केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने WHO क्षेत्रीय समिति के 76वें सत्र को संबोधित किया
WHO : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया (Dr. Mansukh Mandaviya) ने दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन क्षेत्रीय समिति के 76वें सत्र को संबोधित किया। उनके साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस भी इस सत्र में वर्चुअली उपस्थित थे। डॉ. मांडविया सर्वसम्मति से दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रीय समिति के 76वें सत्र के अध्यक्ष चुने गए।
एबी-एचडब्ल्यूसी के प्रगति की सराहना
![WHO : स्वास्थ्य योजनाओं से संभव हुआ स्वास्थ्य देखभाल आपूर्ति में क्रांतिकारी विकास : मनसुख मांडविया 1 स्वास्थ्य योजनाओं से संभव हुआ स्वास्थ्य देखभाल आपूर्ति में क्रांतिकारी विकास : मनसुख मांडविया](https://www.caasindia.in/wp-content/uploads/2023/10/who-2-1280x853.jpg)
सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. मांडविया (Dr. Mansukh Mandaviya) ने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) की प्रगति की सराहना की। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 24 अक्टूबर, 2023 तक एबी-एचडब्ल्यूसी केंद्रों में कें 2,110 मिलियन से अधिक लोगों की संख्या दर्ज हुई। इसका प्रभाव बेहतर रहा है। इनसे लोगों को 1,830 मिलियन से अधिक बार नि:शुल्क दवाइयों और 873 मिलियन से अधिक बार नैदानिक सेवाओं का लाभ मिला है। इसके अलावा 306 मिलियन से अधिक लोगों को जोडते हुए 26 मिलियन कल्याण सत्रों को भी अयोजित किया गया है।
भारत की पहल अन्य देशों के लिए बनेगा मॉडल
डॉ.मांडविया (Dr. Mansukh Mandaviya) ने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और पीएम-एबीएचआईएम जैसी योजनाओं से डिजिटल स्वास्थ्य ढांचे और भौतिक बुनियादी ढांचे को काफी अधिक मजबूत करने में मदद मिली हे। इससे देश में स्वास्थ्य देखभाल आपूर्ति में क्रांतिकारी विकास को प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने कहा कि एबी-एचडब्ल्यूसी के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लगातार ध्यान दिए जा रहे हैं। जिससे व्यापक रूप से सकारात्मक स्वास्थ्य परिणाम मिलेंगे। इससे लोगों के जेब से होने वाले खर्च में कमी आएगी। वहीं, स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास कर रहे लोगों के लिए यह पहल एक मॉडल की तरह साबित होगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, सुधांश पंत ने पीएचसी-उन्मुख स्वास्थ्य प्रणालियों को अपनाने में सदस्य देशों की प्रगति की सराहना की। उन्होंने कहा कि अब प्रगति ट्रैकिंग और जवाबदेही के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने, शहरी स्वास्थ्य देखभाल (यूएचसी)/पीएचसी शासन में भागीदारी तंत्र को संस्थागत बनाने के प्रमुख क्षेत्रों पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ और राष्ट्रीय प्रणालियों तथा प्रासंगिक बारीकियों के अनुरूप भागीदारों से समन्वित समर्थन को बढ़ावा देने की भी जरूरत है।
तपेदिक से निपटने के प्रयासों की सराहना
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डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि एसईएआरओ का 76वां सत्र विश्व और क्षेत्र दोनों के लिए ही एक महत्वपूर्ण समय पर आयोजित हो रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र विश्व की एक चौथाई से अधिक आबादी रहती है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की आबादी के बीमारियों का बोझ कम करने की जरूरत है। उन्होंने तपेदिक से निपटने के लिए इस क्षेत्र के प्रयासों की सराहना करते हुए डॉ. मांडविया के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के 11 सदस्य देशों में से 7 ने कम से कम उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों को खत्म कर दिया है।
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इस सत्र में डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह, निदेशक विश्व स्वास्थ्य संगठन, दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए क्षेत्रीय कार्यालय, अहमद नसीम, स्वास्थ्य मंत्री मालदीव, डॉ. एलिया एंटोनियो डी अराउजो डॉस रीस अमरल, स्वास्थ्य मंत्री, तिमोर लेस्ते, डॉ. सीता अरामबेपोला, स्वास्थ्य मंत्री श्रीलंका, मोहन बहादुर बस्नेत, स्वास्थ्य मंत्री नेपाल, कोरिया गणराज्य के भारत में राजदूत चो हुई चोल, जाहिद मलेक बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्री, डॉ . पोंगसाडहॉर्न पोकपर्मडी, डॉ. सिरिफ़ा लिज़ा मुनीरा इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय में स्वास्थ्य महानिदेशक और पेम्बा वांगचुक भूटान के स्वास्थ्य मंत्रालय में कार्यवाहक सचिव मौजूद रहे।