गेंहू-चावल में पोषक तत्वों की भारी गिरावट से कृषि वैज्ञानिक चिंतित
Indian Food : देश में खाए जा रहे गेंहू और चावल में पोषक तत्वों की भारी गिरावट को लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने चिंता व्यक्त की है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अध्ययन किया है। जिसमें हवाले से यह जानकारी सामने आई है।
अध्ययन के जरिए यह स्पष्ट हुआ है कि ज्यादा पैदावार वाली किस्मों को विकसित करने पर आधारित कार्यक्रमों ने चावल और गेहूं (Indian Food) के पोषक तत्वों को काफी हद तक बदल दिया है। यह बदलाव इतना है कि इनकी फूड वैल्यू और पोषण मूल्य कम हो गए हैं। ‘डाउन टू अर्थ’ मैगजीन की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पिछले 50 साल से खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए तेजी से ज्यादा उपज देने वाली चावल और गेहूं की किस्मों को प्राथमिकता दे रहा है।
Indian Food : जिंक और आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्वों में गिरावट
आईसीएआर (ICAR) के मुताबिक, पिछले 50 साल में चावल में जिंक और आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा में क्रमशः 33 प्रतिशत और 27 प्रतिशत की गिरावट रिकॉर्ड की गई है। वहीं, गेहूं में जिंक और आयरन में 30 प्रतिशत और 19 प्रतिशत की कमी पाई गई है।
भारत में हरित क्रांति का उद्देश्य देश की तेजी से बढ़ती आबादी को खाना (Indian Food) मुहैया कराने के साथ खाद्य उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनना था। ऐसे में फसलों की उपज में तेजी से सुधार लाना कृषि वैज्ञानिकों का मुख्य लक्ष्य बन गया। वर्ष 1980 के दशक के बाद से ही कृषि वैज्ञानिकों ने अपना ध्यान ऐसी किस्मों को विकसित करने पर केंद्रित कर लिया जो कीटों और बीमारियों के खिलाफ प्रतिरोधी हों। साथ ही फसल की किस्में खारेपन, नमी और सूखे जैसे हालातों को सहन करने की क्षमता वाली भी हो।
45 प्रतिशत तक गिरे हैं चावल और गेहूं की फूड वैल्यू

अध्ययनों से यह जानकारी सामने आई है कि मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता के बावजूद चावल और गेहूं की (Indian Food) आधुनिक नस्लें जस्ता और लौह जैसे पोषक तत्वों को मिट्टी से प्राप्त करने में धीमी साबित हो रही है। भारत में लोगों की दैनिक ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत से अधिक चावल और गेहूं पर ही निर्भर करता है।
वहीं, पिछले 50 वर्षों में इन दोनों ही खाद्य पदार्थ की फूड वैल्यू में 45 प्रतिशत तक गिरावट हो चुकी है। वैज्ञानिकों ने चिंता व्यक्त की है कि अगर देश में इसी दर से चावल और गेहूं की क्वालिटी में गिरावट आती रही तो वर्ष 2040 तक यह इंसानों के उपभोग के लायक नहीं रह जाएंंगे। अध्ययन में एक और चौंकाने वाला खुलासा भी किया गया है कि चावल में जहरीले तत्व आर्सेनिक की मात्रा 1,493 प्रतिशत बढ़ गई है। यह बढोत्तरी मानव स्वास्थ्य के लिहाज से चिंताजनक है।
जमीन से पोषक तत्व प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं पौधे

फसलों की उपज में तेजी से सुधार लाने में जुटे वैज्ञानिकों के सामने अब एक नई चुनौती आ गई है। पौधे मिट्टी से पोषक तत्व ग्रहण करने की क्षमता खो रहे हैं। वर्ष 2023 में इस संबंध में एक अध्ययन कराया गया था, जिसमें पौधों द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों की घटती हुई क्षमता का खुलासा किया गया है।
Also Read : Normal Hemoglobin Level : महिला और पुरुष में कितना होना चाहिए हिमोग्लोबिन का स्तर? जानिए पूरी डिटेल्स
यह अध्ययन आईसीएआर ने किया है। वर्ष 2021 में भी बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय (Bidhan Chandra Agricultural University) के वैज्ञानिकों ने ऐसा ही एक अध्ययन किया था। इस अध्ययन में भी पौधों की क्षमता को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। अध्ययन में यह स्पष्ट किया गया है कि अनाज पर निर्भर आबादी में जिंक और आयरन की कमी के कारणों पर ध्यान दिया गया। जब ज्यादा उपज देने वाले चावल और गेंहू के किस्मों को परीक्षण किया गया, तो इन अनाजों में जस्ता और लोहे की मात्रा में कमी पाई गई।