दिल्ली के SCOPE Convention Centre में सम्पन्न हुआ कार्यक्रम
नई दिल्ली। Rehabilitation Services India: जब किसी बच्चे के पहले कदम रुक जाते हैं या किसी वृद्ध का चलना-फिरना कठिन हो जाता है, तब इलाज केवल शारीरिक सुधार नहीं रहता बल्कि यह मानवीय गरिमा और आत्मनिर्भरता का सवाल बन जाता है।
इस दृष्टि को बल देने के लिए Indraprastha Association of Rehabilitation Medicine (Delhi Chapter of IAPMR) ने IAPMR Mid-term CME 2025 का आयोजन किया। इस दो दिवसीय (12 से 13 सितंबर 2025) शैक्षिक कार्यक्रम का उद्देश्य डॉक्टरों को व्यवहारिक प्रशिक्षण देना और पुनर्वास सेवाओं (Rehabilitation Services India) को स्वास्थ्य नीति के केंद्र में लाना है।
Rehabilitation Services India : हर आयुवर्ग के लिए महत्वपूर्ण है रिहैबिलिटेशन
विकलांगता किसी एक आयु समूह का मामला नहीं है बल्कि यह जीवन के हर चरण में सामने आ सकती है। बच्चे, वयस्क और बुज़ुर्ग, हर किसी की जरूरतें अलग हैं, पर लक्ष्य समान है, अधिकतम कार्यक्षमता और सम्मान के साथ जीवन जीना। इसी मानव-केंद्रित लक्ष्य को ध्यान में रखकर यह सीएमई आयोजित किया गया, ताकि क्लिनिकल कौशल के साथ मानवीय दृष्टिकोण भी मजबूत किया जा सके।
IAPMR Mid-term CME 2025 का उद्घाटन 12 सितंबर को किया गया। उद्घाटन सत्र में भारत सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की महानिदेशक डॉ. सुनीता शर्मा तथा सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं की निदेशक सर्जन वाइस-एडमिरल आरती सरीन, AVSM, VSM उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का थीम था: “From First Steps to Golden Years: Advancing Rehabilitation Across Lifespans”
यानी बचपन के पहले कदम से लेकर जीवन के सुनहरे वर्षों तक पुनर्वास की आवश्यकता (Rehabilitation Services India) को समग्र रूप से देखना। इस सीएमई में लगभग 40 प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिए गए और चिकित्सकों को व्यावहारिक प्रशिक्षण (hands-on) के अवसर भी मिला।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय भागीदारी भी रही, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की पुनर्वास चिकित्सा सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. स्टीवन फॉक्स (Dr. Steven Fox) ने स्ट्रोक पुनर्वास और दर्द प्रबंधन में हुए विकास साझा किए।
Rehabilitation Services India : विशेषज्ञों ने क्या विचार रखे
रिहैबिलिटेशन = गरिमा और अवसर
विशेषज्ञों ने बार-बार कहा कि पुनर्वास (Rehabilitation Services India) केवल बीमारी का इलाज नहीं, बल्कि व्यक्ति की समाज में हिस्सेदारी और आत्मसम्मान लौटाने का जरिया है। चिकित्सा के साथ सामाजिक समावेशन भी लक्ष्य होना चाहिए।
विभिन्न आयु-समूहों की विशेष जरूरतें
बच्चों में विकासात्मक हस्तक्षेपों की टाइमिंग महत्वपूर्ण है, बुजु्र्गों में गतिशीलता व गिरावट से जुड़ी चुनौतियाँ अलग प्रकार की देखभाल माँगती हैं। इसलिए उम्र-विशिष्ट प्रोटोकॉल और मॉड्यूल आवश्यक हैं।
प्रशिक्षण व कौशल-विकास पर जोर
विशेषज्ञों ने कहा कि क्लिनिकल ट्रेनिंग को केवल सिद्धांत तक सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि hands-on वर्कशॉप और इंटरडिसिप्लिनरी अभ्यास से डॉक्टरों व टीमों की क्षमता बढ़ेगी।
नीति-स्तर
पुनर्वास को स्वास्थ्य नीति का अनिवार्य हिस्सा बनाना होगा ताकि संसाधन, प्रशिक्षण और पहुँच सुनिश्चित हो सके। मेडिकल एजुकेशन में पुनर्वास विषयों का समावेश सकारात्मक कदम है।
संसाधन-संकट और मानव-संसाधन
देश में प्रशिक्षित PMR विशेषज्ञों की संख्या सीमित है। इसलिए संस्थागत विस्तार और प्रशिक्षक-उत्तराधिकार (faculty pipeline) निर्मित करना जरूरी है।
एक नजर में आयोजन
IAPMR Mid-term CME 2025
बिंदु
विवरण
कार्यक्रम
IAPMR Mid-term CME 2025
आयोजक
Indraprastha Association of Rehabilitation Medicine (Delhi Chapter of IAPMR)
तारीख
12–13 सितंबर 2025 (वर्कशॉप/प्रशिक्षण सहायक सत्र)
थीम
From First Steps to Golden Years: Advancing Rehabilitation Across Lifespans
उद्घाटन अतिथि
Dr. Sunita Sharma (DGHS); Surgeon Vice-Admiral Arti Sarin, AVSM, VSM
वक्ता
लगभग 40 प्रमुख विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए
PMR विशेषज्ञ (देश)
आयोजकीय अनुमान: लगभग 1,000 प्रशिक्षित PMR पेशेवर
PMR की स्थिति और शिक्षा
भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास (PMR) अब क्लिनिकल और नीतिगत दोनों स्तरों पर महत्व पा रहा है। इस सीएमई में उठाए गए मुद्दे बताते हैं कि:
MD-स्तर पर PMR की मान्यता और पाठ्यक्रम में सुधार से विशेषज्ञता की गुणवत्ता बढ़ेगी।
प्रशिक्षण में संवेदनशीलता (patient-centred approach) और तकनीकी कौशल दोनों को संतुलित रखना होगा।
समुदाय-आधारित सेवाओं (community rehabilitation) पर ध्यान देने से पहुँच बढ़ेगी और उपचार का प्रभाव टिकाऊ होगा।
“Skill improvement और training ही हैं जिनसे मेडिकल केयर तकनीक और लोगों की ज़रूरतों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकती है।”
— डॉ. अजय गुप्ता, Organizing Secretary, Indraprastha Association of Rehabilitation Medicine
कार्यक्रम से निकले व्यावहारिक निर्देश (प्राथमिक कदम)
कौशल विकास: चिकित्सा शिक्षण संस्थान नियमित hands-on मॉड्यूल जोड़ें।
टीम-आधारित मॉडल अपनाना: physiatrist, physiotherapist, occupational therapist और सोशल-वर्कर मिलकर योजना बनायें।
नीति संवाद तेज करें: स्वास्थ्य नीति निर्धारकों को पुनर्वास (Rehabilitation Services India) के मूलभूत असर के साथ आर्थिक व सामाजिक स्तरों, यानि दोनों के साथ जोड़ा जाए।
मानव-संसाधन विकास: प्रशिक्षक-फैकल्टी और residency-positions बढ़ाएँ।
सामाजिक जागरूकता: समाज में पुनर्वास की आवश्यकता और लाभ के प्रति समझ बढ़ानी होगी ताकि स्टिग्मा घटे और पहुँच आसान हो।
“PMR speciality ने functional independence और जीवन गुणवत्ता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।”
— डॉ. मुरलीधरन P.C., President IAPMR
नीति व सामाजिक प्रभाव
यह सीएमई याद दिलाती है कि पुनर्वास (Rehabilitation Services India) केवल क्लिनिक तक सीमित नहीं रह सकता। जब नीति-निर्माता, शिक्षण संस्थान और क्लिनिक एक-साथ काम करते हैं, तभी पुनर्वास सेवाएँ सार्वभौमिक और प्रभावी बन सकती हैं। शिक्षा में सुधार, संसाधन आवंटन और स्थानीय स्तर पर सेवाओं की उपलब्धता से लाखों लोगों की जीवन-गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
निष्कर्ष
IAPMR Mid-term CME 2025, Indraprastha Association of Rehabilitation Medicine (Delhi Chapter of IAPMR) के आयोजन से यह स्पष्ट होता है कि पुनर्वास (Rehabilitation Services India) का उद्देश्य केवल शारीरिक क्षमता लौटाना नहीं है, बल्कि व्यक्ति की गरिमा व सामाजिक भागीदारी को बहाल करना है। इसलिए अगले कदम में नीति, प्रशिक्षण और समुदाय-आधारित सेवाओं की मजबूती ही वह राह है, जो बचपन की चुनौतियों से लेकर सुनहरे वर्षों तक हर जीवन को सक्षम बना सकेगी।
जिज्ञासा
Rehabilitation Services India: एक मंच से जीवन पुनर्वास पर मुखर हुए विशेषज्ञ
Q1. IAPMR Mid-term CME 2025 किसने आयोजित किया था?
इसका आयोजन Indraprastha Association of Rehabilitation Medicine (Delhi Chapter of IAPMR) द्वारा किया गया था।
Q2. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या था?
डॉक्टरों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देना और पुनर्वास को नीति तथा शिक्षा दोनों में प्राथमिकता दिलाना था।
Q3. कार्यक्रम में कितने विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और किन विषयों पर चर्चा हुई?
लगभग 40 विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। मुख्य विषय थे stroke rehabilitation, pain management, pediatric व geriatric rehabilitation।
Q4. क्या PMR प्रशिक्षण में कोई बदलाव की दिशा दिखी?
हाँ, विशेषज्ञों ने MD-स्तर पर मानकीकरण और competency-based प्रशिक्षण पर जोर दिया।
Q5. रिहैबिलिटेशन सेवा से जुड़े सबसे बड़े अवरोधक क्या हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक, सीमित मानव-संसाधन, संस्थागत विस्तार की कमी और व्यापक पहुंच की चुनौती प्रमुख रूप से समस्या बनकर उभरी है।
अस्वीकरण (Disclaimer)
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