दिल्ली एम्स (Aiims) के सीनियर प्रोफेसर छोड रहे हैं नौकरी
Delhi Aiims News : देश के सबसे बडे सरकारी अस्पताल और शोध संस्थान एम्स नई दिल्ली (AIIMS New Delhi) में विशेषज्ञता वाले चिकित्सकों के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि यहां हर तरफ से निराश मरीज जीवन की उम्मीद लेकर उपचार के लिए आते हैं लेकिन एम्स के विशेषज्ञ जिस तरह से यहां से पलायन कर रहे हैं, वह चौंकाने वाला साबित हो रहा है।
सूत्र बताते हैं कि अबतक 21 वरिष्ठ फैकल्टी ने एम्स (Delhi Aiims) की नौकरी छोड दी है। जिसके बाद यह सवाल उठाता है कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि एम्स जैसे संस्थान से विशेषज्ञों का मोहभंग हो रहा है। अगर एम्स की वार्षिक रिपोर्ट (2021-22) पर गौर करें तो पाते हैं कि यहां अधिकृत फैकल्टी पोस्ट की संख्या 1131 है। जिसमें से 414 पद रिक्त हैं।
Delhi Aiims से मोहभंग की क्या हो सकती है वजह
पल्मोनरी चिकित्सा (pulmonary therapy) में विशिष्ट सेवाएं देने वाले और एम्स में पांच वर्षों तक निदेशक पद की कमान संभालने वाले डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) का फैकल्टी के रूप में कार्यकाल शेष था। बावजूद इसके उन्होंने आगे एम्स में फैकल्टी के तौर पर बने रहने के बजाए एम्स से विदा ले लिया। दूसरा बडा नाम डॉ. गुलेरिया के बाद एम्स निदेशक की रेस में शामिल और ट्रॉमा सेंटर के चीफ रह चुके डॉ. राजेश मल्होत्रा (Dr. Rajesh Malhotra) का है। इन्होंने भी एम्स छोड दिया।
न्यूरोलॉजी (Neurology) हेड डॉ. एमवी पद्मा (Dr MV Padma)भी एम्स विशेषज्ञों की लिस्ट में एक बडा नाम था लेकिन इन्होंने भी एम्स से विदा ले लिया। मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग (Medical Oncology Department) के अतुल शर्मा (Dr. Atul Sharma) ने तो वीआरएस (VRS) ही ले लिया। कैंसर चिकित्सा (cancer therapy) के जाने-माने विशेषज्ञ सर्जन डॉ. अतुल शर्मा के वीआरएस लेने से सबको हैरानी हुई। वहीं कॉडियोलॉजिस्ट डॉ. संदीप मिश्रा (Cardiologist Dr. Sandeep Mishra) ने भी एम्स छोडकर सभी को चौंका दिया।
मेडिकल छात्रों के लिए मुसीबत बन रही है छात्रावास की कमी
एम्स जैसे संस्थान में मेडिकल, नर्सिंग और पैरामेडिकल सहित रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए छात्रावास की कमी (Shortage of hostel for resident doctors) बडी चुनौती साबित हो रही है। जानकार बताते हैं कि यहां मेडिकल की पढाई के लिए आने वाले करीब करीब दो-तिहाई छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों को हॉस्टल की सुविधा नहीं मिल पा रही है। नतीजतन, उन्हें एम्स परिसर के दूर स्थित क्षेत्रों में महंगे किराए चुकाकर रहना पडता है।
हालांकि, इस समस्या को लेकर एम्स प्रशासन गंभीर है। एम्स प्रशासन छात्रावास की कमी को दूर करने के लिए करीब ढाई हजार कमरों का हॉस्टल ब्लॉक (Hostel block of two and a half thousand rooms in aiims) बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी में जुटा हुआ है।
Delhi Aiims : महज 2400 छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा
एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, एम्स को मेडिकल, नर्सिंग स्नातक, पैरामेडिकल, मेडिकल स्नातकोत्तर और सुपर स्पेशियलिटी के रेजिडेंट डॉक्टरों सहित लगभग साढ़े सात हजार छात्रों के लिए छात्रावास (Hostel for seven and a half thousand students in Delhi Aiims) की जरूरत है।
जबकि, मौजूदा समय में महज 2400 छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए छात्रावास की व्यवस्था है। इन आंकडों से यह पता चलता है कि वर्तमान में यहां सिर्फ एक तिहाई छात्रों को ही छात्रावास की सुविधा मुहैया कराई जा सकती है। छात्रावास के आवंटन में एमबीबीएस और नर्सिंग छात्रों को प्राथमिकता दी जाती है। इन्हें एक कमरा दिया जाता है।
5515 कमरो के छात्रावास निर्माण की योजना
जानकारी के मुताबिक, एम्स (Delhi Aiims) में पैरामेडिकल छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों को सबसे अधिक छात्रावास की कमी का सामना करना पड रहा है। छात्रावास की कमी को पूरा करने के लिए एम्स प्रशासन ने अपने मास्टर प्लान के तहत दो चरणों में 5515 कमरों का हॉस्टल ब्लॉक तैयार करने की योजना (Plan to prepare hostel block of 5515 rooms in two phases in Delhi Aiims) बनाई है।
सूत्रों की माने तो मास्टर प्लान के भारी-भरकम प्रस्तावित बजट की वजह से फिलहाल यह योजना अधर में लटकी हुई है। छात्रावास की कमी को कुछ हदतक दूर करने के लिए एम्स प्रशासन ने कुछ निजी हॉस्टलों को अनुबंध पर लेकर रेजिडेंट डॉक्टरों को आवास देने के लिए टेंडर जारी किया था। मगर इस मामले में सिर्फ एक आवेदन ने एम्स प्रशासन की आशाओं पर पानी फेर दिया। जिसके बाद इस टेंडर को रद्द करना पडा।
दो चरणों में पूरा होगा छात्रावास ब्लॉक निर्माण का कार्य
आखिरकार अब एम्स Delhi Aiims) प्रशासन ने ढाई हजार कमरों का छात्रावास ब्लॉक निर्माण की योजना पर काम करने का फैसला किया। एम्स इस बाबत एक प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी में जुटा हुआ है। एम्स ने पहले चरण में करीब ढाई हजार कमरों का हॉस्टल ब्लॉक बनाने की योजना तैयार की है।
मास्टर प्लान से अलग कर इस योजना के निर्माण की मंजूरी केंद्र सरकार से मांगी जायेगी। जानकारों के मुताबिक, रिेजिंडेट डॉक्टरों के एम्स परिसर से दूर रहने पर मरीजों के उपचार की गुणवत्ता पर असर पडता है। यहां बता दें कि कई मामलों में रेजिडेंट डॉक्टरों को आपातकालीन स्थिति में मरीजों को देखने तत्काल वार्ड में जाना पडता है। उनके निवास और अस्पताल परिसर में फासला होने की वजह से उन्हें अस्पताल पहुंचने में देरी होती है।