Delhi Aiims Trauma Centre : 51 वर्षीय पुरुष और 40 वर्षीय महिला के अंगों से मरीजों को मिला नया जीवन
Delhi Aiims : दिल्ली एम्स ट्रॉमा सेंटर (Delhi AIIMS Trauma Center) में दो दिनों में हादसे के शिकार दो लोगों के परिजनों ने अंगदान किया है। इन परिवारों की जागरुकता की वजह से सात लोगों को नया जीवन मिला है। जिनका अंगदान किया गया, उनमें से एक एक 51 वर्षीय पुरुष और दूसरी 40 वर्षीय महिला थी। यह वाकिया अंगदान के अनमोल महत्व को भी उजागर करता है।
चार लोगों की जिंदगी में हुआ उजाला
दोनों मृतकों की दान की गई आंखों से अब चार लोग देख सकेंगे। वहीं महिला की दान की गई त्वचा को विशेषज्ञ अगर संक्रमण मुक्त और सुरक्षित पाते हैं, तो बर्न के तीन मरीजों की जिंदगी को भी बचाने में यह संजीवनी बनेगी।
मृतकों के परिजनों ने जाहिर की अंगदान की इच्छा
एम्स (Delhi Aiims) से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पहला अंगदान राजस्थान के भरतपुर निवासी बच्चू सिंह का किया गया। वे हरियाणा के पलवल में काम करते थे। 12 जनवरी को पलवल में स्टेशन के पास रेलवे की पटरी पार करने के दौरान वह हादसे का शिकार हो गए थे।
उन्हें दिल्ली एम्स के ट्रॉमा सेंटर (Trauma Centre) में उपचार के लिए भर्ती कराया गया लेकिन 24 जनवरी को उन्हें डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया। जिसके बाद परिजनों की सहमति से 26 जनवरी की सुबह लिवर, दोनों किडनी और दोनों कार्निया दान की प्रक्रिया पूरी की गई।
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दूसरा अंगदान हरियाणा के फरीदाबाद निवासी माया नामक महिला का 27 जनवरी की सुबह कराया गया। महिला अपने घर में पहली मंजिल से गिर गई थीं। इस दौरान उसे गंभीर चोेटें आई थी। उन्हें दिल्ली एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। महिला को भी डॉक्टरों ने ब्रेन डेड करार दिया।
जिसके बाद महिला के परिजनों की सहमति से हृदय, लिवर, दोनों किडनी, दोनों कार्निया और त्वचा दान किया गया। यहां बता दें कि एम्स के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी ब्लॉक में त्वचा बैंक शुरू होने के बाद यहां अब तक पांच मृतकों का त्वचा दान किया गया है।
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एम्स के आर्बो (आर्गेन रिट्रिब्ल बैंकिंग आर्गेनाइजेशन) की प्रभारी प्रो. आरती विज के मुताबिक राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने अंगदान में मिला एक लिवर और एक किडनी धौला कुआं स्थित आर्मी अस्पताल को दिया है। एक किडनी सफदरजंग अस्पताल में एक प्रतीक्षारत मरीज को प्रत्यारोपित कर दी गई है।
जबकि, दो किडनी, हृदय और एक लिवर एम्स में अलग-अलग चार मरीजों में प्रत्यारोपित किया गया है। वहीं, हृदय 32 वर्षीय युवक में प्रत्यारोपित किया गया है। चारों कार्निया एम्स के आरपी सेंटर के नेत्र बैंक में सुरक्षित रख दिया गया है। वहीं, अंगदान में मिली त्वचा एम्स के ही बर्न व प्लास्टिक सर्जरी विभाग में सुरक्षित रखी गई है।
जले हुए मरीजों की त्वचा ग्राफ्टिंग में काम आएगी त्वचा
एम्स विशेषज्ञों के मुताबिक, 30-40 प्रतिशत से अधिक जल चुके लोगों के जख्मों पर त्वचा ग्राफ्ट करने की जरूरत होती है। एक व्यक्ति द्वारा किया हुआ त्वचा दान दो व्यस्क और एक बच्चे के त्वचा ग्राफ्टिंग में काम आता है।
पापा के खोने का दुख है लेकिन दूसरों को मिलेगी जिंदगी
डोनर बच्चू सिंह की बेटी निशा के मुताबिक, ब्रेन डेड होने के बाद एम्स (Delhi Aiims) कर्मचारियों ने उन्हें अंगदान के लिए प्रेरित किया। उन्हें अपने पापा को खोने का गम है लेकिन दूसरों को जिंदगी मिलेगी, ऐसा सोचकर अंगदान का फैसला कर लिया। निशा ने कहा कि पापा तो नहीं रहे लेकिन इस बात से मन को सुकून मिल रहा है कि उनके अंगों से दूसरों को नया जीवन मिला। बेटी ने कहा कि उन्हें इस बात का बेहद संतोष है कि उनके पिता जाने के बाद भी किसी जरूरतमंद मरीज के काम आ सके।