
Edited By: Ankur Shukla
HPV DNA Test से मिलेगा सर्वाइकल कैंसर से पांच साल तक का सुरक्षित अंतराल
HPV DNA Test अब महिलाओं के लिए सर्वाइकल कैंसर से सुरक्षा का एक बेहद सटीक और दीर्घकालिक उपाय बनकर सामने आया है। AIIMS के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग (Radiation oncology department) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक शंकर (Assistant Professor Dr. Abhishek Shankar) के अनुसार, 30 साल से अधिक उम्र की महिलाएं यह जांच करवा कर 5 साल तक दोबारा स्क्रीनिंग से बच सकती हैं।
यह टेस्ट (HPV DNA Test) न केवल कैंसर की शुरुआती पहचान करता है, बल्कि HPV वायरस के संक्रमण की भी पुष्टि करता है। पैप स्मीयर टेस्ट (Pap smear test) की तुलना में यह टेस्ट अधिक प्रभावी और 95% तक सटीकता प्रदान करता है।
एम्स (AIIMS) में यह सुविधा (HPV DNA Test) उपलब्ध है, और विशेषज्ञ इसे प्राथमिक जांच के रूप में अपनाने की सलाह दे रहे हैं। महिलाओं को इसके जरिए न केवल समय पर इलाज मिल सकता है, बल्कि उनकी मानसिक और शारीरिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।
30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए जरूरी है HPV DNA Test
डॉ. अभिषेक शंकर (Dr. Abhishek Shankar AIIMS) बताते हैं कि 30 वर्ष की आयु के बाद महिलाएं HPV DNA टेस्ट के जरिए यह पता लगा सकती हैं कि उनके शरीर में HPV संक्रमण मौजूद है या नहीं। अगर जांच की रिपोर्ट सामान्य आती है, तो अगले 5 साल तक दोबारा टेस्ट की आवश्यकता नहीं होती। इससे महिलाओं को बार-बार जांच कराने की चिंता से राहत मिलती है।
पैप स्मीयर से अधिक कारगर है HPV DNA Test
विशेषज्ञों के अनुसार, HPV DNA टेस्ट पैप स्मीयर टेस्ट (Pap smear test) से ज्यादा प्रभावी है। यह गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं का नमूना लेकर HPV के डीएनए की तलाश करता है, जबकि पैप स्मीयर सिर्फ कोशिकीय असमानताओं को पहचानता है। सटीकता के मामले में यह नया टेस्ट लगभग 95% तक विश्वसनीय है।
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कैसे होता है HPV DNA टेस्ट?
यह टेस्ट (HPV DNA Test) महिला के प्राइवेट अंगों से सैंपल लेकर किया जाता है। सैंपलिंग प्रक्रिया कुछ ही मिनटों में पूरी हो जाती है और इससे जुड़ी कोई जटिलता नहीं होती।
महिलाएं खुद भी दे सकती हैं सैंपल
इस जांच (HPV DNA Test) की एक बड़ी खासियत यह है कि महिलाएं स्वयं भी सैंपल दे सकती हैं, जिससे उन्हें किसी हेल्थ वर्कर पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। स्वास्थ्य कर्मी उन्हें प्रक्रिया को लेकर आवश्यक निर्देश पहले ही दे देते हैं।
भारत में सर्वाइकल कैंसर की भयावह स्थिति

विशेषज्ञों के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer) भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। हर साल करीब 1.27 लाख नए मामले सामने आते हैं और लगभग 80 हजार महिलाएं इस बीमारी से जान गंवा देती हैं। इसका मुख्य कारण समय पर स्क्रीनिंग और पहचान न हो पाना है। HPV DNA टेस्ट इस स्थिति को बदल सकता है।
श्रेणी | आँकड़ा |
नई मामलों की संख्या (2022–2023) | लगभग 1,27,356 नए मामले (2022) और भारत में 127,356 नए मामले दुनिया में 2वें स्थान पर (2022) |
दुनियाभर में भारत का योगदान | भारत में सर्वाइकल कैंसर के 17.7% नए मामले और 11.2% मौतें |
मृत्यु दर (ASDR per 100,000) | लगभग 7.38 (2019), पहले 10.9 (1990) से गिरकर |
स्क्रीनिंग की दर (महिलाएं 15‑49 वर्ष) | केवल 1.2% (2019‑21), NFHS‑5 डेटा |
स्क्रीनिंग जनसंख्या | लगभग 90 लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग, में से 96,747 निदान और 86,196 उपचार शुरू (NCD पोर्टल) |
हर महिला में होता है HPV वायरस, लेकिन खतरा कुछ में ज्यादा
HPV वायरस लगभग हर महिला के शरीर में पाया जा सकता है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में यह लक्षण नहीं देता और खुद ही ठीक हो जाता है। हालांकि कुछ प्रकार के HPV वायरस कैंसर में बदल सकते हैं, इसलिए 30 की उम्र के बाद नियमित जांच जरूरी मानी जाती है।
वैक्सीन भी उपलब्ध है, पर स्क्रीनिंग अनिवार्य
बचाव के लिए वैक्सीन
9 से 14 साल की उम्र की लड़कियों को दी जाने वाली HPV वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से सुरक्षा प्रदान करती है। रिसर्च बताते हैं कि एक ही डोज़ भी काफी असरदार होती है।
केंद्र सरकार चला रही है अभियान
भारत सरकार ने HPV वैक्सीन को लेकर एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान शुरू किया है ताकि देश भर में सर्वाइकल कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सके।
नियमित स्क्रीनिंग से मिल सकती है जिंदगी
HPV संक्रमण और सर्वाइकल कैंसर दोनों से समय रहते लड़ा जा सकता है, अगर महिलाएं जागरूक हों और समय पर जांच कराएं। डॉक्टरों की सलाह है कि 30 की उम्र के बाद हर महिला को नियमित अंतराल पर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए।
FAQs : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. HPV DNA Test कब करवाना चाहिए?
30 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं को यह टेस्ट कराना चाहिए।
Q2. क्या टेस्ट पेनफुल होता है?
नहीं, यह एक सरल प्रक्रिया है और कुछ ही मिनटों में सैंपल लिया जाता है।
Q3. क्या टेस्ट की रिपोर्ट से भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है?
हां, इस टेस्ट से अगले पांच वर्षों तक संक्रमण की आशंका का मूल्यांकन किया जा सकता है।
Q4. क्या यह टेस्ट सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है?
एम्स सहित कुछ सरकारी संस्थानों में यह जांच उपलब्ध है।