Safdarjung Hospital (SJH) में वर्ष 2013 से शुरू हुआ था किडनी प्रत्यारोपण का सिलसिला
Safdarjung Hospital News : सफदरजंग अस्पताल ने किडनी प्रत्यारोपण (kidney transplant) के मामले में नई उपलब्धि हासिल की है। इस बार अस्पताल ने एबीओ असंगत किडनी प्रत्यारोपित (ABO incompatible kidney transplant) करने का कारनामा कर दिखाया है।
इस अस्पताल में पहली बार ऐसा किडनी प्रत्यारोपित किया गया, जिसमें दाता और प्राप्तकर्ता के रक्त समूह अलग (Donor and recipient have different blood groups) थे। सफदरजंग अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण की शुरूआत वर्ष 2013 में हुई थी।
पत्नी ने पति को दी अपनी किडनी
इस सफलता से उत्साहित अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर वंदना तलवार (Medical Superintendent Dr. Vandana Talwar) ने बताया कि एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप (AB positive blood group) वाली 28 वर्षीय महिला ने अपने 43 वर्षीय पति को किडनी दान की। उनके पति का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव (B positive) है।
सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital) में अंग प्रत्यारोपण की प्रभारी अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना चक्रवर्ती (Additional Medical Superintendent in charge of organ transplant Dr. Vandana Chakraborty) ने बताया कि यह किडनी प्रत्यारोपण सफल रहा। ऑपरेशन के दूसरे दिन तक किडनी के पैरामीटर सामान्य हो गए और मरीज को बिना किसी जटिलता के छुट्टी दे दी गई। वीएमएमसी और एसजेएच की प्रिंसिपल डॉ. गीतिका खन्ना (Dr. Geetika Khanna, Principal of VMMC and SJH) ने ट्रांसप्लांट टीम के प्रयासों की सराहना की।
दो वर्ष पहले मरीज का किडनी हो गया था फेल
मरीज की किडनी दो वर्ष पहले फेल हो गई थी और वह 6 महीने से डायलिसिस (dialysis) पर था। ट्रांसप्लांट की जटिलता (Transplant Complications) यह थी कि जहां पत्नी का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव था, वहीं पति का ग्रुप बी पॉजिटिव था। यूरोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. पवन वासुदेवा (Dr. Pawan Vasudeva, Professor and Head of Urology) ने कहा, ब्लड ग्रुप अलग होने के कारण इस मामले में कई तरह की चुनौतियां थी।
पति (मरीज) के शरीर में पहले से ही एंटीबॉडीज थीं, जो पत्नी की किडनी को अस्वीकार कर सकती थीं। नतीजतन, प्रत्यारोपण विफल हो सकता था। नेफ्रोलॉजी के प्रोफेसर और यूनिट हेड डॉ. राजेश कुमार (Professor of Nephrology and Unit Head Dr. Rajesh Kumar) ने कहा, पति में एंटीबॉडी के उच्च स्तर को कम करने के लिए डिसेन्सिस्टाइजेशन की एक प्रक्रिया की गई ताकि प्रत्यारोपण का प्रयास किया जा सके।
इन विशेषज्ञों की टीम ने किया सफल प्रत्यारोपण
प्रत्यारोपण टीम (transplant team) का नेतृत्व यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. पवन वासुदेवा (Dr. Pawan Vasudeva, HOD of Urology Department) ने की। इनके साथ नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर हिमांशु वर्मा, नेफ्रोलॉजी के यूनिट हेड डॉ. राजेश कुमार ने दिया।
इसके अलावा डॉ. सुशील गुरिया की अध्यक्षता वाली एक टीम द्वारा एनेस्थीसिया सहायता प्रदान की गई। यूरोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. पवन वासुदेवा ने कहा कि यह सब चिकित्सा अधीक्षक, सफदरजंग अस्पताल डॉ. वंदना तलवार, प्रिंसिपल डॉ. गीतिका खन्ना और अतिरिक्त एमएस डॉ. वंदना चक्रवर्ती के निरंतर समर्थन और प्रोत्साहन के कारण ही संभव हो पाया है।
किडनी की समस्या से ऐसे करें बचाव
किडनी शरीर का एक प्रमुख अंग है। किडनी की समस्या या किडनी फेलियर से बचने के लिए यह जरूरी है कि सेहत का खास ख्याल रखा जाए। विशेषतौर से मधुमेह के मरीजों को ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर लेवल को नियंत्रित रखना चाहिए। इसके साथ ही जरूरी है कि बिना डॉक्टर के परामर्श के अपने आप किसी भी तरह की दवाई का सेवन ना करें।