हाल ही में दिल्ली के बीएसए अस्पताल (BSA Hospital Delhi) में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर पर हुए हमले ने पूरे चिकित्सा समुदाय को झकझोर दिया है। इस घटना के विरोध में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) ने सख्त रुख अपनाते हुए ‘Zero Tolerance’ आंदोलन की शुरुआत की है।
DMA ने न केवल इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की निंदा की है, बल्कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग भी की है।
इस संदर्भ में 20 जून 2025 को राजघाट पर एक शांतिपूर्ण मार्च का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 50 से अधिक डॉक्टर शामिल होंगे। इस गंभीर स्थिति ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि “Violence against doctors in India” जैसी घटनाओं को कब तक नजरअंदाज किया जाएगा?
क्यों गंभीर है “Violence against doctors in India” की समस्या?
भारत में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हिंसा की घटनाएं चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई हैं। हाल के दिनों में कई डॉक्टरों और अस्पताल कर्मचारियों पर हमले हुए हैं, जिससे चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
BSA अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ भयावह घटना
यहां बता दें कि 9 जून 2025 को रोहिणी स्थित बीएसए अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति विभाग की एक द्वितीय वर्ष की डीएनबी रेजिडेंट डॉक्टर के साथ अति-दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।
रोगी के परिजनों ने डॉक्टर के कपड़े फाड़े, स्टेथोस्कोप से गला घोंटने की कोशिश की और मारपीट की। यह सब अस्पताल के अंदर, मरीजों और कर्मचारियों की मौजूदगी में हुआ, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि उस वक्त कोई सुरक्षा गार्ड मौके पर मौजूद नहीं था।
इस घटना के संबंध में FIR नंबर 0444/2025 दर्ज की गई है, जिसमें BNS 221/132/121(1)/126(2)/76/315 जैसी धाराएं लगाई गई हैं।
साथ ही The Delhi Medicare Service Personnel and Medicare Service Institutions Act, 2008 के तहत भी केस दर्ज किया गया है। यह अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती की श्रेणी में आता है।
20 जून को राजघाट पर होगा शांतिपूर्ण मार्च
डॉक्टरों पर बढ़ते हमलों पर डीएमए की सख्त चेतावनी
Delhi Medical Association अध्यक्ष डॉ. गिरीश त्यागी (Dr. Girish Tyagi) ने बताया कि 50 से अधिक डॉक्टर 20 जून 2025, शुक्रवार को सुबह 7 बजे राजघाट पर शांतिपूर्ण मार्च निकालेंगे।
यह मार्च ‘Zero Tolerance’ आंदोलन की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकना है। यदि आवश्यकता पड़ी, तो ओपीडी बंद करने जैसे कठोर कदम भी उठाए जाएंगे।
विरोध का प्रतीक होगा काला बैज
डॉ. त्यागी ने सभी डीएमए सदस्यों से आग्रह किया कि वे काले बैज पहनकर विरोध दर्ज कराएं। इससे यह संदेश जाएगा कि चिकित्सा समुदाय अब और हिंसा को सहन नहीं करेगा।
“Doctors are the backbone of society”: Dr. Satish Lamba
DMA के महासचिव डॉ. सतीश लांबा (Dr. Satish Lamba) ने कहा कि डॉक्टर समाज की रीढ़ होते हैं। लगातार बढ़ती हिंसा, अवैध हमला, तोड़फोड़ और अराजकता, स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर रही है। यह घटनाएं अक्सर गलत चिकित्सा अपेक्षाओं या असंतोष के कारण होती हैं, लेकिन इस तरह की हिंसा किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
DMA की सरकार से 2 प्रमुख मांगें
24 घंटे सुरक्षा की व्यवस्था हो – हर अस्पताल में प्रशिक्षित सुरक्षा गार्ड हों।
प्रत्येक मरीज के साथ सिर्फ दो अटेंडेंट की सीमा सुनिश्चित की जाए- ताकि अस्पतालों में अनुशासन और नियंत्रण बना रहे।
सरकारी और निजी अस्पताल दोनों हैं खतरे में
डीएमए पदाधिकारियों के मुताबिक,, यह समस्या सिर्फ सरकारी नहीं, बल्कि निजी अस्पतालों में भी देखने को मिल रही है। डॉक्टरों पर हिंसा, कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्थानों में तोड़फोड़- सभी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं।
Zero Tolerance ही एकमात्र रास्ता
डीएमए पदाधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों की सुरक्षा अब सिर्फ प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जन स्वास्थ्य का प्रश्न बन चुका है। यदि ‘Zero Tolerance’ नीति नहीं अपनाई गई, तो देश के युवा डॉक्टर इस पेशे से मुंह मोड़ने लगेंगे।
अस्वीकरण (Disclaimer)
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