एम्स दिल्ली (AIIMS DELHI) के वर्चुअल ऑटोप्सी सेंटर (Virtual Autopsy Center) में सुविधा शुरू
Virtual Autopsy facility in Aiims New Delhi : दिल्ली एम्स (AIIMS DELHI) में पोस्टमार्टम की नई प्रक्रिया (New process of post mortem) शुरू की गई है। जिसके तहत शव को बिना चीड़ फाड़ किए ही ऑटोप्सी करना संभव (Possible to do autopsy without dismembering the dead body) है। खासबात यह है कि ऑटोप्सी रिपोर्ट भी महज 15 मिनट में दे दी जाएगी।
Post mortem Process हो गई आसान
अक्सर यह देखा जाता है कि लोग शवों के पोस्टमार्टम को लेकर झिझकते हैं। कुछ घबराते हैं तो कुछ लोग मिथकों के कारण पोस्टमार्टम की प्रक्रिया से बचना चाहते हैं। ट्रेडिशनल पोस्टमार्टम की प्रक्रिया (Traditional post mortem process) के तहत शवों को चीड़ फाड़ कर शरीर के अंदरूनी अंगों का निरीक्षण कर डॉक्टरों की टीम मौत की वजह पता लगाती है।
इसके बाद निकाले गए अंगों को वापस शरीर में स्थापित कर शव को स्टिच कर दिया जाता है। ज्यादातर संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया जाता है। एम्स में ऑटोप्सी की नई तकनीक (New technique of autopsy in AIIMS) शुरू किए जाने के बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया आसान हो गई है।
Autopsy Delhi Aiims : मशीन बताएगी मौत की वजह
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्ली में पहला वर्चुअल ऑटोप्सी सेंटर (First Virtual Autopsy Center in All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), New Delhi) की शुरूआत की गई है। जिसमें शवों का पोस्टमार्टम मशीनों के जरिए (Post mortem of dead bodies through machines) किया जा रहा है।
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यहां शवों की जांच के लिए उपलब्ध एमआरआई मशीनें, सीटी स्कैन मशीनें, डिजिटल एक्सरे, शवों के अंदरूनी अंगों को सुक्ष्मता और पारदर्शिता के साथ स्कैन करने में सक्षम है। जिससे मौत की वजह आसानी से पता लगाया जा सकता है। इसकी सबसे बडी विशेषता यह है कि ट्रेडिशनल पोस्टमार्टम की प्रक्रिया में जहां घंटों लग जाते थे, वहीं वर्चुअल ऑटोप्सी सेंटर में किए जा रहे पोस्टमार्टम (Post mortem in AIIMS Virtual Autopsy Center) में महज 15 मिनट ही समय लगता है। वहीं शवों को किसी तरह का नुकसान भी नहीं होता है।
पोस्टमॉर्टम के पक्ष में नहीं होते 92 प्रतिशत लोग
एम्स के फॉरेंसिक एक्सपर्ट (Forensic expert of AIIMS) के मुताबिक, एक अध्ययन में यह स्पष्ट हो चुका है कि 92 प्रतिशत लोग शव के पोस्टमॉर्टम के पक्ष में नहीं होते हैं। वर्चुअल ऑटोप्सी लोगों के लिए सुविधाजनक प्रक्रिया साबित हो रही है। एमआरआई मशीनों में शरीर पर निशान या चोटों की गहराई का बिना शव को चीरा लगाए ही पता लगाना संभव हो जाता है।
जहर से मौत का पता लगाएगा एम्स का Tool
एम्स के वर्चुअल ऑटोप्सी सेंटर के चीफ और फोरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर सुधीर गुप्ता के मुताबिक, एम्स में वर्चुअल ऑटोप्सी के अतिरिक्त पोस्टमॉर्टम या फॉरेंसिक जांच को लेकर कई नई तकनीक अपनाई जा रही है। एम्स में पायलट प्रोजेक्ट के तहत वर्चुअल पोस्टमॉर्टम (Virtual post mortem under pilot project in AIIMS) शुरू किया गया है।
इसके लिए कई तरह के टूल भी विकसित किए जा रहे हैं। अगर जहर से किसी की मौत होती है तो यह मशीनी जांच में सामने नहीं आएगी लेकिन एक इंजेक्शन बिना किसी चीड़ फाड़ के पेट के अंदर मौजूद फ्लूड को बाहर निकाल देता है। इस फ्लूड की जब लैब में जांच होती है जहर है या नहीं यह प्रत्यक्ष हो जाता है।
50 शवों के Digital Postmortem की व्यवस्था
डॉ. सुधीर गुप्ता के मुताबिक, एम्स में रोजाना 15 शवों का परीक्षण (Testing of 15 dead bodies daily in AIIMS) नई तकनीक से अभी किया जा रहा है। वैसे, एम्स के इस सेंटर में प्रतिदिन 50 शवों के डिजिटल पोस्टमॉर्टम करने की क्षमता (Ability to conduct digital post mortem of 50 dead bodies per day in AIIMS’s virtual postmortem center) है।
पुलिस अगर देश के किसी भी क्षेत्र से शव को लेकर एम्स में वर्चुअल ऑटोप्सी के लिए लेकर आती है, तो यहां उसका पोस्टमॉर्टम किया जा सकेगा। प्रोफेसर गुप्ता के मुताबिक अभी पोस्टमॉर्टम के इस नए कॉन्सेप्ट को न्यायिक मामलों में मान्यता नहीं मिली है।