
Aiims Delhi Latest News : Translational Healthcare में India Germany Medical Innovation से इलाज होगा और भी आधुनिक
AIIMS TU Dresden Healthcare Collaboration: क्या है इस सहयोग का मकसद?
डॉ. श्रीनिवास : “AIIMS का विश्वस्तरीय क्लीनिकल अनुभव और TU Dresden की इंजीनियरिंग विशेषज्ञता मिलकर एक ऐसा हेल्थ मॉडल बनाएंगे, जिसका लाभ सिर्फ भारत या जर्मनी नहीं, बल्कि पूरी दुनिया उठा सकेगी।”
डिजिटल तकनीक से क्लीनिकल इलाज में आएगा बदलाव
AIIMS TU Dresden Healthcare Collaboration: डिजिटल टेक्नोलॉजी का होगा गहरा समावेश
- ट्रांसलेशनल रिसर्च
- शोध को प्रयोगशाला से निकालकर मरीज के बिस्तर तक लाने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
क्लीनिकल इंटीग्रेशन
डिजिटल हेल्थ टूल्स
AI in clinical treatment: इलाज में होंगे बड़े इनोवेशन
AI और रोबोटिक्स से इलाज में सुधार

एक्सटेंडेड रियलिटी (XR) का क्लीनिकल उपयोग
- डॉक्टरों ने बताया कि कैसे वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी की मदद से प्रशिक्षण, योजना और सर्जिकल प्रैक्टिस को और अधिक उन्नत किया जा सकता है।
- (उदाहरण के लिए) रेडियोलॉजी में XR के माध्यम से 3D anatomical models तैयार कर मरीजों को बेहतर तरीके से समझाया जा सकता है।
India Germany Medical Innovation का वैश्विक महत्व
एकेडमिक + टेक + मेडिकल = ग्लोबल सॉल्यूशन
ग्लोबल स्केलेबिलिटी
प्रोफेसर रीमा दादा : “यह मॉडल इतना मजबूत है कि इसे ग्लोबली स्केल किया जा सकता है। यानी, इस शोध और तकनीक का उपयोग दुनिया के किसी भी अस्पताल में किया जा सकता है।”
15-18 जुलाई की वर्कशॉप में क्या हुआ?
इन विषयों पर की गई चर्चा
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल डायग्नोसिस से थैरेपी तक
- एक्सटेंडेड रियलिटी का ट्रेंनिंग और सर्जरी में समावेश
- रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी का विस्तार
- डेटा आधारित क्लीनिकल निर्णय प्रणाली
- डिजिटल मेडिकल रिकॉर्ड्स का सुरक्षित उपयोग
AIIMS TU Dresden Healthcare Collaboration: कौन-कौन शामिल हुए?
- डॉ. एम श्रीनिवास – निदेशक
- डॉ. संदीप अग्रवाल – एचओडी, पीडियाट्रिक सर्जरी
- डॉ. नीतीश नायक – प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी
- डॉ. एमडी रे – प्रोफेसर, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी
- डॉ. अनीता धर – प्रोफेसर, सर्जिकल डिसिप्लिन
- डॉ. कृतिका रंगराजन – एसोसिएट प्रोफेसर, रेडियो डायग्नोसिस
AIIMS TU Dresden Healthcare Collaboration: मरीजों को कैसे मिलेगा सीधा लाभ?
- नई तकनीकों से इलाज में तेजी और सटीकता
- AI-आधारित रिपोर्टिंग से बीमारियों की जल्द पहचान
- रोबोटिक्स से जटिल सर्जरी में जोखिम की कमी
- डिजिटल रिकॉर्ड्स से मरीजों की जानकारी अधिक सुरक्षित और सुलभ
दूरदराज इलाकों तक पहुंचेगा लाभ
AIIMS TU Dresden Healthcare Collaboration: क्या हैं चुनौतियां?
- तकनीकी और नैतिक पहलू
- डेटा प्राइवेसी का खतरा
- AI मॉडल्स की सटीकता की जांच
- डॉक्टरों और टेक्निशियनों के लिए नए ट्रेनिंग प्रोग्राम
निष्कर्ष
जिज्ञाशा
Q1. AIIMS और जर्मनी की ड्रेसडेन यूनिवर्सिटी की साझेदारी (AIIMS collaboration) का उद्देश्य क्या है?
इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य हेल्थकेयर सिस्टम को भविष्य के लिए तैयार करना है, जिसमें AIIMS का क्लीनिकल अनुभव और ड्रेसडेन की तकनीकी विशेषज्ञता मिलकर मेडिकल इनोवेशन को आगे बढ़ाएंगे।
Q2. क्या इस सहयोग से मरीजों के इलाज में नई तकनीकों (AI in treatment) का इस्तेमाल होगा?
जी हां, इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत AI, रोबोटिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी जैसी उन्नत तकनीकों को मरीजों के इलाज में सीधे तौर पर इंटीग्रेट किया जाएगा।
Q3. AIIMS news 2025 : किन-किन विशेषज्ञ डॉक्टरों ने जर्मनी वर्कशॉप में भाग लिया?
एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास समेत पीडियाट्रिक सर्जरी, कार्डियोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडियो डायग्नोसिस विभागों के सीनियर डॉक्टर्स ने इस वर्कशॉप में हिस्सा लिया।
Q4. क्या यह साझेदारी ग्लोबल हेल्थकेयर सिस्टम को भी प्रभावित करेगी?
बिल्कुल, इस पहल का मकसद केवल भारत और जर्मनी तक सीमित नहीं है; इसका लक्ष्य एक ऐसा ग्लोबल प्रोटोटाइप बनाना है जिससे दुनिया भर में हेल्थकेयर को बेहतर बनाया जा सके।
Q5. AIIMS इस साझेदारी से किन क्षेत्रों में तकनीकी उन्नति की योजना बना रहा है?
AIIMS डिजिटल डायग्नोसिस, ट्रांसलेशनल रिसर्च, क्लीनिकल इंटीग्रेशन और एडवांस थेरेपी जैसे क्षेत्रों में तकनीकी नवाचार (AIIMS health innovation) की दिशा में काम करेगा।