शैक्षणिक, शोध और प्रशासन के क्षेत्र में बहुमुखी अनुभव
नई दिल्ली। AIIA Director प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति ने शनिवार को All India Institute of Ayurveda, New Delhi (AIIA) में औपचारिक रूप से अपना कार्यभार ग्रहण किया।
पदग्रहण समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन और भगवान धन्वंतरि वंदना से हुई, जिसमें संस्थान के शैक्षणिक, चिकित्सकीय, प्रशासनिक और नर्सिंग स्टाफ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इस मौके पर संस्थान की पूर्व कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) मञ्जूषा राजगोपाल तथा डीन (PhD) प्रो. (डॉ.) महेश व्यास प्रमुख रूप से मौजूद थे और सभी ने नए निदेशक का स्वागत किया।
पदग्रहण के तुरंत बाद ही प्रो. प्रजापति (AIIA Director) ने शिक्षकों हेतु आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) के समापन कार्यक्रम में दीप प्रज्वलन कर भागीदारी भी की, जिससे उनकी शैक्षणिक और प्रशासनिक सक्रियता का संकेत मिला।
प्रो. प्रदीप प्रजापति: शैक्षिक पृष्ठभूमि और करियर यात्रा
प्रो. प्रजापति (AIIA Director) ने अपने शैक्षणिक जीवन की शुरआत गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से BAMS की डिग्री प्राप्त करके की। इसके पश्चात उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से MD और PhD की उपाधियाँ प्राप्त कीं। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर में सहायक प्रोफेसर के रूप में की थी और बाद में गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर में लंबे समय तक शोध एवं शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़े रहे।
हाल ही में वे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर में कुलपति के पद पर कार्यरत रहे। उनके पास शैक्षणिक, शोध और प्रशासन के क्षेत्र में बहुमुखी अनुभव है। लंबे समय तक विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में सक्रिय रहने के कारण प्रो. प्रजापति (AIIA Director) को आयुर्वेद शिक्षा, शोध और संस्थागत प्रबंधन का ठोस अनुभव प्राप्त हुआ है।
यही अनुभव वे अब अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में लागू कर, संस्थान की शैक्षणिक नीतियों, शोध पहलों और क्लिनिकल कार्यक्रमों को और अधिक संरचित तथा प्रभावी बनाने में उपयोग कर सकते हैं। उनकी नियुक्ति केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से हुई है और पदाधिकारियों तथा स्टाफ ने उनके नेतृत्व से उच्च अपेक्षाएँ व्यक्त की हैं।
पदग्रहण समारोह: स्वागत और पारंपरिक आराधना
पदग्रहण समारोह में परंपरागत रीति-रिवाजों का सम्मिश्रण दिखा। दीप प्रज्वलन और भगवान धन्वंतरि वंदना के साथ कार्यक्रम का आरम्भ हुआ, जो आयुर्वेदिक संस्था के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदर्भ को रेखांकित करता है। कार्यक्रम में संस्थान की पूर्व कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) मञ्जूषा राजगोपाल ने उपस्थित सभी का आभार व्यक्त करते हुए टीम भावना के साथ कार्य करने की प्रतिबद्धता दोहराई। डीन प्रो. (डॉ.) महेश व्यास ने नए निदेशक के अनुभवों और योग्यता की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका अनुभव संस्थान को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
AIIA Director : नियुक्ति से जुड़ी मुख्य बातें
- प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति की नियुक्ति केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी से हुई है।
- वे कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पाँच वर्ष या सेवानिवृत्ति की आयु तक निदेशक के पद पर बने रहेंगे।
- निदेशक के रूप में उनकी जिम्मेवारी में संस्थान के शैक्षणिक पाठ्यक्रम, शोध गतिविधियाँ, क्लिनिकल सेवाओं का प्रबंधन और संस्थान की प्रतिष्ठा को बढ़ाना शामिल होगा।
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“आयुर्वेद की सेवा करने का यह महत्वपूर्ण अवसर मेरे लिए गर्व और सौभाग्य की बात है। सरकार ने आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने का जो बीड़ा उठाया है, उसमें आप सभी के सहयोग से अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान को वैश्विक पहचान दिलाने की यात्रा में हमें निश्चित ही सफलता प्राप्त होगी।”
– प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति,
निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA)
आगामी प्राथमिकताएँ और चुनौतियाँ
प्रो. प्रजापति (AIIA Director) की प्रमुख प्राथमिकताओं में शैक्षणिक मानक सुधारना, शोध गतिविधियों को प्रोत्साहित करना और क्लिनिकल सेवाओं को सुदृढ़ करना शामिल होगा। चुनौतियाँ संसाधन आवंटन, शोध वित्तपोषण और व्यापक संस्थागत बदलावों के अनुरूप सहमति बनाना हो सकती हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए स्पष्ट रणनीति, स्टाफ सहभागिता और दीर्घकालिक योजना आवश्यक होगी। संस्थान की टीम-आधारित कार्यप्रणाली और नेतृत्व की सक्रियता इन चुनौतियों के समाधान में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
निष्कर्ष
AIIA Director के रूप में प्रो. प्रदीप कुमार प्रजापति का आगमन संस्थान के लिए एक नया अध्याय है। उनकी शैक्षणिक-संशोधनात्मक पृष्ठभूमि तथा प्रशासनिक अनुभव से उम्मीद की जा सकती है कि संस्थान के शैक्षणिक और क्लिनिकल मानक सुधरेंगे और देश-विदेश में संस्थान की प्रतिष्ठा मजबूत होगी। संस्थान की टीम और स्टाफ के साथ मिलकर वे उस लक्ष्य की ओर काम करेंगे जिसमें आयुर्वेद को जन-जन तक पहुँचाना और संस्थान को वैश्विक पहचान देना शामिल है। संस्थान को नई दिशा अवश्य मिलेगी।