Sunday, June 22, 2025
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UPSC Depression : यूपीएससी और NEET छात्रों में मानसिक तनाव क्यों बढ़ रहा है?

UPSC या NEET की तैयारी कर रहा छात्र अक्सर सामाजिक तुलना, परिवारिक अपेक्षाओं और आर्थिक दबाव के बीच घिरा होता है।

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Highlights

NEET Anxiety Solution: नीट और यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए मानसिक राहत के उपाय

‘UPSC Depression’ आज सिर्फ एक मेडिकल शब्द नहीं रहा, बल्कि हजारों युवाओं के जीवन की एक खामोश सच्चाई बन चुका है।

खासकर यूपीएससी और नीट (UPSC and NEET) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी (Preparation for competitive exams) करने वाले छात्रों में मानसिक तनाव (Mental stress), डिप्रेशन (UPSC depression), एंग्जायटी (Anxiety) और बर्नआउट (Burnout) जैसी स्थितियाँ लगातार बढ़ रही हैं। लेकिन इस सच्चाई के पीछे सिर्फ परीक्षा नहीं, बल्कि सामाजिक दबाव, असफलता का भय और आत्म-संदेह (Self-doubt) जैसे कई पहलू छिपे हैं।

UPSC Depression : यूपीएससी और नीट की तैयारी में क्यों बढ़ रहा है मानसिक दबाव?

UPSC और NEET जैसी परीक्षाएं न केवल शैक्षणिक चुनौती (Academic challenge) होती हैं बल्कि मानसिक सहनशक्ति (mental stamina) की भी परीक्षा होती हैं। लाखों छात्र इन परीक्षाओं की तैयारी में कई वर्ष खर्च करते हैं, जिनमें से बहुत से उम्मीदवार कई बार असफल भी होते हैं। इससे आत्मग्लानि (Self -reliance) और निराशा की भावना (Spirit of despair) गहराती है।

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UPSC Depression : क्या कहती हैं रिसर्च और मेडिकल रिपोर्ट्स?

  • WHO की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में 15 से 24 आयु वर्ग के छात्रों में डिप्रेशन के मामलों में पिछले 10 वर्षों में 35% की वृद्धि हुई है।
  • UPSC और NEET जैसी प्रतियोगी परीक्षा को लेकर काम कर रहे IIT Hyderabad के एक रिसर्च में सामने आया है कि 62% UPSC/NEET अभ्यर्थी कभी न कभी एंग्जायटी या तनाव की स्थिति का अनुभव करते हैं।
  • 38% छात्र मानते हैं कि वे अकेलापन, अनिद्रा और आत्म-संदेह से जूझते हैं।
  • 12% तक छात्रों में डिप्रेशन के लक्षण पाए गए।

UPSC Depression : मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले सामाजिक प्रभाव

UPSC या NEET की तैयारी कर रहा छात्र अक्सर सामाजिक तुलना, परिवारिक अपेक्षाओं और आर्थिक दबाव के बीच घिरा होता है। विशेषकर जब कोई उम्मीदवार कई प्रयासों के बाद भी सफलता नहीं पाता, तो उसे ‘असफल’ मान लिया जाता है। यह सामाजिक नजरिया मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) को और अधिक कमजोर बना देता है।

UPSC Depression : अभिभावकों और समाज की भूमिका

UPSC Depression : यूपीएससी और NEET छात्रों में मानसिक तनाव क्यों बढ़ रहा है?
UPSC Depression : यूपीएससी और NEET छात्रों में मानसिक तनाव क्यों बढ़ रहा है?
कई बार माता-पिता अनजाने में बच्चों पर अत्यधिक दबाव डालते हैं। “IAS बनना है”, “MBBS ही करना है” जैसे वाक्य उस पर एक मनोवैज्ञानिक बोझ बन जाते हैं। जबकि सच यह है कि हर छात्र का सामर्थ्य और रास्ता अलग होता है।

NEET Anxiety को कैसे समझें?

neet anxiety solution की बात करें तो यह सिर्फ परीक्षा के डर से नहीं, बल्कि “क्या मैं डॉक्टर बनूंगा?” जैसी पहचान की चिंता से उपजती है। विद्यार्थियों में नींद की कमी, घबराहट, उलझन, बार-बार पढ़ा भूल जाना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं।

सामान्य लक्षण जो संकेत देते हैं कि विद्यार्थी मानसिक तनाव में है

  • अचानक पढ़ाई में रुचि खत्म हो जाना
  • दोस्तों या परिवार से कटाव
  • लगातार सिरदर्द या पेटदर्द की शिकायत
  • आत्मसम्मान में गिरावट
  • भविष्य को लेकर घोर निराशा

UPSC Depression से निपटने के लिए क्या करें?

माइक्रो रूटीन अपनाएं

एक लंबे प्लान के बजाय छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें। इससे आत्म-विश्वास बढ़ता है।

सोशल सपोर्ट जरूरी है

अपनों से बात करें। यदि जरूरी हो तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।

योग और मेडिटेशन को दिनचर्या में शामिल करें

प्राणायाम, ध्यान और ध्यान केंद्रित करने वाली तकनीकें डोपामीन स्तर को संतुलित करती हैं।

नींद और खानपान का रखें विशेष ध्यान

रात की नींद कम होने से तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ता है।

 परीक्षा को जीवन न बनाएं

यह सिर्फ एक पड़ाव है, मंजिल नहीं। जीवन में कई रास्ते होते हैं।

संस्थागत समर्थन और तकनीकी उपाय

  • अब कई संस्थाएं UPSC और NEET छात्रों के लिए काउंसलिंग सुविधाएं देती हैं।
  • कुछ लोकप्रिय एप्स: YourDOST, Wysa, MindPeers आदि मानसिक समर्थन के लिए लोकप्रिय हो रहे हैं।
  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन (KIRAN): 1800-599-0019

IAS और डॉक्टर बनने की चाहत ठीक, पर खुद को न खोएं

यूपीएससी और नीट देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिनी जाती हैं, लेकिन सफलता की परिभाषा केवल रैंक तक सीमित नहीं है। एक अच्छा इंसान बनना, संतुलित जीवन जीना और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है।

FAQ : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. क्या UPSC की तैयारी के दौरान डिप्रेशन सामान्य बात है?

हाँ, UPSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की लंबी और अनिश्चित तैयारी के दौरान मानसिक दबाव बढ़ सकता है, जिससे कई अभ्यर्थी डिप्रेशन जैसी स्थिति का अनुभव करते हैं। सही मार्गदर्शन और मानसिक संतुलन से इससे निपटना संभव है।

Q2. UPSC और NEET अभ्यर्थियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के सर्वोत्तम उपाय क्या हैं?

प्रत्येक दिन का एक रूटीन बनाना, पर्याप्त नींद लेना, सीमित सोशल मीडिया उपयोग, योग/ध्यान का अभ्यास और जरूरत होने पर परामर्श लेना — ये सभी उपाय मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक हैं।

Q3. क्या फेल होने के डर से भी एग्जाम एंजायटी और डिप्रेशन हो सकता है?

बिल्कुल, असफलता का डर और आत्म-संदेह NEET/UPSC जैसे परीक्षार्थियों में चिंता और डिप्रेशन को जन्म दे सकता है। मानसिक स्वास्थ्य को उतनी ही प्राथमिकता देना ज़रूरी है जितना पाठ्यक्रम को।

Q4. क्या परिवार और दोस्तों की भूमिका UPSC तनाव कम करने में मदद कर सकती है?

जी हाँ, सकारात्मक सामाजिक सहयोग जैसे परिवार का साथ, दोस्तों से संवाद, या मेंटर का मार्गदर्शन तनाव (upsc depression) को कम करने और मानसिक ऊर्जा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।

Q5. UPSC/NEET के अभ्यर्थी कब प्रोफेशनल मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से संपर्क करें?

अगर लगातार चिंता, अनिद्रा, निराशा, आत्म-आलोचना या एकांत की भावना बनी रहे और ये पढ़ाई या दिनचर्या को प्रभावित करने लगे तो तुरंत किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलना ज़रूरी है।

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

 caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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Ankur Shukla
Ankur Shuklahttps://caasindia.in
Ankur Shukla: The Journalist Who Strikes a Chord with Words and MusicWith over 13 years of rich experience in journalism, Ankur Shukla has carved a niche for himself as a trusted senior journalist, having served with distinction in several leading dailies. His in-depth reporting, especially on the health beat, has earned him prestigious honors like the Indraprastha Gaurav Award and the Swami Vivekananda Award and many more.But Ankur’s talents go far beyond the newsroom. A passionate Indian classical vocalist and a skilled sitar player he effortlessly blends the art of storytelling with the soul of music. And beyond pen and performance, he wears yet another hat — that of a committed social contributor, working actively for the welfare of autoimmune disease patients across the country.
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