सदर अस्पताल ने कर दिया डायलिसिस से इंकार
नई दिल्ली। Kidney Disease : देश में आर्थिक रूप से लाचार मरीजों के लिए कई स्वास्थ्य योजनाएं (Government Health Schemes) चलाई जा रही है। आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna) कई बेसहारों का सहारा भी बन रहा है लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी गोविंद कुमार मिश्रा के लिए कोई भी स्वास्थ्य योजना काम नहीं आ रही है। हालात यह है कि किडनी की बीमारी (Kidney Disease) के इलाज में इस परिवार का जायदाद बिक गया और उपचार के लिए युवक दर-दर भटक रहा है। गोविंद की पत्नी नूतन ने मुजफ्फरपुर जिलाधिकारी से सहायता के लिए गुहार लगाई है।
सदर अस्पताल ने कर दिया डायलिसिस से इंकार
मुजफ्फरपुर के बहादुरपुर गांव के निवासी गोविंद मिश्रा की दोनों किडनी खराब है। ऐसे में वह पूरी तरह से डायलिसिस पर निर्भर हैं। इन्हें महीने में 8 बार डायलिसिस करवान की आवश्यकता पडती है। पत्नी नूतन मिश्रा का कहना है कि गोविंद के उपचार मेें उनके पास जो कुछ भी जमीन-जायदाद था, वह बिक गया।
अब उनके पास मरीज के उपचार और दवा के लिए पैसे नहीं हैं। गोविंद के दो छोटे बच्चे हैं, जिनकी परिवरिश करने में भी कठिनाई हो रही है। नूतन के मुताबिक परिवार के पास राशन कार्ड तो है लेकिन खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने अपनी बेवसाइट पर उसे डिसेबल कर दिया है। जिसके कारण सदर अस्पताल उनकी निशुल्क डायलिसिस नहीं कर रहा।
आयुष्मान योजना में नाम रहता तो हो सकता था Kidney Disease का उपचार

नूतन के मुताबिक परिवार इलाज की वजह से आर्थिक लाचारी से जूझ रहा है। अगर आयुष्मान भारत योजना में परिवार का नाम शामिल होता, तब उपचार कराने में काफी मदद मिल सकती थी। ऐसे में गोविंद की डायलिसिस प्राइवेट अस्पताल में किसी तरह करान पड रही है। नूतन के मुताबिक अभी तक कर्ज लेकर किसी से प्राइवेट अस्पताल में डायलिसस करा रहे हैं लेकिन जल्दी ही यह विकल्प भी इनके लिए समाप्त हो जाएगा।
ऐसे में नूतन ने अपने पति के उपचार के लिए मुजफ्फरपुर जिलाधिकारी कार्यालय से गुहार लगाई है। नूतन ने जिलाधिकारी को लिखे गए पत्र में कहा है कि उनकी आर्थिक स्स्थिति का ध्यान रखते हुए उन्हें सभी तरह की सरकारी सहायता प्रदान की जाए। ताकि, वे अपने बीमारी पति का उपचार करा सकें।
Also Read : Care Heart : हार्ट अटैक मरीज अब 3 की जगह ले सकेंगे एक ‘पॉलिपिल’
क्या सामान्य वर्ग का मरीज होने के कारण नहीं मिल पा रहा है सरकारी योजनाओं का लाभ
गोविंद के गांव के लोगों के कहना है कि परिवार सामान्य वर्ग से आता है। ऐसे में सरकार के द्वारा चलाई योजनाओं के अंतर्गत उसे सहायता नहीं मिल पा रही है। ज्यादातर योजनाएं जाति और आर्थिक स्थिति के आधार पर उपलब्ध है। आर्थिक रूप से लाचार परिवार का सामान्य वर्ग की श्रेणी में होने के कारण वह ज्यादातर योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित है।
लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ और ऐसी सरकारी योजनाएं होनी चाहिए, जिसके लिए आवेदन करते हुए जाति नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति को प्राथमिकता दी जाए।
[table “9” not found /][table “5” not found /]