गुजरात के 51 वर्षीय व्यक्ति थे कांगो फीवर से Congo Fever प्रभावित
Congo Fever death in Gujarat, what is Congo Fever : गुजरात में कांगो फीवर (Congo fever in Gujarat) से एक 51 वर्षीय शख्स की मौत का मामला सामने आया है। मृतक मोहन भाई जामनगर के रहने वाले थे। उन्हें सर्दी-बुखार के लक्षणों के साथ 21 जनवरी को जामनगर मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (Jamnagar Medical College and Hospital) में एडमिट करवाया गया था।
जिसके बाद बीते 27 जनवरी को उनकी मौत हो गई। जानकारों के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों की गुमनामी के बाद अचानक पहली बार इस बीमारी (Congo Fever) ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।
कैसे फैलता है कांगो वायरस ?
How does Congo virus spread?
कांगो बुखार का वायरस (Congo fever virus) आमतौर पर पालतू जानवरों को संक्रमित करता है। जानवरों के संपर्क में आने से यह इंसान को भी चपेट में ले लेता है। जिस व्यक्ति की इस वायरस से मौत हुई है, वह पेशे से पशुपालक थे। डॉक्टरों के मुताबिक, मृतक के खून के नमूनों को पुणे लैब (Pune Lab) में भेजा गया था, जहां कांगों वायरस की पुष्टि (Congo virus confirmed) हुई है।
तेजी से फैलता है कांगो
Congo spreads rapidly

इस वायरस से जिस व्यक्ति की मौत हुई है, उनके घर के आसपास निगरानी बढाई गई है। लोगों से अपील की गई है कि वह उनके घर के आसपास न जाएं। कांगों तेजी से संक्रमित करने वाला वायरस है। वायरस से प्रभावित व्यक्ति की मौत के बाद एकबार फिर कांगों सुर्खियों में आ गया है।
2011 में सामने आया था पहला मामला
Congo’s first case was reported in 2011
भारत में, कांगो बुखार का सबसे पहला मामला (First case of Congo fever) जनवरी 2011 में सामने आया था। तब इसकी शुरूआत भी गुजरात से ही हुई थी। भारतीय राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (Indian National Centre for Disease Control) के आंकडों के मुताबिक, कांगों के 7 मामलों की पुष्टि हुई थी। वहीं, दो मरीजों की मौत हो गई थी।
इसके बाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान और केरल में भी इस बीमारी ने लोगों को प्रभावित किया था। अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (US Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार, यह रोग भारत के अलावा मध्य पूर्व, पूर्वी और दक्षिणी यूरोप, उत्तर-पश्चिमी चीन, मध्य एशिया, अफ्रीका और भूमध्य सागर क्षेत्रों में भी लोगों को प्रभावित कर चुका है।
कांगो का नहीं है प्रभावी उपचार
Congo does not have an effective treatment
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक. क्रीमियन-कांगो हेमोरेजिक फीवर वायरस की वजह से होने वाला एक जानलेवा बुखार है। जिसका अभी तक प्रभावी उपचार नहीं है। इस बीमारी की मृत्युदर 40 प्रतिशत है। जागरुक रहकर एहतिहात बरतना ही इस बीमारी से बचाव का बेहतर उपाय है।
‘किलनी’ के काटने से जानवरों को होती है यह बीमारी
विशेषज्ञों के मुताबिक, जब जानवरों को किलनी (Kilni) नाम का कीडा काटता है तब वायरस जानवरों के शरीर में प्रवेश करता है। किलनी एक छोटा कीडा होता है और यह जानवरों के ही शरीर में पाया जाता है। कांगो संक्रमित व्यक्ति के मल-मूत्र, इंसानी फ्लूड (human fluid) और संक्रमित खून के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
कांगो बुखार के लक्षण
Symptoms of Congo fever
यह वायरस एक से दूसरे इंसान में तेजी से फैल सकता है। इसके लक्षण उभरने मे 3-9 दिनों का समय लग सकता है। जिसमें बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और चक्कर आना शामिल हैं। इसके अलावा पेट दर्द और नींद की कमी और त्वचा पर चकते भी इसके संभावित लक्षणाों में से हो सकते हैं।
गंभीर स्थिति वाले मरीजों में उल्टी, मतली, दस्त, भूलने की समस्या जैसे लक्षण भी प्रकट हो सकते हैं। इसके अलावा अंदरुनी रक्त स्राव, नाक और मसूरों से खून निकलने जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है। गंभीर मामलों में यह वायरस लिवर और किडनी जैसे महत्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।