शुक्रवार, नवम्बर 28, 2025
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AIIMS New Epilepsy Treatment : असाध्य मिर्गी को साधेगा एम्स का रोटेख 

एम्स के इस नए उपचार विधि (aiims new epilepsy treatment) का प्रभाव इतना तेज है कि कई मरीजों में दौरे (epileptic seizures) तुरंत घट जाते हैं और रिकवरी 24 घंटे में शुरू हो जाती है।

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🖊️ Edited by: Ankur Shukla

इनवेसिव सुई तकनीक से असाध्य मिर्गी का नया समाधान

नई दिल्ली। AIIMS New Epilepsy Treatment भारत में असाध्य और जटिल मिर्गी (एपिलेप्सी) के उपचार की दिशा में नया विकल्प बनकर उभर रहा है । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली के चिकित्सकों ने ऐसी न्यूनतम इनवेसिव न्यूरोसर्जरी (minimally invasive neurosurgery) विकसित की है।
जिससे बिना बड़ा चीरा, बिना खोपड़ी खोले और बिना खून बहाए मिर्गी के स्रोत को निष्क्रिय किया जा सकता है। इस तकनीक को रोबोटिक थर्मोकोएगुलेटिव हेमिस्फेरोटोमी (रोटेख) कहा जाता है।
इस तकनीक का खास फायदा उन बच्चों को मिल रहा है, जिन पर दवाएं असर करना बंद कर देती हैं।
एम्स के इस नए उपचार विधि (aiims new epilepsy treatment) का प्रभाव इतना तेज है कि कई मरीजों में दौरे (epileptic seizures) तुरंत घट जाते हैं और रिकवरी 24 घंटे में शुरू हो जाती है।
इसी कारण यह तकनीक अब भारत के साथ-साथ विदेशों में भी तेजी से स्वीकार की जा रही है।

AIIMS New Epilepsy Treatment : मिर्गी के जटिल मामलों के लिए बन गया है गेम चेंजर

दवा-रोधी मिर्गी (drug resistant epilepsy) उन मरीजों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है, जिन्हें बार-बार दौरे (epileptic seizures) आते हैं और दवाओं का असर धीरे-धीरे खत्म होने लगता है।
एम्स (AIIMS New Delhi) की नई रोटेख तकनीक को विकसित करने का उद्देश्य ऐसे मरीजों को सुरक्षित, दर्द-रहित और कम जोखिम वाली प्रक्रिया उपलब्ध कराना है।
एम्स की रोटेख तकनीक (aiims new epilepsy treatment) की मुख्य कार्यप्रणाली रोबोटिक मिर्गी सर्जरी (robotic epilepsy surgery) की प्रक्रिया के तहत एक सुई जैसी पतली डिवाइस दिमाग के उस हिस्से को नियंत्रित तापमान से निष्क्रिय करती है, जहां से दौरे शुरू होते हैं।
एम्स के चिकित्सकों के मुताबिक, यह न्यूनतम इनवेसिव न्यूरोसर्जरी (minimally invasive neurosurgery) बच्चों के लिए बाल चिकित्सा मिर्गी उपचार (pediatric epilepsy treatment) को अधिक सुरक्षित बनाती है और उन्हें तेजी से सामान्य जीवन में लौटने में मदद करती है।

भारत में मिर्गी का बोझ और उपचार की जरूरत क्यों बढ़ी?

एम्स न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. मंजरी त्रिपाठी (Pro. Manjari Tripathi) बताती हैं कि दुनिया में पांच करोड़ से ज्यादा मिर्गी रोगी हैं और भारत में यह संख्या लगभग 1.2 करोड़ है।
इनमें से करीब 36 लाख लोग दवा प्रतिरोधी मिर्गी (drug resistant epilepsy) से जूझते हैं, जो दवाओं से ठीक नहीं होते।ऐसे मरीजों के लिए सर्जरी ही विकल्प बचता है।
एम्स दुनिया के सबसे बड़े सर्जिकल मिर्गी कार्यक्रम (Surgical Epilepsy Program AIIMS) का संचालन करता है, इसलिए एम्स की नई उपचार तकनीक (aiims new epilepsy treatment) उनके लिए उपयोगी विकल्प साबित हो रहा है।
यह तकनीक उन परिवारों के लिए राहत है जो पारंपरिक सर्जरी के भारी खर्च और जोखिम की वजह से चिंतित रहते थे। अब उपचार अधिक प्रभावी, तेज और सुरक्षित हो चुका है।

पारंपरिक हेमिस्फेरोटोमी और रोटेख तकनीक में क्या अंतर है?

पहले मिर्गी की सर्जरी में सिर में बड़ा चीरा लगाया जाता था, खोपड़ी की हड्डी हटानी पड़ती थी और दिमाग को खोलकर ऑपरेशन किया जाता था। प्रक्रिया लंबी होती थी और संक्रमण व रक्तस्राव के जोखिम अधिक रहते थे।
अच्छी अस्पतालों में खर्च 10–12 लाख रुपये तक पहुंच जाता था और सफलता दर 60–70% के बीच रहती थी।
इसके उलट, दिल्ली एम्स की नई उपचार तकनीक (aiims new epilepsy treatment) में इस्तेमाल होने वाली रोटेख, रोबोटिक मिर्गी सर्जरी (robotic epilepsy surgery) पर आधारित है। जिसमें खोपड़ी खोले बिना सुई जैसा मार्ग बनाकर दिमाग के उस बिंदु तक पहुंच बनाई जाती है, जहां से दौरे उत्पन्न होते हैं।
इस न्यूनतम इनवेसिव न्यूरोसर्जरी (minimally invasive neurosurgery) के जरिए 45–60 मिनट में प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
जिसके बाद मरीज 24 घंटे में घर जा सकता है। इसकी सफलता दर 90–95% तक है और भारत में मिर्गी सर्जरी की लागत (epilepsy surgery cost India) 1.25–1.5 लाख रुपये के बीच आती है।

मिर्गी के उपचार की पारंपरिक और नई प्रक्रिया में अंतर (Traditional vs Rotek Epilepsy Treatment)
पहलूपारंपरिक हेमिस्फेरोटोमीAiims New Rotek Epilepsy Treatment (रोटेख)
चीराबड़ा चीरासुई जैसा छोटा मार्ग
खोपड़ी खोलनाआवश्यकनहीं
रिकवरी4–6 सप्ताह24 घंटे में
खर्च10–12 लाख रुपये1.25–1.5 लाख रुपये
सफलता60–70%90–95%
प्रकारओपन सर्जरीरोबोटिक मिर्गी सर्जरी (robotic epilepsy surgery)

Delhi AIIMS की इस तकनीक को विश्व स्तर पर क्यों मिल रही है पहचान?

एम्स की न्यूरोसर्जरी टीम, विशेषकर प्रोफेसर डाॅ. सरत चंद्रा (Professor Dr. Sarat Chandra AIIMS), ने रोटेख तकनीक (rotek technology) को विकसित किया है। डॉक्टर चंद्रा के मुताबिक,
“रोटेख (AIIMS new epilepsy treatment) मिर्गी के ऐसे रोगियों, खासकर बच्चों के लिए जिन पर दवा काम करना बंद कर देती है, उनके लिए एक क्रांतिकारी और सुरक्षित उपाय है। इसमें न बड़ा चीरा लगता है, न खून बहता है और बच्चा बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।”
 
AIIMS new epilepsy treatment का प्रभाव इतना सकारात्मक रहा है कि अब विदेशों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। इजरायल के तेल अवीव मेडिकल सेंटर में भी प्रशिक्षित चिकित्सकों ने 12 वर्ष की बच्ची पर पहली रोटेख बाल चिकित्सा मिर्गी उपचार (pediatric epilepsy treatment) प्रक्रिया सफलतापूर्वक की।
सर्जरी के बाद बच्ची अगले ही दिन सामान्य रूप से बात करने लगी और उसके मिर्गी के दौरे (epileptic seizures) तुरंत बंद हो गए। चिकित्सकों के अनुसार यह परिणाम रोबोटिक मिर्गी सर्जरी (robotic epilepsy surgery) की प्रभावशीलता को सिद्ध करता है।

AIIMS Hospital की रोटेख तकनीक कैसे काम करती है?

  • दिमाग के उस हिस्से की पहचान की जाती है जहां असामान्य विद्युत तरंगें बनती हैं।
  • एक सुई जैसी पतली robotic डिवाइस उस स्थान तक पहुंचाई जाती है।
  • इसे नियंत्रित तापमान तक गर्म किया जाता है।
  • असामान्य कोशिकाएं निष्क्रिय हो जाती हैं और दौरे रुकने लगते हैं।
  • चूंकि यह न्यूनतम इनवेसिव न्यूरोसर्जरी (minimally invasive neurosurgery) तकनीकी है, इसलिए खून बहने का जोखिम नहीं होता।
  • मरीज 24 घंटे के भीतर सामान्य गतिविधियों में लौट सकता है।

बच्चों के लिए सुरक्षित कैसे है, AIIMS की Rotek तकनीक?

“हमारा लक्ष्य है कि गंभीर मिर्गी से जूझ रहे बच्चों को सुरक्षित, सस्ती और कम दर्द वाली सर्जरी मिले।
रोटेख तकनीक बच्चों को सचमुच नई जिंदगी देती है। इस न्यूनतम इनवेसिव न्यूरोसर्जरी
(rotek minimally invasive neurosurgery) से बच्चों की रिकवरी बेहद तेज होती है और
उनका विकास प्रभावित हुए बिना तेजी से ट्रैक पर लौटता है।”

– प्रोफेसर डाॅ. सरत चंद्रा, न्यूरोसर्जरी विभाग, दिल्ली एम्स

निष्कर्ष (AIIMS New Epilepsy Treatment)

एम्स में मिर्गी के इस नए इलाज (AIIMS new epilepsy treatment) ने मिर्गी उपचार (epilepsy treatment) के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोल दी हैं।
यह कम खर्चीली, सुरक्षित, कम दर्द वाली और बच्चों के लिए अत्यंत प्रभावी तकनीक है। एम्स की यह शोध अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में है और दवा-रोधी मिर्गी से पीड़ित लाखों मरीजों के लिए यह बड़ी उम्मीद बनकर उभर रही है।

जिज्ञासा

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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Kavya Singh
Kavya Singhhttps://www.caasindia.in
Kavya Singh: Blending Poetry with Journalism, Flavor with Stories : Kavya Singh is not just a journalist she's a storyteller who weaves facts with feelings and sprinkles creativity into everything she writes. With dual degrees in Journalism and Home Science, Kavya brings a rare blend of sharp narrative skills and deep cultural understanding to the world of feature writing.While most journalists chase the conventional beats of politics or crime, Kavya follows a road less traveled feature journalism. She believes that the most meaningful stories are found not in headlines but in the everyday rhythm of life.
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