गुरूवार, जुलाई 31, 2025
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Men’s Mental Health : रूह में जब आवाज दब जाती है, तब ‘मर्द को भी दर्द’ होता है

प्राकृतिक रुप से कठोर माने जाने वाले पुरुषों में मानसिक विकार (Mental disorders in men) एक दोहरी तलवार की तरह है। भारतीय सामाजिक परिदृश्य में पुरुषों के लिए सहज भाव से अपनी वेदना किसी के सामने प्रकट करना सहज नहीं होता।

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भारत में पुरुषों पर हावी हो रहे मानसिक विकार, तेजी से बढ रहे हैं मामले  

Mental Health, Men’s Mental Health, Male Mental Health in india, Mental disorders in men : देश में पुरुष आबादी के मानसिक विकार (Mental disorders of the male population) चिंताजनक स्थिति में पहुंच सकती है। आंकडों पर ध्यान दें तो पुरुषों में विभिन्न तरह के मानसिक विकारों के मामले तेजी से बढ रहे हैं। पुरुषों का मानसिक स्वास्थ्य (Men’s mental health) सदैव एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा रहा है।

प्राकृतिक रुप से कठोर माने जाने वाले पुरुषों में मानसिक विकार (Mental disorders in men) एक दोहरी तलवार की तरह है। भारतीय सामाजिक परिदृश्य में पुरुषों के लिए सहज भाव से अपनी वेदना किसी के सामने प्रकट करना सहज नहीं होता। यहां हम भारत में पुरुष मानसिक स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति, समस्याओं के प्रकार, उपलब्ध आंकड़ों और समाधान के उपायों पर चर्चा करेंगे।

चिंता पैदा कर रही है पुरुषों की मानसिक स्थिति 

मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) से जुड़े मामलों में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 7.5% आबादी किसी न किसी मानसिक विकार (Mental disorders) से ग्रस्त है। इसमें पुरुषों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पुरुषों में अवसाद (Depression), चिंता (Anxiety), और आत्महत्या की प्रवृत्ति (suicidal tendency) प्रमुख रूप से देखी जा रही है।
Men's Mental Health : रूह में जब आवाज दब जाती है, तब 'मर्द को भी दर्द' होता है
रूह में जब आवाज दब जाती है, तब ‘मर्द को भी दर्द’ होता है

ताजा आंकड़े: भारत में पुरुष मानसिक स्वास्थ्य (Male Mental Health in India) 

1. आत्महत्या के आंकड़े  (Suicide statistics among men)

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आत्महत्या करने वाले कुल लोगों में लगभग 72% पुरुष थे।  आर्थिक समस्याओं, बेरोजगारी और पारिवारिक दबाव आत्महत्या के प्रमुख कारण माने गए हैं।

2. डिप्रेशन और एंग्जायटी (Depression and anxiety)

2023 में नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे के अनुसार, हर 10 में से 3 पुरुषों ने मानसिक तनाव या डिप्रेशन का सामना किया है।
 इनमें से केवल 20% पुरुषों ने चिकित्सा सहायता ली।

3. कामकाज से जुड़ा तनाव (work related stress)

 भारत में लगभग 50% पेशेवर पुरुष कामकाज से जुड़े तनाव का सामना कर रहे हैं।
टेक और कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले पुरुषों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं सबसे अधिक पाई जा रही है।

4. मेडिकल हेल्प लेने में झिझक (Hesitation in seeking medical help)

2023 के एक सर्वे के मुताबिक, 70% पुरुष मानसिक समस्याओं के लिए काउंसलिंग या चिकित्सा सहायता लेने में झिझकते हैं।

भारत में पुरुष मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख कारण  

1. सामाजिक दबाव और अपेक्षाएं (social pressure and expectations)

भारतीय समाज में पुरुषों पर ही पारिवारिक भरण पोषण का दबाव रहता है। इसके साथ ही उनपर मजबूत बने रहने की भी मजबूरी होती है। यह “मर्द को दर्द नहीं होता” वाली मानसिकता उन्हें अपनी भावनाओं को छिपाने पर मजबूर करती है।

2. बेरोजगारी और आर्थिक अस्थिरता (Unemployment and economic instability)

बढ़ती बेरोजगारी और आर्थिक दबाव पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहे है।

3. संबंधों में समस्याएं (Relationship problems)

तलाक, ब्रेकअप और पारिवारिक तनाव पुरुषों में मानसिक समस्याओं के बड़े कारण हैं।

4. कामकाज से जुड़ा तनाव

लंबे समय तक काम करना, टारगेट्स का दबाव, और ऑफिस की राजनीति मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

5. नशे का बढ़ता चलन (growing trend of drug addiction)

पुरुषों में शराब और अन्य नशे का सेवन मानसिक स्वास्थ्य को खराब करने वाला प्रमुख कारण बनता जा रहा है।

पुरुष मानसिक स्वास्थ्य के समाधान के लिए उपाय

1. जागरूकता फैलाना (Spreading awareness)

 मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health से जुड़ी समस्याओं से मुकाबला करने के लिए व्यापक स्तर के जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है।  सामाजिक संस्थाओं और सरकार को मिलकर इस दिशा में प्रयास करने चाहिए।

2. चिकित्सा सहायता को प्रोत्साहित करना (Encouraging medical help)

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समझने और चिकित्सा सहायता लेने के लिए पुरुषों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
मुफ्त हेल्पलाइन और ऑनलाइन काउंसलिंग सेवाएं अधिक प्रभावी बनाई जा सकती है।

3. कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता (Mental health support at workplace)

कंपनियों को कर्मचारियों से काम लेने के साथ उनके लिए मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (Mental Health Programs) चलाने और काउंसलिंग सुविधाएं देने पर भी ध्यान देनी चाहिए।  इसके लिए तनाव-प्रबंधन वर्कशॉप आयोजित की जानी चाहिए।

4. नशा मुक्ति कार्यक्रम (de-addiction program)

नशे की समस्या से निपटने के लिए नशा मुक्ति केंद्र और परामर्श सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर किया जाना चाहिए।

5. शिक्षा और शोध (Education and research)

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े शोध और आंकड़ों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
स्कूल और कॉलेज स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।

सरकार और संगठनों की भूमिका  

1. मानसिक स्वास्थ्य मिशन (Mental Health Mission)

भारत सरकार ने नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम (NMHP) के तहत कई योजनाएं शुरू की हैं। इनका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच को आसान बनाना है।

2. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और ऐप्स (Online platforms and apps)

मानसिक स्वास्थ्य को सहारा देने के लिए तकनीक का प्रयोग बेहतर कदम साबित हो सकता है। कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलध हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान कर रहे हैं। इन्हें और व्यवहारिक बनाया जा सकता है।

3. हेल्पलाइन्स (Mental Helpline)

Kiran Helpline (1800-599-0019): यह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन है।

अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति  

भारत में पुरुष मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता और सेवाएं अन्य विकसित देशों जैसे अमेरिका और कनाडा की तुलना में कम हैं।  पश्चिमी देशों में “टॉक थैरेपी” और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बीमा सेवाएं उपलब्ध हैं, जबकि भारत में अभी इसकी शुरुआत हो रही है।

भविष्य की दिशा  

  •  मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए नीतिगत बदलावों की जरूरत है।
  •  निजी और सरकारी स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होना चाहिए।
  • पुरुषों को उनकी समस्याओं को साझा करने के लिए सुरक्षित माहौल प्रदान करना चाहिए।

निष्कर्ष  

भारत में पुरुष मानसिक स्वास्थ्य (mental health) को नजरअंदाज किया जाता है, जबकि यह एक गंभीर समस्या है। पुरुषों को मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सहायता लेने में झिझक महसूस होती है, जिससे उनकी समस्याएं और बढ़ जाती हैं। आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या और मानसिक विकारों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। जागरूकता, सहायता सेवाओं का विस्तार, और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। वहीं, पारिवारिक माहौल और समझ में भी व्यापक जागरुकता और सुधार की आवश्यकता है।

स्रोत:

अस्वीकरण (Disclaimer)


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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Ankur Shukla
Ankur Shuklahttps://caasindia.in
Ankur Shukla: The Journalist Who Strikes a Chord with Words and MusicWith over 13 years of rich experience in journalism, Ankur Shukla has carved a niche for himself as a trusted senior journalist, having served with distinction in several leading dailies. His in-depth reporting, especially on the health beat, has earned him prestigious honors like the Indraprastha Gaurav Award and the Swami Vivekananda Award and many more.But Ankur’s talents go far beyond the newsroom. A passionate Indian classical vocalist and a skilled sitar player he effortlessly blends the art of storytelling with the soul of music. And beyond pen and performance, he wears yet another hat — that of a committed social contributor, working actively for the welfare of autoimmune disease patients across the country.
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