Sunday, February 16, 2025
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GBS Pune : मिल गया पुणे में GBS फैलाने वाला बैक्टीरिया

जीबीएस को लेकर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार (Deputy Chief Minister Ajit Pawar) ने लोगों से न डरने की अपील की है।

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 GBS Maharashtra Case बढकर 67 हुई  

 GBS Pune, Guillain-Barré Syndrome, GBS Pune News , GBS maharashtra News, Campylobacter jejuni : महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guilane-Berre Syndrome in Maharashtra) के मामले बढकर 67 हो चुके हैं। जीबीएस के सबसे अधिक मामले (most cases of GBS Maharashtra)  पुणे (Pune) में पाए गए हैं। बुधवार तक गुइलेन-बैरे सिंड्रोम वाले मरीजों की संख्या (Number of patients with Guilan-Baire syndrome) 59 थी। महज एक दिन में ही 8 मामलों के सामने आने के बाद महाराष्ट्र में जीबीएस मरीजों की तादाद (Number of GBS patients in Maharashtra) बढकर 67 हो गई है। इस कदर जीबीएस आउटब्रेक (Maharashtra GBS outbreak) से लोगों में डर फैल गया है।

वेंटिलेटर पर हैं 13 मरीज 

स्वास्थ्य विभाग (Health department) के मुताबिक, पुणे ग्रामीण (Pune rural) में 39, पुणे मनपा में 13, पिंपरी चिंचवड मनपा में 12 और 3 रोगी अन्य जिलों से पाए गए हैं। इसमें 43 पुरुष और 24 महिलाएं हैं। जिसमें से 13 रोगियों को वेंटिलेटर पर उपचार दिया जा रहा है। जीबीएस से 19 वर्ष तक के कुल 33 लोग पीडित हैं। जबकि, 20 वर्ष से 80 वर्ष तक के कुल 34 मरीजों को इस रोग ने अपने चपेट में लिया है।
 
 

लोगों से न डरने की अपील 

जीबीएस को लेकर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार (Deputy Chief Minister Ajit Pawar) ने लोगों से न डरने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि उचित उपचार से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। संक्रमण में इस कदर तेजी को देखते हुए एक रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) गठित की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, जीबीएस के पहले संदिग्ध मामले (GBS Maharashtra first suspected case) में 64 वर्षीय एक महिला की मौत (Death of a woman) हुई है।
 

पुणे में जीबीएस किस वजह से फैल रहा है?

What is the reason of GBS spreading in Pune (Maharashtra)?

GBS Pune : मिल गया पुणे में GBS फैलाने वाला बैक्टीरिया
मिल गया पुणे में GBS फैलाने वाला बैक्टीरिया
विशेषज्ञों के मुताबिक, पुणे में जीबीएस (GBS Pune) के बढते हुए मामलों को पीछे कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी के संक्रमण (Campylobacter Jejuni infection) को जिम्मेदार बताया जा रहा है। कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी एक सर्पिल आकार (Spiral shape) का, ग्राम-नेगेटिव जीवाणु (Gram-negative bacteria) है। यह दुनिया भर में खाद्य जनित गैस्ट्रोएंटेराइटिस (Food borne gastroenteritis) का प्रमुख कारण माना जाता है। आमतौर पर यह बैक्टीरिया जानवरों, खास तौर पर मुर्गी की आंत में मौजूद होता है। दूषित या अधपके मांस, बिना पाश्चुरीकृत डेयरी उत्पादों या अनुपचारित पानी के सेवन करने वाले इंसानों के संक्रमित होने का जोखिम रहता है।

कैम्पिलोबैक्टीरियोसिस क्या है?

What is Campillobacteriosis?

सी. जेजुनी के कारण संक्रमण (Campylobacter Jejuni infection) को चिकित्सकीय भाषा में कैम्पिलोबैक्टीरियोसिस (Campylobacteriosis) कहते हैं। इंसानों में इसके लक्षण आमतौर पर दस्त (कभी-कभी खूनी), पेट में ऐंठन, बुखार, मतली और उल्टी के रूप में प्रकट होता है।
 
इसके लक्षण सामान्यतौर पर बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 2-5 दिन बाद दिखाई देते हैं और एक हफ्ते तक इसका प्रभाव बना रह सकता है। इसके अधिकांश मामले बिना किसी खास उपचार के ही ठीक हो जाते हैं। गंभीर संक्रमण, निर्जलीकरण या जटिलताओं की सूरत में एजिथ्रोमाइसिन (Agytromycin) या सिप्रोफ्लोक्सासिन (Siprofloxacin) जैसे एंटीबायोटिक्स उपचार (Antibiotics treatment) की आवश्यकता हो सकती है।
 
सी.जेनुनी संक्रमण (Campillobacter Jejuni infection) के बाद की जटिलताओं में दुर्लभ श्रेणी का ऑटोइम्यून विकार (Rare autoimmune disorder) गुइलेन-बैरे-सिंड्रोम (Guilan-Berre-Syndrome) शामिल है। जिसमें मांसपेशियों  की कमजोरी (Muscle weakness) प्रभावित करती है। वहीं गंभीर परिणाम के तौर पर प्रभावित मरीज को पक्षाघात  (Paralysis) का भी जोखिम बना रहता है। कुछ लोगों में इस संक्रमण के बाद प्रतिक्रियाशील गठिया (Reactive arthritis) विकसित होने के भी प्रमाण पाए गए हैं।
 

जीबीएस क्या है?

What is GBS?

जीबीएस एक दुर्लभ श्रेणी का ऑटोइम्यून विकार है। जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) भ्रमित होकर तंत्रिकाओं पर हमला करती है। जिससे तंत्रिकाओं का कुछ हिस्सा प्रभावित हो जाता है। नतीजतन, मांसपेशियों की संतुलन की हानि, कमजोरी, झुनझुनी और पक्षाघात हो सकता है।
 

जीबीएस के लक्षण क्या हैं?

What are the symptoms of GBS?

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह एक संक्रामक बीमारी (infectious disease) है, जो बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण (Bacterial and viral infections) के बाद होती है। टीकाकरण के बाद भी इस बीमारी के होने की संभावना बनी रहती है। मरीज को संक्रमण के दो हफ्तों के भीतर मरीज में बुखार, खांसी नाक बहने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा इससे प्रभावित मरीजों को पेट दर्द, उल्टी या दस्त भी हो सकता है। गंभीर मामलों में पैरों और हाथों में तेजी से कमजोरी बढ सकती है।

 


 


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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