Saturday, July 27, 2024
HomeLatest ResearchParalysis ठीक करने के लिए आई एशिया की पहली Neuromodulation Techniques

Paralysis ठीक करने के लिए आई एशिया की पहली Neuromodulation Techniques

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

Paralysis के अलावा मल्टीपल स्केलेरोसिस में भी मिलेगा लाभ

नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Paralysis ठीक करने के लिए आई एशिया की पहली Neuromodulation Techniques-  दृष्टि, संतुलन, मांसपेशियों पर नियंत्रण और अन्य शारीरिक क्रियाओं में परेशानियों का बड़ा कारण बनने वाला Multiple Sclerosis मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) एक गंभीर बीमारी है, जिससे ब्रेन स्पाइनल कॉर्ड और आंखों की नसें प्रभावित होती हैं। हालांकि एमएस के कारण सभी मरीजों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है लेकिन कुछ मरीजों में आंशिक लक्षण हो सकते हैं और उन्हें किसी तरह के इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। वहीं अन्य मरीजों को अपने रोजमर्रा के कार्य करने में बहुत दिक्कत होने लगती है।

एमएस का सही कारण अभी तक अज्ञात है लेकिन समझा जाता है कि यह स्थिति असल में auto immune disorder के कारण आती है, जब हमारे शरीर का इम्युन सिस्टम कोशिकाएं और प्रोटीन (एंटीबॉडी) बनाता है तो यह मायलिन (हमारी नाड़ी तंत्र की रक्षा करने वाला फैटी तत्व) पर ही हमला कर देता है। हालांकि एमएस वंशानुगत (Genetic) रोग नहीं है लेकिन इसमें आनुवांशिक कारक कुछ लोगों को ऐसी खतरनाक स्थिति में लाने में अहम भूमिका निभाते हैं। एक अनुमान है कि धूम्रपान करने वालों में इसका अतिरिक्त खतरा रहता है और पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह रोग विकसित होने का खतरा तीन गुना अधिक रहता है।

यह भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी से पहले इसतरह योजना बनाएं as से पीड़ित महिलाएं

 

आईबीएस हॉस्पिटल, नई दिल्ली में वरिष्ठ न्यूरोसर्जन और प्रबंध निदेशक डॉ. सचिन कंधारी ने कहा, ‘अभी तक एमएस से निजात दिलाने की कोई विशेष चिकित्सा सुविधा नहीं है लेकिन शारीरिक स्थितियों में सुधार लाने के लिए कई तरह की चिकित्सा पद्धतियां विकसित हो गई हैं।

 

Paralysis
Paralysis | Photo : freepik

हाल ही में नई दिल्ली के आईबीएस हॉस्पिटल में दक्षिण एशिया की पहली न्यूरोमॉडुलेशन तकनीक साइबरडाइन (Cyberdyne, South Asia’s first neuromodulation technology) पेश की गई जिसमें ऐसे मरीजों को ठीक करने और उनकी जिंदगी गुणवत्ता सामान्य करने की क्षमता है।

साइबरडाइन एमएस के कारण लकवाग्रस्त होने वाले मरीजों को स्वस्थ करने में मदद कर सकती है और जब न्यूरो रिहैब के साथ इसका इस्तेमाल किया जाता है तो मरीज की संतुलन समस्या में भी मदद मिल सकती है। इसके अलावा एमएस के कारण जिन मरीजों को ब्लाडर तथा पेट संबंधी तकलीफ रहती है, उनके लिए सैक्रल न्यूरोमॉडुलेशन पद्धतियां चिकित्सकीय रूप से अच्छी राहत और परिणाम देने वाली साबित हुई हैं।’

यह भी पढ़ें : ऑटोइम्यून बीमारियों के प्रति सामाजिक अभियान जरूरी

एमएस में कई अन्य स्नायु डिसआॅर्डर की तरह ही लक्षण पाए जाते हैं इसलिए इसकी डायग्नोसिस चुनौतीपूर्ण हो सकती है। लेकिन इस स्थिति की आशंका होने पर डॉक्टर किसी न्यूरोलॉजिस्ट से दिखाने की सलाह देते हैं। एक जांच से इस स्थिति के होने या नहीं होने का जब पता नहीं चल पाता है तो ब्लड टेस्ट सहित कई तरह के टेस्ट कराए जाते हैं ताकि एड्स की तरह ही इनके लक्षणों का भी पता चल सके।

अपना संतुलन, तालमेल, दृष्टि तथा अन्य क्रियाओं की जांच करें और देखें कि आपकी तंत्रिका कितना काम कर पा रही हैं। इसके अलावा एमआरआई सबसे अच्छा रेडियोलॉजी इमेजिंग हो सकता है जिसमें शारीरिक संरचना की पूरी तस्वीर देखी जा सकती है। एमएस की पुष्टि के लिए मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के बीच गद्दे का काम करने वाला सेरेब्रोस्पाइनल फ्लड (सीएसएफ) का भी विश्लेषण कर देखा जाता है कि इसमें कोई खास प्रोटीन है या नहीं।

यह भी पढ़ें : इन बीमारियों के प्रति जागरूक रहें ankylosing Spondylitis मरीज

ज्यादातर मरीजों में पहली बार 20 से 40 साल की उम्र में लक्षण देखे जाते हैं और यह उसकी स्थिति पर निर्भर करता है। यह रोग आंशिक, मामूली या गंभीर भी हो सकता है और इसका नुकसान का अंदाजा तभी लगाया जा सकता है जब मस्तिष्क शरीर के अन्य हिस्सों में संदेश भेजना बंद कर देता है जिससे स्नायु की निष्प्रभावी क्रियाओं का पता चलता है।

सामान्य लक्षण : कान, चलने में दिक्कत, अकड़न और सिहरन, यौन समस्याएं, दृष्टि समस्या, बोलने में दिक्कत, मांसपेशियों में कमजोरी, एकाग्र होने या याद करने की दिक्कत तथा ब्लाडर एवं पेट की समस्या।

सभी मरीजों को एक जैसे लक्षण नहीं होते हैं। एमएस से पीड़ित कई मरीजों को अटैक भी पड़ता है जिसे रिलैप्स कहा जाता है और यह स्थिति बदतर हो जाती है। लक्षणों में जब सुधार होने लगता है तो धीरे-धीरे मरीज रिकवर करने लगता है। लेकिन अन्य मरीजों में यह स्थिति समय के साथ बिगड़ती चली जाती है।

Paralysis ठीक करने के लिए आई एशिया की पहली Neuromodulation Techniques


Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website.


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindi
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindihttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article