मानव मस्तिष्क पर चिप ट्रायल : FDA ने कई मुद्दों को लेकर कंपनी को आगाह भी किया
नई दिल्ली।टीम डीजिटल :
मानव मस्तिष्क पर चिप ट्रायल – एलन मस्क (elon musk) और उनकी कंपनी न्यूरालिंक (neuralink clinical trial) एकबार फिर सुर्खियों में है। कई बिमारियां ऐसी हैं, जिससे प्रभावित होने पर मरीज सुनने, बोलने में सक्षम नहीं रह जाता है। लकवा, आटिज्म, सिजोफ्रेनिया जैसी न्यूरोलॉजिक बीमारियों से पीडित मरीज कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना करने को मजबूर हो जाते हैं। मानव मस्तिष्क पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक कुछ ऐसा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं, जिससे ऐसे मरीजों की शारीरिक अक्षमता को दूर की जा सके। इस तरह की बीमारियां लाईलाज होती है।
मिल गर्ई मानव मस्तिष्क पर चिप ट्रायल की मंजूरी
अगर सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में इस तरह की बीमारियों से पीडित मरीजों की शारीरिक अक्षमता को दूर करने का रास्ता साफ होने की उम्मीद की जा रही है। जानकारी के मुताबिक मानव मस्तिष्क में चिप लगाने की प्रक्रिया को लेकर लंबे समय से जो निर्णय नहीं लिया जा सका था, वह अब ले लियागया है। शुक्रवार को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एरमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने एलन मस्क की ब्रेन चिप फर्म न्यूरालिंक को मानव मस्तिष्क पर ट्रायल (brain chip human trials) की अनुमति दे दी है। न्यूरालिंक ने ट्वीट कर इसे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया है। कंपनी ने कहा है कि हमारी तकनीक आने वाले समय में लोगों के लिए काफी मददगार साबित होगी।
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क्या है एलन मस्क की चिप इंप्लांट योजना?
कुछ समय पहले ही एलन मस्क ने एक प्रजेंटेशन के दौरान यह दावा किया था कि दिमाग में चिप इंप्लांट (brain chip human trials) करने के बाद लकवाग्रस्त व्यक्ति भी कंप्यूटर चलाने में सक्षम हो जाएगा। माना जा रहा है कि अगर एलन मस्क की यह योजना पूरी तरह सफल हो जाती है, तो यह चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा। इससे सुनने, बोलने, मोटापा, आटिज्म, अवसाद और सिजोफ्रेनिया आदि न्यूरोलॉजिलक बीमारियों का सामना कर रहे मरीजों को काफी राहत मिल सकती है। पिछले वर्ष के अंत में एलन मस्क ने यह दावा कर सभी को हैरान कर दिया था कि उन्हें इस योजना पर इतना भरोसा है कि वह इस चिप को अपने बच्चों को लगाने के लिए भी तैयार होंगे।
एफडीए (FDA) ने कई मुद्दों पर किया आगाह
यहां बता दें कि न्यूरालिंक को ट्रायल की अनुमति देने से पहले एफडीए ने कई मुद्दों को लेकर कंपनी को आगाह भी किया है। मस्तिष्क में लगाई जाने वाली डिवाइस में उपयोग होने वाली लीथियम बैट्री को लेकर खासतौर से चिंता व्यक्त की गई है। साथ ही ब्रेन के टिश्यू को बिना क्षति पहुंचाए उस डिवाइस को निकालने जैसी चुनौतियां पर को लेकर भी आशंका व्यक्त की गई है। मानव मस्तिष्क पर चिप ट्रायल
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