियोलॉजिस्ट और फिजिशियन के काम को बढ़ा सकता है लेकिन इसे अंतिम क्लिनिकल निर्णय की जगह नहीं लेनी चाहिए।
WHO की दृष्टि : अवसर और सावधानियां
WHO ने “Ethics and governance of artificial intelligence for health” जैसी गाइडेंस डॉक्युमेंट्स और “Harnessing artificial intelligence for health” पहल के माध्यम से हेल्थकेयर में एआई (AI in healthcare) के उपयोग को सुरक्षित और न्यायसंगत तरीके से अपनाने के लिए वैश्विक फ्रेमवर्क प्रस्तावित किया है।
इन दस्तावेजों में WHO ने पारदर्शिता, जवाबदेही, मानवाधिकार, डेटा प्रोटेक्शन, क्वालिटी और सस्टेनेबिलिटी जैसे एथिकल सिद्धांतों को केंद्र में रखकर देशों से अपील किया है कि वे AI‑आधारित हेल्थ सॉल्यूशंस लागू करते समय इन मानकों को नीति और रेगुलेशन में अनिवार्य रूप से शामिल करें।
WHO की डिजिटल हेल्थ और AI रणनीति का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि AI सिर्फ हाई‑इन्कम देशों की सुविधा न बनकर, लो‑ और मिडिल‑इन्कम देशों में भी workforce shortage, सर्विस एक्सेस और हेल्थ सिस्टम कॉस्ट जैसी चुनौतियों को दूर करने में मदद करे।
WHO द्वारा स्थापित Global Initiative on Artificial Intelligence for Health सदस्य देशों, UN एजेंसियों और प्राइवेट स्टेकहोल्डर्स को साथ लाकर इस दिशा में साझा मानक और टेस्टिंग-वैल्युएशन फ्रेमवर्क विकसित करने की कोशिश कर रहा है।
WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने 2024 में WHO के AI‑आधारित डिजिटल हेल्थ प्रमोटर प्रोटोटाइप “S.A.R.A.H.” लॉन्च करते समय कहा था कि “स्वास्थ्य का भविष्य डिजिटल है, और हमारा मकसद यह है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए लोगों तक भरोसेमंद स्वास्थ्य जानकारी और सेवाएं इस तरह पहुंचें कि असमानताएं न बढ़ें।”
AI in Healthcare Global Trends : 2025 में हेल्थ केयर में एआई के उपयोग की तस्वीर
एक ओर, हाई‑इन्कम देशों के बड़े अस्पताल अपने ICU, इमरजेंसी और इमेजिंग डिपार्टमेंट्स में AI‑ड्रिवन decision‑support सिस्टम लगा रहे हैं, जो हर सेकंड आने वाले डेटा को विश्लेषित करके संभावित डिटीरियोरेशन के शुरुआती संकेत पकड़ने की कोशिश करते हैं।
दूसरी ओर, लो‑रिसोर्स सेटिंग्स में पोर्टेबल एक्स‑रे और AI‑बेस्ड स्क्रीनिंग टूल्स की मदद से टीबी और दूसरी बीमारियों की जांच उन इलाकों में हो पा रही है, जहां स्पेशलिस्ट डॉक्टर या बड़े लैब नहीं हैं। ऐसी ही एक केस UNDP और पार्टनर्स ने TB स्क्रीनिंग के उदाहरणों के साथ पेश की है।
नीति स्तर पर, कई देशों की हेल्थ एजेंसियां यह समझने की कोशिश कर रही हैं कि हेल्थ केयर में एआई (AI in healthcare) के लिए कौन से एल्गोरिदम को मेडिकल डिवाइस की तरह रेगुलेट करना चाहिए, किनको decision‑support के रूप में अलग श्रेणी में रखा जाए और किस स्तर पर क्लिनिकल ट्रायल या रियल‑वर्ल्ड एविडेंस को अनिवार्य बनाया जाए।
Lancet और अन्य जर्नल्स में प्रकाशित कमेंटरीज ने पिछले कुछ वर्षों में बार‑बार यह चेतावनी दी है कि AI‑समर्थित हेल्थकेयर तभी “रिस्पॉन्सिबल” कहा जा सकता है, जब एल्गोरिदम की परफॉर्मेंस, बायस और लिमिटेशन पर खुले डेटा और peer‑reviewed एविडेंस उपलब्ध हो।
एथिक्स, डेटा प्राइवेसी और गवर्नेंस : सिर्फ टेक नहीं, भरोसे की भी लड़ाई
WHO और कई अकादमिक रिव्यू यह मानते हैं कि हेल्थ केयर में (AI in healthcare) की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड, जीनोमिक डेटा और मोबाइल हेल्थ ऐप्स से आने वाली सूचनाओं का दुरुपयोग गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
इसी वजह से WHO और UNESCO दोनों ने AI के लिए ऐसी गाइडलाइंस सुझाई हैं, जो डेटा प्राइवेसी, इनफॉर्म्ड कंसेंट, अल्गोरिदमिक ऑडिटेबिलिटी और मानवाधिकारों की सुरक्षा को केंद्र में रखती हैं।
एक हालिया स्कोपिंग रिव्यू ने दिखाया कि स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में एआई (AI in healthcare) एथिकल डिबेट चार बड़े सवालों पर घूमती है – कौन सा डेटा और किस सहमति के साथ इस्तेमाल हो रहा है, किस हद तक AI का निर्णय समझाया जा सकता है, अगर नुकसान हो जाए तो जिम्मेदारी किसकी होगी और क्या ये सिस्टम पहले से कमजोर समुदायों के खिलाफ बायस को और मजबूत तो नहीं कर रहे।
WHO अपनी AI for health गतिविधियों में “गवर्नेंस गैप” पर भी जोर देता है, यानी टेक्नोलॉजी के स्पीड से आगे बढ़ने के बावजूद कानूनी और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क उतनी तेजी से अपडेट नहीं हो पा रहे।
निष्कर्ष (Conclusion)
वर्ष 2025 में स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में एआई (AI in healthcare 2025) पर उपलब्ध जर्नल‑लेवल एविडेंस, WHO की गाइडेंस और ग्लोबल मार्केट सिग्नल्स तीनों यह दिखाते हैं कि यह टेक्नोलॉजी इलाज की सटीकता, पर्सनलाइज्ड केयर और हेल्थ सिस्टम एफिशिएंसी में बड़ा सुधार ला सकती है लेकिन इसे बिना मजबूत एथिक्स और गवर्नेंस के लागू करना गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है।
अगर देश और हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन पारदर्शी एल्गोरिदम, सुरक्षित डेटा हैंडलिंग, मजबूत रेगुलेशन और इंसानी जवाबदेही के साथ हेल्थकेयर में एआई (AI in healthcare) को आगे बढ़ाते हैं, तो 2025 को वह साल माना जा सकता है, जब वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र ने इस नई ताकत को जिम्मेदारी के साथ अपनाने की दिशा में ठोस कदम उठाना शुरू किया।
जिज्ञासा
Q. 2025 तक AI in healthcare पर रिसर्च एक्टिविटी कितनी बढ़ी है?
NIH‑समर्थित बिब्लियोमेट्रिक रिव्यू के अनुसार, 2014 में AI‑सम्बंधित हेल्थकेयर पब्लिकेशंस कुल पब्लिकेशन का करीब 3.5% थे, जो 2024 तक बढ़कर 16% से अधिक हो गए, यानी AI in healthcare रिसर्च में चार गुना से ज्यादा वृद्धि देखी गई।
Q. क्लिनिकल सेटिंग में AI से मरीजों के नतीजों पर क्या असर दिखा है?
2025 की सिस्टमैटिक रिव्यू में 14 ऐसी स्टडीज मिलीं, जहां AI‑आधारित हस्तक्षेपों का प्रभाव हॉस्पिटल स्टे, ICU ट्रांसफर, मॉर्टेलिटी और समय पर इंटरवेंशन जैसे आउटकम पर आंका गया। कई ट्रायल्स में पॉजिटिव असर दिखा, हालांकि नतीजे सभी जगह समान नहीं थे और और अधिक उच्च‑क्वालिटी एविडेंस की जरूरत बताई गई।
Q. WHO हेल्थकेयर में एआई को लेकर क्या आधिकारिक स्टैंड लेता है?
WHO की “Ethics and governance of artificial intelligence for health” गाइडेंस और “Harnessing artificial intelligence for health” पहल AI को हेल्थकेयर में उपयोगी मानती हैं लेकिन इस पर जोर देती हैं कि इसे सुरक्षा, equity, human rights और मजबूत गवर्नेंस के फ्रेमवर्क के भीतर ही लागू किया जाए।
Q. हेल्थकेयर में एआई (AI in healthcare) में सबसे बड़ी एथिकल चिंताएं कौन‑सी मानी जा रही हैं?
हाल की एथिक्स‑फोकस्ड रिव्यूज और WHO-UNESCO दस्तावेजों में डेटा प्राइवेसी, एल्गोरिदमिक बायस, एक्सप्लेनएबिलिटी, जिम्मेदारी तय करना और कमजोर समुदायों पर संभावित नकारात्मक असर, इन मुद्दों को AI in healthcare की प्रमुख एथिकल चुनौतियों के रूप में चिन्हित किया गया है।
Q. क्या हेल्थ केयर में एआई डॉक्टरों और नर्सों को रिप्लेस कर देगा?
JAMA, NEJM और WHO से जुड़े विशेषज्ञ आम सहमति से मानते हैं कि AI in healthcare को हेल्थ प्रोफेशनल्स की जगह लेने वाली तकनीक नहीं, बल्कि उनके निर्णय, डॉक्यूमेंटेशन और मॉनिटरिंग को सपोर्ट करने वाले टूल्स के रूप में देखा जाना चाहिए, ताकि अंतिम क्लिनिकल जिम्मेदारी इंसानी प्रोफेशनल के पास ही रहे।