रविवार, जून 29, 2025
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Aiims Gut Bone Health Research: हड्डियों की मजबूती सिर्फ कैल्शियम पर नहीं, आंत की सेहत पर भी निर्भर

एम्स के बायोटेक्नोलॉजी विभाग और ट्रांसलेशनल इम्यूनोलॉजी लैब द्वारा किए गए अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है ...

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Aiims Gut Bone Health Research: एम्स की स्टडी ने बदली वर्षों पुरानी धारणा, उजागर किया नया रहस्य

Aiims Gut Bone Health Research: अब तक माना जाता था कि हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन डी, कैल्शियम और सूर्य की रोशनी सबसे जरूरी हैं। लेकिन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की नई रिसर्च ने इस पारंपरिक सोच को पूरी तरह चुनौती दी है।
एम्स के बायोटेक्नोलॉजी विभाग और ट्रांसलेशनल इम्यूनोलॉजी लैब द्वारा किए गए अध्ययन (Aiims Gut Bone Health Research) में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि हमारी हड्डियों की सेहत गट हेल्थ यानी आंत की सेहत से गहराई से जुड़ी हुई है।
डॉ. रूपेश श्रीवास्तव और उनकी टीम ने यह पाया है कि आंत में पाई जाने वाली नियामक टी कोशिकाएं (GUT TREGs) हड्डियों की संरचना और मजबूती को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। यह अध्ययन हड्डियों की बीमारी, जोडों के दर्द और ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज में नई क्रांति ला सकता है।

Gut Health and Bone Connection: क्या कहती है रिसर्च?

एम्स की रिसर्च (Aiims Gut Bone Health Research) में पहली बार यह स्पष्ट हुआ है कि हड्डियों के घनत्व और आंत की प्रतिरक्षा प्रणाली (gut immune system) के बीच सीधा संबंध है।
आंत में रहने वाली टी कोशिकाएं न सिर्फ रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करती हैं, बल्कि वे हड्डियों के होमियोस्टेसिस को भी बनाए रखने में सहायक होती हैं। यह खोज हड्डियों की बीमारियों की रोकथाम और उपचार में पूरी दुनिया के लिए एक नई दिशा खोल सकती है।

Menopause and Bone Health: मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियां क्यों होती हैं कमजोर?

रिसर्च (Aiims Gut Bone Health Research) के मुताबिक, मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी हो जाती है। इसका सीधा असर हड्डियों की मजबूती पर पड़ता है।
इस हार्मोन की अनुपस्थिति में हड्डियों का घनत्व घटता है और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अब यह समझ आया है कि यदि आंत की टी कोशिकाएं संतुलित और सक्रिय रहें, तो एस्ट्रोजन की कमी के बावजूद हड्डियों को टूटने से बचाया जा सकता है।

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Short Chain Fatty Acids and T-Regs: फाइबर युक्त भोजन क्यों है जरूरी?

शोध (Aiims Gut Bone Health Research) में पाया गया कि गट टी कोशिकाएं शॉर्ट-चेन फैटी एसिड्स (SCFAs) पर निर्भर करती हैं, जो फाइबर युक्त भोजन से उत्पन्न होते हैं। यदि हमारी डाइट में मौसमी फल, हरी सब्जियां, दही, और साबुत अनाज शामिल हों, तो आंत में रहने वाले अच्छे बैक्टीरिया सक्रिय रहते हैं। इससे SCFAs बनते हैं जो टी कोशिकाओं को पोषण देकर हड्डियों की रक्षा में योगदान करते हैं।

एम्स लैब रिसर्च हाईलाइट्स: गट हेल्थ और बोन स्ट्रेंथ कनेक्शन

Aiims Gut Bone Health Research: हड्डियों की मजबूती सिर्फ कैल्शियम पर नहीं, आंत की सेहत पर भी निर्भर
Aiims Gut Bone Health Research: हड्डियों की मजबूती सिर्फ कैल्शियम पर नहीं, आंत की सेहत पर भी निर्भर
अध्ययन तत्वविवरण
शोधकर्ता संस्थानएम्स, ट्रांसलेशनल इम्यूनोलॉजी, ऑस्टियोइम्यूनोलॉजी एंड इम्यूनोपोरोसिस लैब
प्रमुख शोधकर्ताडॉ. रूपेश श्रीवास्तव
मुख्य खोजगट में पाई जाने वाली नियामक टी कोशिकाएं (GUT TREGs) हड्डियों की रक्षा करती हैं
अनुसंधान का मॉडलमहिला चूहों (मेनोपॉज के बाद के मॉडल पर आधारित)
ग्रुप विभाजनदो समूह – एक को सामान्य डाइट, दूसरे को हाई-फाइबर और SCFA सप्लीमेंट्स
समय अवधि45 दिन
जांच विधिहड्डियों का घनत्व मापा गया, इम्यून सेल्स की एक्टिविटी देखी गई
परिणामहाई-फाइबर ग्रुप की हड्डियां ज्यादा घनी, मजबूत और क्षरण से मुक्त पाई गई
कारणSCFAs ने GUT TREGs को सक्रिय कर हड्डियों की संरचना को बेहतर किया
महत्वपूर्ण निष्कर्षहड्डियों की सेहत का संबंध प्रत्यक्ष रूप से आंत की इम्यून सेल्स से जुड़ा
भविष्य की संभावनाGUT TREGs पर आधारित सप्लीमेंट्स विकसित किए जा सकते हैं

Aiims Gut Bone Research on Mice: लैब में किया गया सफल परीक्षण

एम्स की इस रिसर्च (Aiims Gut Bone Health Research) को चूहों पर परखा गया। दो समूहों में बांटे गए चूहों को अलग-अलग डाइट दी गई। एक समूह को सामान्य आहार, जबकि दूसरे को हाई-फाइबर डाइट और SCFA सप्लीमेंट्स दिए गए।
45 दिनों बाद जांच में यह सामने आया कि विशेष डाइट पाने वाले चूहों की हड्डियां अधिक मजबूत, घनी और क्षरण रहित थीं। इससे यह साबित हुआ कि गट हेल्थ को सुधारने से हड्डियों की स्थिति में भी सुधार होता है।

Future of Osteoporosis Treatment: क्या आ सकता है नया इलाज?

एम्स के वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में गट टी कोशिकाओं पर आधारित सप्लीमेंट्स तैयार किए जा सकते हैं।
यह सप्लीमेंट्स मेनोपॉज के बाद महिलाओं या उम्रदराज पुरुषों में हड्डियों की कमजोरी को रोकने में मददगार हो सकते हैं। इससे हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की आवश्यकता कम हो सकती है और एक प्राकृतिक समाधान उपलब्ध हो सकता है।

Role of Diet in Bone Strength: गलत खानपान से कमजोर हो रही हैं हड्डियां

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग जंक फूड, तली-भुनी चीजों और प्रोसेस्ड भोजन पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं। इससे गट हेल्थ कमजोर होती है और धीरे-धीरे इसका असर हड्डियों पर भी दिखता है।
इस अध्ययन (Aiims Gut Bone Health Research) से यह स्पष्ट है कि यदि समय रहते हम अपने खानपान में बदलाव करें और फाइबर युक्त संतुलित भोजन लें, तो हड्डियों की अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।

Aiims Gut Bone Health Research: वैश्विक स्वास्थ्य के लिए उम्मीद की किरण

यह अध्ययन सिर्फ भारत नहीं, पूरी दुनिया के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई सोच प्रस्तुत करता है। अमेरिका, जापान और यूरोप में पहले ही गट हेल्थ पर जोर दिया जा रहा था, लेकिन अब हड्डी रोगों के उपचार में इसे प्राथमिकता देना एक नया आयाम है।

निष्कर्ष:

एम्स की यह रिसर्च  एक सस्पेंस की तरह सामने आई, जिसने वर्षों पुरानी वैज्ञानिक सोच को चुनौती दी है। अब यह साबित हो चुका है कि हड्डियों की मजबूती केवल कैल्शियम, विटामिन डी या सूर्य की रोशनी पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इसका सीधा संबंध हमारी आंत की सेहत से है।
यह रिसर्च हड्डी और जोडों के दर्द से से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए आशा की किरण है। यदि हम सही खानपान, नियमित दिनचर्या और गट हेल्थ को प्राथमिकता दें, तो बिना दवाओं के भी हड्डियों को मजबूत रखा जा सकता है।

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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Ankur Shukla
Ankur Shuklahttps://caasindia.in
Ankur Shukla: The Journalist Who Strikes a Chord with Words and MusicWith over 13 years of rich experience in journalism, Ankur Shukla has carved a niche for himself as a trusted senior journalist, having served with distinction in several leading dailies. His in-depth reporting, especially on the health beat, has earned him prestigious honors like the Indraprastha Gaurav Award and the Swami Vivekananda Award and many more.But Ankur’s talents go far beyond the newsroom. A passionate Indian classical vocalist and a skilled sitar player he effortlessly blends the art of storytelling with the soul of music. And beyond pen and performance, he wears yet another hat — that of a committed social contributor, working actively for the welfare of autoimmune disease patients across the country.
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